सरकार के थिंक-टैंक, नीति आयोग ने ऊर्जा दक्षता और जलवायु-लचीलेपन के लिए जिम्मेदार, विभिन्न आयामों के प्रदर्शन के आधार पर देश का पहला राज्य ऊर्जा और जलवायु सूचकांक (एसईसीआई, राउंड 1) जारी किया है।
राउंड-1 का राष्ट्रीय औसत कुल मिलाकर 40.6 है। नीति आयोग के मुताबिक, ‘आधे से ज्यादा राज्यों ने राष्ट्रीय औसत से ज्यादा अंक हासिल किए हैं। इसका मतलब यह है कि बाकी बचे आधे राज्यों का प्रदर्शन राष्ट्रीय औसत से कम है, जो हमें हतोत्साहित करने वाला है।
तीन केंद्र-शासित प्रदेशों और दो राज्यों ने 50 से ज्यादा अंक हासिल किए हैं। केंद्र-शासित प्रदेशों में चंडीगढ़, दिल्ली, दमन-दीव और दादरा नगर-हवेली शामिल हैं जबकि गुजरात और गोवा राज्यों का प्रदर्शन सबसे बेहतर रहा है।’
सूचकांक में प्रदर्शन, छह मानकों के समग्र प्रदर्शन पर आधारित है। ये हैं- बिजली वितरण कंपनियों का प्रदर्शन, पहुंच, सामर्थ्य और ऊर्जा की विश्वसनीयता, स्वच्छ ऊर्जा पहल, ऊर्जा दक्षता, पर्यावरण स्थिरता और नई पहल। हर मानक की जांच के लिए कई तरह के संकेतक तय किए गए थे। ऐसे संकेतकों की तादाद 27 है।
नीति आयोग के मुताबिक, ‘राज्य ऊर्जा और जलवायु सूचकांक ऐसा पहला सूचकांक है, जिसका मकसद राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों में जलवायु और ऊर्जा के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों का पता लगाना है। हम उम्मीद करते हैं कि अलग-अलग राज्यों के गहन विश्लेषण से ऊर्जा के विभिन्न मापदंडों पर हमें विभिन्न सेवाओं के वितरण को बढ़ाने में मदद मिलेगी।’
चंडीगढ़ ने देश में सबसे ज्यादा स्कोर (55.7) किया है जबकि लक्षद्वीप का स्कोर सबसे कम (26.9) है।
सूचकांक में राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों को तीन श्रेणियों में रखा गया है। शीर्ष पर रहने वाले एक तिहाई राज्यों को ‘आगे रहनेे वाले’, बीच के एक तिहाई को कुछ हासिल करने वाले यानी ‘मध्यम’ और आखिर के एक तिहाई राज्यों को ‘भविष्य में बेहतर करने वाले ’ की श्रेणी में जगह दी गई है।
ऊर्जा और जलवायु सूचकांक के मुताबिक, बड़े राज्यों में गुजरात, केरल, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और महाराष्ट्र को ‘आगे रहनेे वाले’ की श्रेणी में रखा गया है। हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, असम, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे राज्य कुछ हासिल करने वाले यानी ‘मध्यम’ श्रेणी में हैं।
बाकी बचे राज्य ‘भावी’ की श्रेणी में हैं, जिनके लिए नीति आयोग ने कहा है कि उनके पास आने वाले सालों में बेहतर प्रदर्शन करने के तमाम अवसर उपलब्ध हैं।
हालांकि, उच्चतम स्कोर के बावजूद, गुजरात ने दो मापदंडों-पर्यावरणीय स्थिरता और नई पहल के मामले में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है।
अंतिम एसईसीआई स्कोर यह दर्शाता है कि छोटे राज्यों में, गोवा और त्रिपुरा सबसे आगे हैं, मणिपुर उपलब्धि हासिल करने वाला राज्य है जबकि बाकी छोटे राज्य ‘भविष्य में बेहतर की संभावना वाले’ राज्यों की श्रेणी में आते हैं। जहां तक पर्यावरणीय स्थिरता और पहुंच का सवाल है, सभी छोटे राज्य 55 - 40 की रेंज में स्कोर के साथ औसत प्रदर्शन कर रहे हैं।
सामर्थ्य और विश्वसनीयता के क्षेत्र में उनका स्कोर 60 से 30 के बीच है, यह भी औसत प्रदर्शन ही है। केंद्र-शासित प्रदेशों में चंडीगढ़, दिल्ली और पुड्डुचेरी ने बेहतर प्रदर्शन किया है, जिसके चलते उन्हें ‘आगे रहने वाले’, की श्रेणी में रखा गया है।
पर्यावरणीय स्थिरता के मापदंड पर छोटे राज्यों ने बाकी राज्यों से बेहतर प्रदर्शन किया है। पर्यावरणीय स्थिरता मापदंड के चार संकेतक हैं - सकल राज्य घरेलू उत्पाद की ऊर्जा तीव्रता, अक्षय ऊर्जा क्षमता का उपयोग, वन आवरण में फीसदी में आया परिवर्तन, और वन कार्बन स्टॉक।
नीति आयोग के मुताबिक, ‘ सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, गोआ, मणिपुर और नगालैंड जैसे ज्यादातर छोटे राज्यों ने पर्यावरणीय स्थिरता की श्रेणी में 40 से ज्यादा अंक हासिल किए हैं, जिसके चलते सभी छोटे राज्यों का इस श्रेणी में प्रदर्शन बेहतर रहा है। जैसे - इस श्रेणी में हिमाचल प्रदेश का स्कोर 52.1, सिक्किम का 52.2 और चंडीगढ़ का 62.2 है।