
इंडियन रीन्यूबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (आईआरईडीए यानी इरडा) ने नव और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) के साथ 2025-26 के लिए परफॉर्मेंस आधारित समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। इस एमओयू में आने वाले वित्तीय वर्ष के लिए 8,200 करोड़ रुपए का राजस्व लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
प्रेस रिलीज के मुताबिक, यह समझौता 25 अगस्त, 2025 को नई दिल्ली स्थित अटल अक्षय ऊर्जा भवन में आईआरडीईए के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक (सीएमडी) प्रदीप कुमार दास और एमएनआरई के सचिव संतोष कुमार सारंगी ने वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में किया गया।
यह एमओयू सरकार की उस रणनीतिक दिशा का हिस्सा है, जिसके तहत देश में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र को और अधिक गति देने का लक्ष्य रखा गया है।
इस एमओयू के तहत वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए राजस्व से जुड़े मुख्य लक्ष्य तय किए गए हैं। सरकार ने इस वर्ष 8,200 करोड़ रुपए का ऑपरेशनल रेवेन्यू लक्ष्य रखा है। पिछले वित्त वर्ष में आईआरईडीए ने शानदार प्रदर्शन करते हुए निर्धारित लक्ष्य से बेहतर परिणाम हासिल किए थे।
कंपनी ने 2024-25 में 6,743.32 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त किया, जबकि लक्ष्य 5,957 करोड़ रुपए का था।
एमओयू में केवल राजस्व लक्ष्य ही नहीं बल्कि कई अन्य महत्वपूर्ण वित्तीय और संचालन मानकों को भी शामिल किया गया है। इनमें रिटर्न ऑन नेट वर्थ, रिटर्न ऑन कैपिटल एम्प्लॉयड, एनपीए टू टोटल लोन, एसेट टर्नओवर रेशियो और ईबीटीडीए जैसे मानक शामिल हैं। इन मापदंडों पर कंपनी के प्रदर्शन का मूल्यांकन किया जाएगा।
आईआरईडीए के सीएमडी प्रदीप कुमार दास ने कहा , “हम इस साल भी बेहतरीन प्रदर्शन की उम्मीद रखते हैं और उत्कृष्टता के हमारे ट्रैक रिकॉर्ड को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
गौरतलब है कि आईआरईडीए को पिछले चार वित्तीय वर्षों से लगातार ‘एक्सीलेंट’ रेटिंग प्राप्त हो रही है। वित्त वर्ष 2023-24 के एमओयू मूल्यांकन में कंपनी एनबीएफसी और पावर सेक्टर की टॉप परफॉर्मर रही। इतना ही नहीं, यह सभी सेक्टर्स के 84 सीपीएसई में शीर्ष चार कंपनियों में शामिल रही, जिसकी सूची लोक उद्यम विभाग ने जारी की थी।
आईआरईडीए देश में नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के वित्तपोषण में अग्रणी संस्थान है। कंपनी सौर, पवन, बायोमास, हाइड्रो जैसे विभिन्न अक्षय ऊर्जा क्षेत्रों में निवेश बढ़ावा देने के लिए दीर्घकालिक और प्रतिस्पर्धी दरों पर ऋण उपलब्ध कराती है। सरकार की ‘नेट जीरो’ रणनीति को ध्यान में रखते हुए, आने वाले वर्षों में इसकी भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाएगी।
सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित की जाए और 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन प्राप्त किया जाए। इस दिशा में निवेश और वित्तीय संसाधन जुटाने में आईआरईडीए का योगदान अहम रहेगा।
यह एमओयू ऐसे समय में हुआ है जब देश नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए बड़े पैमाने पर निवेश आकर्षित करने की तैयारी कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि तय किए गए लक्ष्य और प्रदर्शन मानक न केवल कंपनी की पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाएंगे, बल्कि निवेशकों के विश्वास को भी मजबूत करेंगे।