पर्यावरण मानकों को पूरा करने वाले थर्मल प्लांट को दिया जाए इंसेंटिव: सीएसई

सीएसई ने कहा है कि 65 फीसदी थर्मल प्लांट 2022 तक पर्यावरण मानकों को लागू नहीं कर पाएंगे
तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। Photo: wikimedia commons
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सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) की नई रिपोर्ट में पर्यावरण मानकों का पालन करने वाले कोयला आधारित पावर प्लांट्स को इंसेंटिव देने की सिफारिश की है। साथ ही, जो पावर प्लांट्स पर्यावरण मानकों की पालना नहीं कर रहे हैं, उन्हें दंडित करने को कहा है।

सीएसई 21 अक्टूबर को एक वैबनार में एक अपनी यह रिपोर्ट जारी करेगा। यह रिपोर्ट "फर्स्ट रन" अवधारणा पर आधारित है, जिसमें कहा गया है कि स्वच्छ पावर स्टेशन को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। ताकि 2015 में निर्धारित उत्सर्जन मानकों की डेडलाइन का लक्ष्य हासिल किया जा सके।

सरकार ने स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन के लिए कई कदम उठाए हैं। खासकर अक्षय ऊर्जा उत्पादन की दिशा में महत्वपूर्ण काम किया गया। बावजूद इसके, अभी भी कोयले से चलने वाले पावर प्लांट्स का कुल बिजली उत्पादन में 89 फीसदी हिस्सेदारी है। अभी कोयले से चलने वाले पावर प्लांट्स की उत्पादन क्षमता 2,05,312 मेगावाट है।

भारत में कोयले से चलने वाले थर्मल प्लांट्स प्रदूषण का एक बड़ा कारण माना जाता है, इसलिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने 7 दिसंबर 2015 में थर्मल पावर प्लांट्स के लिए पर्यावरण मानकों की घोषणा की थी और कहा था कि सभी थर्मल प्लांट्स को 2017 तक इन मानकों के मुताबिक बिजली उत्पादन करना होगा।

पावर इंडस्ट्री ने इन मानकों को पूरा करने में असमर्थता जताई तो सरकार ने 2022 तक का समय दे दिया, ताकि सभी थर्मल प्लांट्स आवश्यक बदलाव कर पर्यावरण मानकों की अनुपालन सुनिश्चित करें।

हाल ही में सीएसई ने एक व्यापक अध्ययन के बाद रिपोर्ट जारी की और कहा कि तय डेडलाइन तक लगभग 65 फीसदी पावर प्लांट पर्यावरण मानकों को लागू नहीं कर पाएंगे, जबकि 35 फीसदी प्लांट इस पर खरे उतर पाएंगे।

अब सीएसई ने कहा है कि जो थर्मल प्लांट पर्यावरण मानकों को पूरा करने में तत्परता दिखा रहे हैं, उन्हें सरकार की ओर से इंसेंटिव दिए जाने चाहिए। खासकर इन प्लांट से बिजली खरीदने में प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इससे ये प्लांट अपनी पूरी क्षमता से चलेंगे।

सीएसई ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि जो थर्मल प्लांट पर्यावरण मानकों को पूरा करने में तत्परता नहीं दिखा रहे हैं, ऐसे प्लांट के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए।

सीएसई ने इससे पहली अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि भारत में  कोयला से चलने वाले पावर प्लांट अन्य उद्योगों की तुलना में सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाते हैं। पूरी इंडस्ट्री से जितने पीएम का उत्सर्जन होता है, उनमें से 60 प्रतिशत उत्सर्जन थर्मल प्लांट्स से होता है। इसी तरह कुल सल्फर डाई-ऑक्साईड उत्सर्जन का 45 प्रतिशत, कुल नाइट्रोजन के उत्सर्जन का 30 प्रतिशत तथा कुल पारा के उत्सर्जन का 80 प्रतिशत थर्मल प्लांट्स से होता है। 

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