निवेश न मिलने के कारण पिछड़ा अक्षय ऊर्जा का लक्ष्य, आधे से भी कम हो रहा है निवेश

संसदीय समिति ने सरकार से कहा है कि अक्षय ऊर्जा क्षेत्र की दशा सुधारने के लिए देश में ग्रीन बैंक की संभावना तलाशी जाए
निवेश न मिलने के कारण पिछड़ा अक्षय ऊर्जा का लक्ष्य, आधे से भी कम हो रहा है निवेश
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अक्षय ऊर्जा यानी रिन्यूएबल एनर्जी के लक्ष्य को हासिल करने के लिए देश को हर साल लगभग डेढ़ से दो लाख करोड़ रुपए के निवेश की जरूरत है, लेकिन अभी इस क्षेत्र में सालाना 75 हजार करोड़ रुपए का ही निवेश हो पा रहा है। ऐसे में अक्षय ऊर्जा के लक्ष्य को हासिल करने के लिए निवेश के नए-नए तरीके ईजाद करने होंगे।

संसदीय समिति (ऊर्जा) द्वारा 25 जुलाई 2023 को संसद में प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में यह बात कही गई है। समिति ने 'अक्षय ऊर्जा क्षेत्र के समक्ष आ रही वित्तीय दिक्कत' विषय पर यह रिपोर्ट तैयार की है।

समिति ने इस विषय पर दस सिफारिशें भी की हैं। समिति ने सरकार से कहा है कि वह देश में ग्रीन बैंक की स्थापना की संभावनाएं तलाशे, जो अक्षय ऊर्जा क्षेत्र की वित्त संबंधी चुनौतियों का समाधान करेगा।

समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि मिनिस्ट्री ऑफ न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी (एमएनआरई) को इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (आईडीएफ), इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (इनवीआईटी), वैकल्पिक निवेश फंड, ग्रीन/मसाला बॉन्ड जैसे तंत्र और वैकल्पिक फंडिंग रास्ते उपलब्ध कराने और तलाशने के लिए सक्रिय रूप से काम करना चाहिए।

समिति ने अक्षय ऊर्जा क्षेत्र के लिए क्राउड फंडिंग जैसा रास्ता भी अपनाने की सिफारिश की है। क्राउंड फंडिंग से आशय है कि अधिक से अधिक लोगों को पैसा लगाने के लिए प्रेरित किया जाए।

यहां यह उल्लेखनीय है कि भारत का लक्ष्य 2022 तक अक्षय ऊर्जा से 175 गीगावॉट बिजली उत्पादन करने का था। साथ ही, भारत सरकार ने 2030 तक अक्षय ऊर्जा क्षमता को 500 गीगावॉट तक बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई है।

संसदीय समिति की इस रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय मंत्रालय ने समिति को सूचित किया था कि सरकार की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को हासिल करने के लिए लगभग 17 लाख करोड़ रुपए के अतिरिक्त निवेश का अनुमान लगाया गया है, जिसमें ट्रांसमिशन लागत भी शामिल होगी।

रिपोर्ट में कहा गया था कि साल 2022 तक छत पर सौर ऊर्जा के माध्यम से 40 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया था। साथ ही, किसानों के लिए ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कुसुम योजना भी शुरू की गई थी, लेकिन रूफ-टॉप सोलर और कुसुम जैसी योजनाओं के संबंध में ऐसी शिकायतें हैं कि बैंक ऋण देने में अनिच्छुक हैं क्योंकि उन्हें इन योजनाओं के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है।

समिति की सिफारिश है कि मंत्रालय इस मामले में स्थानीय बैंकों के साथ बातचीत करे और रूफ-टॉप सोलर और कुसुम जैसी योजनाओं के लिए धन की उपलब्धता सुनिश्चित करे।

समिति ने सिफारिश की थी कि इंडियन रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (इरेडा) को अन्य वित्तीय संस्थानों की तरह रेपो दर पर आरबीआई से उधार लेने के लिए विशेष विंडो दी जानी चाहिए। ताकि वह आसान शर्तों पर अधिक से अधिक उद्यमियों व परियोजनाओं को ऋण उपलब्ध करा सके। मंत्रालय की ओर से बताया गया कि इस संबंध में 13 मई, 2022 को आरबीआई के समक्ष एक अनुरोध किया गया था, इस बारे में जल्द ही आगे की जानकारी दी जाएगी। 

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