पीएम सूर्य घर योजना: क्यों राजस्थान में सफलता से दूर है योजना, कहां आ रही हैं दिक्कतें

राजस्थान में अधिकारियों की अड़ियल रवैये के चलते लोग पीएम सूर्य घर योजना का लाभ चाहकर भी नहीं उठा पा रहे हैं
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फाइल फोटो: सीएसई
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प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना, भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य आवासीय क्षेत्र में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना है। इस योजना का लक्ष्य देश भर में 1 करोड़ घरों को सौर ऊर्जा से जोड़ना है।

राजस्थान में, फरवरी 2024 में उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री दीया कुमारी द्वारा प्रस्तुत अंतरिम बजट में पांच लाख घरों को सौर ऊर्जा से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया। हालाकि, राज्य की बिजली कपनियों (डिस्कॉम) के मौजूदा प्रयासों और प्रदर्शन को देखते हुए यह लक्ष्य सतही और अप्राप्य प्रतीत होता है।

6 मई, 2024 को एक वेबिनार में आरईसी लिमिटेड द्वारा बताए गए आंकड़ों ने योजना की प्रगति में महत्वपूर्ण विसंगतियों को उजागर किया।

आंकड़ों के मुताबिक गुजरात में प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना के तहत 1,33,717 आवेदन आए, जिसमें 26,012 यानी 19.45 प्रतिशत स्थापित हो चुके थे, जबकि राजस्थान में 72,671 आवेदन आए, लेकिन उसमें से केवल 1,275 यानी 1.75 प्रतिशत सोलर प्लांट ही स्थापित हो पाए। गुंजाइश होने के बावजूद राजस्थान में गुजरात की तुलना में केवल 50 प्रतिशत आवेदन मिले हैं और स्थापित सोलर प्लांटों की संख्या तो बहुत ही कम है।

इस विसंगति को देखते हुए राजस्थान में प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना के वांछित परिणामों के लिए तत्काल ध्यान देने और हस्तक्षेप की आवश्यकता है। लेकिन कई मुद्दे हैं जो इसके कार्यान्वयन में बाधा डालते हैं।

पहला मुद्दा, सहायक अभियंता (एईएन) कार्यालयों का रूखा व्यवहार है। डिमांड साइड मैनेजमेंट सेल के प्रयासों के बावजूद बिजली वितरण कंपनी (डिस्कॉम) के अधिकारियों के व्यवहार में बदलाव नहीं आ रहा है। यहां तक कि कई एईएन कार्यालय रूफटॉप सोलर और इसके प्राथमिकता के बारे में नवीनतम आदेशों से अनभिज्ञ हैं।

इससे उपभोक्ता और विक्रेता को दिक्कतों को सामना करना पड़ रहा है।

एक और बड़ा मुद्दा, नेट मीटरिंग की समयसीमा का पालन न करना है। हालांकि विक्रेता मात्र दो से तीन दिन के भीतर छत्तों पर सोलर प्लांट लगा देते हैं, लेकिन सरकारी प्रक्रिया में देरी के कारण प्लांट कमीशनिंग में एक महीने से अधिक समय लग जाता है।

डिस्कॉम द्वारा निर्धारित नेट मीटरिंग की समयसीमा मूल रूप से 80 दिन थी, जिसे 27 फरवरी, 2024 के आदेश द्वारा घटाकर 18 दिन कर दिया गया था। लेकिन आदेश के तीन महीने बीत जाने के बावजूद, किसी भी एईएन कार्यालय ने संशोधित समयसीमा का पालन नहीं किया है।

लोड एक्सटेंशन में लगने वाला समय एक और चिंता का विषय है। लगभग 70 प्रतिशत उपभोक्ताओं को अपनी सौर प्लांट की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लोड बढ़ाने की आवश्यकता होती है। लेकिन मौजूदा प्रक्रिया, जो अक्सर कागजी कार्रवाई में उलझी रहती है, को पूरा होने में महीनों लग सकते हैं, भले ही साइट पर केबल या मीटर में कोई बदलाव आवश्यक न हो।

जिन उपभोक्ताओं ने पीएम सूर्य घर योजना के तहत मार्च 2024 की शुरुआत में लोड एक्सटेंशन के लिए आवेदन किया था, वे डिस्कॉम से मंजूरी मिलने के लिए लंबित हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा गंभीर है, जहां एईएन कार्यालय के अधिकारी अक्सर ट्रांसफार्मर क्षमता पर्याप्त न होने के कारण लोड एक्सटेंशन के अनुरोधों को सीधे खारिज कर देते हैं। लोड एक्सटेंशन में ये प्रक्रियात्मक देरी राजस्थान में पीएम सूर्य घर योजना की सफलता में सबसे बड़ी बाधा साबित हो रही है।

आखिरी बाधा पीएम सूर्य घर पोर्टल में गड़बड़ियां हैं। पिछले दो महीनों से, पोर्टल में कई तरह की गड़बड़ियां आ रही हैं, जिसका असर उपभोक्ताओं, विक्रेताओं और डिस्कॉम अधिकारियों पर काफी पड़ रहा है।

हालांकि हाल ही में किए गए सुधारों ने उपभोक्ताओं के लिए समस्याओं को आंशिक रूप से हल कर दिया है, जिससे वे आवेदन जमा कर सकते हैं, लेकिन एईएन कार्यालय इन आवेदनों को आगे बढ़ने में अनिच्छुक हैं, क्योंकि पोर्टल पर पहुंच संबंधी समस्याएं हैं।

ऐसे कारणों की वजह से ही पीएम सूर्य घर योजना के तहत सौर परियोजनाओं की समय पर स्थापना और कमीशनिंग में बाधा उत्पन्न कर रही है।

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