पीएम कुसुम योजना: सरकार ने एक साल बाद किए कई बदलाव

जुलाई 2019 में शुरू हुई प्रधानमंत्री कुसुम योजना अब तक सिरे नहीं चढ़ पा रही थी, इसलिए इसमें कई बदलाव किए गए हैं
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केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम) योजना में कई बदलाव किया है। अब तक यह योजना सिरे नहीं चढ़ पाई है, इस वजह से जहां इसका दायरा बढ़ाया गया है, वहीं कई नियमों में संशोधन किए हैं। योजना के तीन घटक हैं। तीनों में ही फेरबदल किया गया हे।

घटक-ए में विकेंद्रीकृत ग्राउंड माउंटेड ग्रिड कनेक्टेड नवीकरणीय विद्युत संयंत्र की स्थापना की योजना है। अब इसमें चारागाह और दलदली भूमि के स्वामित्व वाले किसानों को शामिल करके दायरा बढ़ाया गया है। वहीं सौर संयंत्र के आकार को घटा दिया गया है, जिससे छोटे किसान इसमें हिस्सा ले सकें और पूर्णता अवधि नौ से बारह महीने तक बढ़ सके। इसके अलावा किसानों द्वारा कार्यान्वयन में आसानी के लिए हटाए गए उत्पादन में कमी पर जुर्माना लगाया गया है। घटक-ए में किए गए संशोधन इस प्रकार हैं-

1- बंजर, परती और कृषि भूमि के अलावा किसानों के चारागाह और दलदली भूमि पर भी सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए जा सकते हैं।

2- छोटे किसानों की मदद करने के लिए तकनीकी-व्यावसायिक व्यवहार्यता के आधार पर राज्यों द्वारा 500 किलोवाट से कम की सौर ऊर्जा परियोजनाओं की अनुमति दी जा सकती है।

3- चयनित नवीकरणीय पावर जनरेटर (आरपीजी) सौर ऊर्जा संयंत्र को लेटर ऑफ अवार्ड (एलओए) जारी करने की तिथि से 12 महीने के भीतर चालू कर देगा।

4- न्यूनतम निर्धारित क्षमता उपयोग कारक (सीयूएफ) से सौर ऊर्जा उत्पादन में कमी के लिए आरपीजी को कोई जुर्माना नहीं होगा।


घटक-बी में स्टैंडअलोन सोलर पावर्ड एग्रीकल्चर पंप्स की स्थापना की योजना है। इसमें अब जल उपयोगकर्ता संघों (डब्ल्यूयूए), किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ), प्राथमिक कृषि साख समितियों (पैक्स) को या क्लस्टर आधारित सिंचाई प्रणाली के लिए सौर पंप स्थापित करने और इसका उपयोग करने के लिए समूह में प्रत्येक व्यक्ति के लिए 5 एचपी क्षमता तक के 7.5 एचपी से अधिक के सौर पंप क्षमता के लिए सीएफए द्वारा अनुमति दी जाएगी। साथ ही, केंद्रीयकृत निविदा में भाग लेने के लिए पात्रता में भी संशोधन किया गया है।

अंतिम बोली के दौरान केवल सोलर पंप और सोलर पैनल निर्माताओं अगले पांच वर्षों के लिए गुणवत्ता और स्थापना के बाद की सेवाओं पर विचार करके बोली में हिस्सा लेने की अनुमति दी गई थी। कार्यान्वयन के दौरान यह देखा गया कि इन निर्माताओं के पास इस क्षेत्र में कार्यबल की कमी है और इसके लिए स्थानीय इंटीग्रेटरों पर निर्भर है। इस वजह से सोलर पंप्स की स्थापना में देरी हुई है। इस स्थिति को दूर करने के लिए और गुणवत्ता एवं स्थापना के बाद सेवाओं को सुनिश्चित करने के लिए अब इंटीग्रेटरों के साथ सोलर पंप/ सोलर पैनल/सोलर पंप कंट्रोलर के निर्माताओं को संयुक्त उद्यम की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है।

अब तक यह अनिवार्य था कि वेंडर के नाम पर जारी किए गए प्रत्येक प्रकार और श्रेणी के सोलर पंप के लिए परीक्षण प्रमाणपत्र उसके पास होना चाहिए। इसका परिणाम यह हुआ है कि एक ही सोलर वाटर पंपिंग प्रणाली के कई परीक्षण हुए हैं, जो न केवल समय लेने वाली और महंगी है, बल्कि, इसका कोई मूल्यवर्द्धन भी नहीं है। इसे दूर करने के लिए यह फैसला लिया गया है कि सोलर पंपिंग सिस्टम के लिए पहले से उपलब्ध परीक्षण प्रमाण पत्र का उपयोग अन्य संस्थापकों के लिए किया जा सकता है। हालांकि, इसके लिए उपयोगकर्ता को इसका उपयोग करने के लिए परीक्षण प्रमाणपत्र रखने वाले से लिखित सहमति लेना होगा।

स्टैंडअलोन सोलर पंप्स का उपयोग एक वर्ष में केवल 100-150 दिनों के लिए ही किया जाता है और बाकी अवधि के दौरान उत्पादित सौर ऊर्जा का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। सौर ऊर्जा का प्रभावी उपयोग करने के लिए यूपीएससी शुरू करने का प्रस्ताव लाया गया था, जो न केवल वाटर पंप चलाएगा बल्कि अन्य बिजली के उपकरण जैसे; शीत भंडार, बैटरी चार्जिंग, आटा चक्की आदि भी चला सकता है। यूपीएससी की स्थापना से किसानों की आय बढ़ेगी, जो पीएम-कुसुम योजना का उद्देश्य है।

घटक-सी के तहत ग्रिड से जुड़े कृषि पंपों वाले व्यक्तिगत किसानों को अपने पंपों को सोलराइज करने के लिए मदद दी जा रही है। इसके अलावा किसानों को सोलर पैनल उपलब्ध करवाया जाएगा। इससे वे उत्पादित सौर ऊर्जा से सिंचाई की जरूरतों को पूरा कर सकेंगे और बाकी सौर ऊर्जा की बिक्री कर सकेंगे। इनसे डिस्कॉम संबंधित राज्य/एसईआरसी द्वारा तय की जाने वाली प्रति निर्धारित दर पर अधिशेष बिजली की खरीदारी करेगी। इस योजना के तहत किलोवाट में पंप क्षमता के दोगुनी तक की सोलर पीवी क्षमता की अनुमति है।

इस योजना के दिशानिर्देशों में जल उपयोगकर्ता संघों और समुदाय/क्लस्टर आधारित सिंचाई प्रणाली द्वारा उपयोग किए जाने वाले अधिक क्षमता वाले पंपों के सोलराइजेश के लिए लागू सीएफए पर कुछ नहीं कहा गया है। अब मंत्रालय द्वारा स्पष्ट किया गया है कि जल उपयोगकर्ता संघों (डब्ल्यूयूए)/किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ)/ प्राथमिक कृषि साख समितियों (पैक्स) या क्लस्टर आधारित सिंचाई प्रणाली के लिए उपयोग किए जाने वाले ग्रिड से जुड़े पंपों के लिए समूह में प्रत्येक व्यक्ति को 5 एचपी तक की क्षंमता पर विचार करते हुए सीएफए को 7.5 एचपी से अधिक पंप क्षमता के सोलराइजेशन की अनुमति दी जाएगी।

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