
देश में सरकारी स्वामित्व वाली दो हरित ऊर्जा में निवेश करने वाली कंपनियों नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनएचपीसी) और एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी द्वारा बांड के जरिए पूंजी जुटाने का कदम उठा रही हैं। यह कदम नवीकरणीय ऊर्जा में दीर्घकालिक निवेश के तहत उठाया जा रहा है।
एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी ने पहली बार स्थानीय मुद्रा यानी रुपए में बॉन्ड जारी करने की योजना बना रही है। यह उसकी पहली घरेलू बॉन्ड बिक्री होगी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी 2,000 करोड़ से 3,000 करोड़ रुपए तक के बॉन्ड अगले 5 या 10 साल की परिपक्वता अवधि के साथ जारी करने की योजना बना रही है। इससे पहले कंपनी ने 2024 के अंत में 120 डॉलर करोड़ का आईपीओ जारी किया था, लेकिन घरेलू बॉन्ड बाजार में यह उसकी डायरेक्ट डेब्यू एंट्री मानी जा रही है।
वहीं एनएचपीसी के लिए यह पहली बार नहीं है। कंपनी ने इससे पहले भी मई 2025 में 1,945 रुपए करोड़ जुटाए थे और अब वह छोटी अवधि (2-3 साल) वाले बॉन्ड से 2,000 करोड़ रुपए और जुटाने जा रही है।
जैसे-जैसे भारत नवीकरणीय ऊर्जा की ओर बढ़ रहा है, पवन, सौर और जलविद्युत परियोजनाओं के लिए दीर्घकालिक निवेश की मांग तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में कंपनियों को बड़े पैमाने पर फंडिंग की जरूरत है। वहीं, फरवरी से अब तक भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नीति दरों में 100 आधार अंक की कटौती की गई है, जिससे बाजार में सस्ते ऋण की उपलब्धता बढ़ी है। इसके साथ ही सिस्टम में तरलता होने से निवेशकों की बॉन्ड में दिलचस्पी बढ़ी है, जिससे कंपनियों को बेहतर शर्तों पर पूंजी जुटाने का अवसर मिला है। वहीं, कंपनियों की क्रेडिट रेटिंग और नकदी प्रवाह की मजबूती बनी हुई है।
विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकारी स्वामित्व वाली इन दोनों कंपनियों ने अगस्त महीने में 4,500 करोड़ रुपए की संयुक्त राशि बाजार से जुटाने जा रही हैं। यह पूंजी दोनों कंपनियां शॉर्ट-टर्म बॉन्ड के माध्यम से एक सुव्यवस्थित रणनीति के तहत हासिल करेंगी, जो न केवल उनकी विस्तार योजनाओं को मजबूती देगी, बल्कि मौजूदा ब्याज दर की संरचना का वित्तीय लाभ भी सुनिश्चित करेगी।
एनएचपीसी लगभग 2,000 करोड़ दो से तीन वर्ष की अवधि वाले बॉन्ड्स के जरिए जुटाने की योजना बना चुकी है और इसकी बिक्री प्रक्रिया एनटीपीसी ग्रीन से पहले शुरू होने की संभावना है। मई की शुरुआत में भी एनएचपीसी ने छह से 15 वर्षों की परिपक्वता वाले विशेष रूप से डिजाइन किए गए बॉन्ड्स ("सेपरेटली ट्रांसफरेबल रिडीमेबल प्रिंसिपल पार्ट") के जरिए 1,945 करोड़ जुटाए थे।
मीडिया रिपोर्टस में बताया गया है कि विशेषज्ञों के अनुसार, वर्तमान मौद्रिक वातावरण में छोटी अवधि के बॉन्ड्स एनएचपीसी के लिए अधिक व्यावहारिक हैं क्योंकि कंपनी की परिचालन नकदी प्रवाह स्थिर है और वह बिना लंबी अवधि का ऋण बोझ उठाए अपने विकास को गति दे सकती है। बॉन्ड के माध्यम से पूंजी जुटाना इस बात का संकेत है कि ये कंपनियां बदलते वित्तीय परिवेश में अवसरों को भुनाने के लिए तैयार हैं और भारत की ऊर्जा क्रांति में स्थिर और दीर्घ निवेश चाहती हैं।
भारत सरकार ने नवीकरणीय ऊर्जा को लेकर 2030 तक 500 गीगावाट ऊर्जा का लक्ष्य रखा है।