अक्षय ऊर्जा: एक साल में 7 लाख नए रोजगार हुए पैदा, 1.3 करोड़ लोगों की जीविका का है साधन

वैश्विक स्तर पर पिछले 12 महीनों में अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में रोजगार के 7 लाख नए अवसर पैदा हुए हैं। इस तरह इस क्षेत्र में रोजगार पाने वालों का आंकड़ा बढ़कर 1.27 करोड़ पर पहुंच गया है
Photo: Solar Energy International (SEI)
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वैसे तो किसी भी क्षेत्र में रोजगार का सृजन मायने रखता है लेकिन बात जब अक्षय ऊर्जा क्षेत्र की हो तो इसका महत्व कहीं ज्यादा बढ़ जाता है। ऐसा ही कुछ पिछले 12 महीनों में देखने को मिला है जब वैश्विक स्तर पर अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में रोजगार के 7 लाख नए अवसर पैदा हुए हैं। इस तरह इस क्षेत्र में रोजगार पाने वालों का आंकड़ा बढ़कर 1.27 करोड़ पर पहुंच गया है, जिसमें एक तिहाई महिलाओं की हिस्सेदारी है। 

यह जानकारी इंटरनेशनल रिन्यूएबल एनर्जी एजेंसी (आईआरईएनए) द्वारा जारी नई रिपोर्ट “अक्षय ऊर्जा और रोजगार: वार्षिक समीक्षा 2022” में सामने आई है, जिसे अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के सहयोग से तैयार किया गया है। देखा जाए तो महामारी, यूक्रेन में चलते संघर्ष और बढ़ते ऊर्जा संकट के बीच रोजगार के नए अवसर पूरी दुनिया के लिए एक अच्छी खबर है। 

किसी भी अर्थव्यवस्था में रोजगार बहुत महत्वपूर्ण होता है, जो लोगों की जीविका के साथ-साथ देश के विकास में भी अहम भूमिका निभाता है। वैसे भी आर्थिक संरचनाओं में बदलाव और व्यवधानों का जो दौर निकला है उसके बाद इनका महत्व विशेष रूप से सामने आया है।

रिपोर्ट के अनुसार उन देशों की संख्या बढ़ रही है जहां अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में रोजगार नए अवसर पैदा हो रहे हैं। इनमें से करीब दो तिहाई देश एशिया में हैं। पता चला है कि अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में 1.27 करोड़ नौकरियों में से अकेले चीन ही 42 फीसदी रोजगार दे रहा है। वहीं इसके बाद यूरोप और ब्राजील का स्थान आता है जिनकी हिस्सदारी 10-10 फीसदी है। वहीं अमेरिका और भारत की बात करें तो यह दोनों ही देश 7-7 फीसदी रोजगार दे रहे हैं।

हाल ही में जर्नल वन अर्थ में छपे एक शोध से पता चला है कि 2050 तक ऊर्जा क्षेत्र में 84 फीसदी नौकरियां अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में होगी। अनुमान है कि आने वाले 28 वर्षों में यदि वैश्विक तापमान में हो रही वृद्धि 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रहती है तो इस परिदृश्य में ऊर्जा क्षेत्र में कुल नौकरियां बढ़कर 2.6 करोड़ हो जाएंगी। गौरतलब है कि वर्तमान में ऊर्जा क्षेत्र ने करीब 1.3 करोड़ लोगों को रोजगार दिया हुआ है। जिसका मतलब है कि ऊर्जा क्षेत्र में आज के मुकाबले 80 लाख नए अवसर पैदा होंगे।

ऊर्जा संकट के दौर में भी नौकरियों का बढ़ना है सुखद

रिपोर्ट से पता चला है कि जहां दक्षिण पूर्व एशियाई देश खास तौर पर सोलर फोटोवोल्टिक (पीवी) निर्माण और जैव ईंधन उत्पादन के मामले में बेहतर कर रहे हैं, वहीं चीन सोलर पैनलों का एक प्रमुख निर्माता और इंस्टॉलर है। इसके साथ ही वो पवन ऊर्जा के क्षेत्र में भी नई नौकरियां पैदा कर रहा है।

वहीं भारत के बारे में जानकारी दी गई है कि देश ने 10 गीगावाट से अधिक सोलर पीवी को जोड़ा है, जिससे नई नौकरियां पैदा हुईं, लेकिन देश आज भी सोलर पैनलों के लिए दूसरे देशों पर बहुत ज्यादा निर्भर है। इसी तरह पवन ऊर्जा के कुल वैश्विक उत्पादन में यूरोप की हिस्सेदारी करीब 40 फीसदी है। साथ ही वो इनसे जुड़े उपकरणों का भी प्रमुख निर्यातक है। हालांकि अफ्रीका की भूमिका इस क्षेत्र में अभी भी बहुत सीमित है, लेकिन वहां भी इस क्षेत्र में नए रोजगार पैदा हो रहे हैं। इसी तरह मेक्सिको पवन टरबाइन ब्लेड का प्रमुख निर्यातक है। वहीं ब्राजील भी जैव ईंधन क्षेत्र में सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार दे रहा है। साथ ही सोलर और विंड क्षेत्र में भी नए रोजगार सृजित कर रहा है।

हमने महामारी के समय में लाखों लोगों से उनका रोजगार छिनते हुए देखा है। लेकिन जिस तरह से अक्षय ऊर्जा क्षेत्र से जुड़ी नौकरियों में जो इजाफा हुआ है वो एक सकारात्मक सन्देश देता है। जो दर्शाता है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था मौजूदा संकटों से उबरते हुए एक बार फिर पटरी पर लौटने लगी है।

रिपोर्ट के मुताबिक रोजगार के मामले में सौर ऊर्जा क्षेत्र बहुत तेजी से प्रगति कर रहा है। 2021 में, इस क्षेत्र ने करीब 43 लाख लोगों को रोजगार दिया था। इसी तरह पवन ऊर्जा के क्षेत्र में 13 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है, जबकि हाइड्रोइलेक्ट्रिसिटी के क्षेत्र में 24 लाख लोग सीधे तौर पर कार्यरत हैं। वहीं बायोफ्यूल के क्षेत्र में भी 24 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है।  

देखा जाए तो देश जलवायु परिवर्तन महामारी से उबरने और सप्लाई चैन में उत्पन्न बाधाओं को देखते हुए अपने यहां घरेलू स्तर पर नए रोजगार पैदा करने के लिए प्रयासरत हैं, जिसमें स्थानीय आपूर्ति श्रृंखलाओं पर भी खास ध्यान दिया जा रहा है।

ऊर्जा के महत्व को देखें तो औद्योगीकरण की दिशा में आगे बढ़ने के लिए अक्षय ऊर्जा काफी मायने रखती है। देखा जाए तो अक्षय ऊर्जा निर्यात क्षमताओं को विकसित करने में भी घरेलू बाजार काफी मायने रखता है।

रोजगार में आई इस वृद्धि के बारे में अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन के महानिदेशक गाय राइडर का कहना है कि यदि आंकड़ों से परे हटकर बात करें तो अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में हालात बेहतर हुए हैं। इस क्षेत्र में नए रोजगार पैदा करने के साथ-साथ रोजगार व कामकाज की गुणवत्ता और परिस्थितियों पर भी ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है, जोकि एक अच्छी बात है।

वहीं इस क्षेत्र में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी के बारे में उनका कहना है कि, “रोजगार में महिलाओं की बढ़ती हिस्सेदारी से यह संकेत मिलता है कि समर्पित नीतियों और प्रशिक्षण की मदद से इस क्षेत्र में महिलाओं की भागेदारी को महत्वपूर्ण स्तर पर बढ़ा सकते हैं, और सभी के लिये एक न्यायसंगत बदलाव हासिल हो सकता है।“

वहीं इंटरनेशनल रिन्यूएबल एनर्जी एजेंसी के महानिदेशक फ्रांसेस्को ला कैमेरा का इस बारे में कहना है कि तमाम चुनौतियों के बावजूद, अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में रोजगार के मामले में बेहतर कर रहा है। ऐसे में उन्होंने दुनिया भर के देशों से ऐसी औद्योगिक नीतियां बनाने और लागू करने की अपील की है, जिससे अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में रोजगार के विस्तार को प्रोत्साहन मिल सके।

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