जैव विविधिता को नुकसान पहुंचा रही हैं चीन की हाइड्रोपावर कंपनियां

दुनिया के आधे से अधिक बांध बनाने वाली चीन की हाइड्रो पावर कंपनियों पर गंभीर आरोप लगे हैं
जैव विविधिता को नुकसान पहुंचा रही हैं चीन की हाइड्रोपावर कंपनियां
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दुनिया के आधे से ज्यादा बांधों का निर्माण करने वाली चीन की दो हाइड्रोपावर कंपनियां पारिस्थितिक रूप से संवेदशनशील क्षेत्रों और दुर्लभ प्रजातियों को ऐसा नुकसान पहुंचा रही हैं, जिसकी भरपाई नहीं हाे पाएगी। इन दो कंपनियों का नाम पावर चाइना और चाइना थ्री गॉर्जेस है। 

एक स्वयंसेवी संस्था इंटरनेशनल रिवर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इन कंपनियां ने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले प्रोजेक्ट्स को हटाने के लिए नो-गो पॉलिसीज को परिभाषित किया है।

इस रिपोर्ट में इन दोनों कंपनियों के 6 प्रोजेक्ट का अध्ययन किया गया। अध्ययन में पाया गया कि इन प्रोजेक्ट्स ने जैव विविधता के लिए सुरक्षित रखे गए क्षेत्र को नुकसान पहुंचाया है। ये बायोडायवर्सिटी में होने वाले नुकसान में तेजी लाए हैं, जिससे इन क्षेत्रों में रहने वाले स्वदेशी लोगों के हितों को नुकसान पहुंचा है।

इन कंपनियों ने ऐसे बांध बनाए हैं जिन्होंने गंभीर रूप से विलुप्ति की कगार पर मौजूद बंदरों की प्रजाति को प्रभावित किया है।

इंटरनेशनल रिवर्स के पॉलिसी डायरेक्टर जोशुआ क्लेम ने कहा कि- हम एक चिंताजनक ट्रेंड देख रहे हैं जहां नए बांधों के चलते जेव विविधता पर पड़ने वाले असर की गति और पैमाना दोनों ही बदतर होते जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि उनकी चिंता सिर्फ चीनी सरकार की कंपनियों को लेकर नहीं है, बल्कि पूरे ही सेक्टर को लेकर है भले ही हाइड्रोपावर कंपनियां कितना भी झूठा दावा करें कि उनके प्रोडक्ट दीर्घकालिक हैं।

"एडवांसिंग इकोलॉजिकल सिविलाइजेशन?' नाम की इस रिपोर्ट को 14 अक्टूबर 2021 को ग्लोबल कन्वेंशन ऑन बायोलॉजिकल डायवर्सिटी ट्रीटी की दो साल में एक बार होने वाली कॉन्फ्रेंस में लॉन्च किया गया।

कितना नुकसान हुआ?

इन बांधों के चलते 1970 से अब तक मीठे पानी में मिलने वाली प्रजातियों में से 84 फीसदी का नुकसान हुआ।

रिपोर्ट में पाया गया कि तंजानिया में पावरचाइना के अंतगर्त आने वाली कंपनी सीनोहाइड्रो ने सेलॉस गेम रिजर्व के बीचोंबीच जुलियस नायरेरे बांध बनाया था। सेलॉस गेम रिजर्व UNESCO की वर्ल्ड हेरिटेज साइट है, जिसे बायोडावर्सिटी के हॉटस्पॉट और अफ्रीकी वन्य जीवों के लिए संरक्षित क्षेत्र के तौर पर चिन्हित किया गया है। इसे बनाने के लिए 969 मिलियन डॉलर का कॉन्ट्रैक्ट सीनोहाइड्रो कंपनी को दिया गया था।

यह कंपनी ठीक ऐसे ही दो और भी कॉन्ट्रोवर्शियल प्रोजेक्ट्स में शामिल थी। गिनिया में कूकूटाम्बा बांध के चलते गंभीर संकटग्रस्त 1500 पश्चिमी चिम्पान्जियों की मृत्यु होने की आशंका है।

सीनाेहाइड्रो ने उत्तरी सुमात्रा में भी बातांग तोरू बांध बनाने का कॉन्ट्रैक्ट जीता था। इस बांध को लेकर वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी थी कि इसके चलते हाल ही में खोजी गई बंदरों की एक प्रजाती तापानुली ऑरान्गुटान की विलुप्ती का खतरा कई गुना बढ़ सकता है।

तापानुली ऑरान्गुटान की खोज से पहले भी यह क्षेत्र बायोलॉजिकल विविधता के लिए जाना जाता था।

इन दोनों ही प्रोजेक्ट्स को लेकर जनता ने काफी विरोध प्रदर्शन किया लेकिन संबंधित प्रशासन ने दोनों को हरी झंडी दिखा दी।

इस रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि जैवविविधता को लेकर कंपनी की पॉलिसी और काम करने का तरीका अंतरराष्ट्रीय मानमों से कहीं नीचे है। रिपोर्ट में पाया गया कि नुकसान पहुंचाने वाले प्रोजेक्ट्स की पहचान करने के तरीके भी पर्याप्त नहीं हैं।

आगे क्या हो सकता है‌?

हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन में सामने आया है कि 509 बांध संरक्षित क्षेत्रों में बनने वाले हैं, इनमें अगले दो दशकों में बनने वाले या फिलहाल निर्माणाधीन 14 फीसदी बांधों को भी शामिल किया गया है। यह उन 1,249 बांधों के अतिरिक्त होंगे जो पहले से ही संरक्षित क्षेत्रों में मौजूद हैं।

तकरीबन आधे से ज्यादा बांध या तो संरक्षित क्षेत्र पर बने थे या संरक्षित क्षेत्र पर उनका प्रभाव पड़ रहा था।

रिपोर्ट के मुताबिक, बायोडायवर्सिटी पर पड़ने वाले प्रभावों को कम करने के लिए कंपनियों और सरकारी नीति निर्माताओं को गंभीर कदम उठाने की जरूरत है। जैसे-

  1. ऐसी पॉलिसियों को बनाना और उनका पालन करना जिससे संरक्षित क्षेत्रों या मुक्त बहने वाली नदियों पर बांध का बनना रोका जा सके।
  2. ऐसे प्रोजेक्ट्स को रोकना जिससे गंभीर रूप से विलुप्ती की कगार पर खड़ी प्रजातियों पर प्रभाव पड़े।
  3. बांध बनने वाली जगह पर रहने वाले स्वदेशी लोगों को प्रभावित करने वाले प्राजेक्ट्स के बारे में उनसे स्वीकृति लेने के बाद ही बांध बनाया गया।

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