अगले पांच साल में देश में दोगुनी हो जाएगी खारी जमीन, सरकार ने दी जानकारी

कृषि मंत्री ने सदन को बताया कि जलवायु परिवर्तन की वजह से लवणता प्रभावित क्षेत्र भी 2030 तक 6.7 मिलियन हेक्टेयर से बढ़कर 11 मिलियन हेक्टेयर होने का अनुमान है।
अगले पांच साल में देश में दोगुनी हो जाएगी खारी जमीन, सरकार ने दी जानकारी
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कृषि पर जलवायु परिवर्तन के असर को लेकर सदन में पूछे गए एक पश्न के उत्तर में आज, ग्रामीण विकास और कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लोकसभा में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) अध्ययन का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि आईसीएआर ने मिट्टी के क्षरण, वर्षा पैटर्न प्रक्षेपण और फसल की पैदावार पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का आकलन करने के लिए सिमुलेशन मॉडलिंग अध्ययन किया है।

बारिश में होने वाली इस वृद्धि के चलते 2050 तक फसल भूमि से 10 टन प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष की मिट्टी का नुकसान होगा। वहीं अनुमान है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से लवणता प्रभावित क्षेत्र भी 2030 तक 6.7 मिलियन हेक्टेयर से बढ़कर 11 मिलियन हेक्टेयर होने का अनुमान है।

सौर ऊर्जा उत्पादन उपकरणों की लागत

सदन में उठे एक अन्य सवाल के लिखित जवाब में आज, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा और बिजली राज्य मंत्री श्रीपद येसो नाइक ने राज्यसभा में बताया कि पिछले कुछ सालों में देश में सौर ऊर्जा उत्पादन उपकरणों, यानी सौर पीवी मॉड्यूल की लागत में काफी कमी आई है। वर्तमान में यह 15-25 रुपये प्रति वाट की रेंज में है, जो इसे अन्य जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा स्रोतों की तुलना में ऊर्जा का एक सस्ता स्रोत बनाता है।

देश में स्थापित सौर ऊर्जा क्षमता भी तेजी से बढ़ रही है। साल 2023-24 के दौरान, लगभग 15 गीगावाट सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित की गई, जबकि वर्ष 2024-25 के दौरान, 31 जनवरी, 2025 तक लगभग 18.5 गीगावाट पहले ही स्थापित की जा चुकी है।

देश में कालाजार रोग

आज, संसद में उठाए गए एक सवाल के उत्तर में, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने राज्यसभा में कहा कि भारत में कालाजार के चार राज्यों बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश को शामिल किया गया है।

इन राज्यों के 54 जिलों के सभी 633 कालाजार प्रभावित ब्लॉकों में रोग की घटनाओं को प्रति 10,000 जनसंख्या पर एक से भी कम तक कम करके 2023 में कालाजार उन्मूलन का लक्ष्य हासिल कर लिया है। 2027 में डब्ल्यूएचओ प्रमाणन के लिए पात्र होने के लिए इस स्थिति को तीन साल की अवधि तक बनाए रखना होगा।

स्तन कैंसर से जुड़े रसायन

स्तन कैंसर से जुड़े केमिकल को लेकर सदन में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में आज, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री प्रताप राव जाधव ने राज्यसभा में स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख में स्थित फूड पैकेजिंग फोरम फाउंडेशन द्वारा किए गए एक अध्ययन का हवाला दिया। अध्ययन में पाया गया कि 909 संभावित स्तन कैंसरकारी तत्वों में से 189 (21 फीसदी) खाद्य संपर्क सामग्री (एफसीएम) में मौजूद थे, जिनमें से 30 में कृंतक मॉडल में प्रत्यक्ष कैंसरकारी तत्व पाए गए और 67 में जीनोटॉक्सिसिटी के कारण संदेह था।

हालांकि यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये निष्कर्ष संभावित खतरों की चेतावनी देते हैं, लेकिन सटीक तंत्र और मानव स्वास्थ्य के लिए इनको समझने के लिए आगे शोध जरूरी है। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसआई) को खाद्य पदार्थों के लिए विज्ञान आधारित मानक निर्धारित करने और मानव उपभोग के लिए सुरक्षित और पौष्टिक भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उनके निर्माण, भंडारण, वितरण, बिक्री और आयात को विनियमित करने का अधिकार है।

कर्नाटक में कैंसर के मामले

सदन में उठाए गए एक और सवाल के लिखित जवाब में आज, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने राज्यसभा में बताया कि किदवई मेमोरियल इंस्टीट्यूट ऑफ ऑन्कोलॉजी द्वारा 2024 में जारी अस्पताल सांख्यिकी की वार्षिक व मासिक समीक्षा: 2020-2023 के अनुसार, कर्नाटक में हाल के वर्षों में लगभग 87,000 नए कैंसर के मामले होने का अनुमान है।

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) - राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम (आईसीएमआर-एनसीआरपी) के आंकड़ों के अनुसार, कर्नाटक में कैंसर के मामलों की संख्या बढ़ रही है।

देश में ग्रीन हाइड्रोजन मिशन

आज संसद सत्र के दौरान सदन में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा और बिजली राज्य मंत्री श्रीपद येसो नाइक ने राज्यसभा में बताया कि नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को क्रियान्वित कर रहा है। इसका उद्देश्य भारत को ग्रीन हाइड्रोजन और इसके डेरिवेटिव के उत्पादन, उपयोग और निर्यात का वैश्विक केंद्र बनाना है।

भारत की ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता 2030 तक 50 लाख मीट्रिक टन प्रति वर्ष तक पहुंचने की संभावना है। ग्रीन हाइड्रोजन की 4,12,000 टन प्रति वर्ष उत्पादन क्षमता आवंटित की गई है, जबकि इलेक्ट्रोलाइजर निर्माण क्षमता 3,000 मेगावाट प्रति वर्ष निर्धारित की गई है।

असम में बांस की खेती

असम में बांस की खेती को लेकर सदन में उठे एक सवाल के जवाब में आज, कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने लोकसभा में कहा कि पुनर्गठित राष्ट्रीय बांस मिशन (एनबीएम) के तहत, गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री जुटाने के लिए 2018-19 से असम में 10 बांस की नर्सरी स्थापित की गई।

इसके माध्यम से पौधे उत्पादन क्षमता बढ़कर 2.5 लाख प्रति वर्ष हो गई है। तब से राज्य में 1856 हेक्टेयर क्षेत्र को बांस की खेती के अंतर्गत लाया गया है। इसके अलावा, दर्ज वनों में असम का कुल बांस-असर वाला क्षेत्र 2021 में 10,659 वर्ग किमी से बढ़कर 2023 में 11246 वर्ग किमी हो गया है।

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