जीवाश्म ईंधन के जलने पर कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) और जहरीली गैसें छोड़ते हैं, जिससे ग्लोबल वार्मिंग और वायु प्रदूषण बढ़ता है।
जीवाश्म ईंधन के जलने पर कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) और जहरीली गैसें छोड़ते हैं, जिससे ग्लोबल वार्मिंग और वायु प्रदूषण बढ़ता है। फोटो साभार: आईस्टॉक

वैश्विक ऊर्जा स्वतंत्रता दिवस: दुनिया 80 फीसदी से अधिक ऊर्जा के लिए जीवाश्म ईंधनों पर निर्भर है

ऊर्जा के सबसे आम स्रोतों में तेल, कोयला और गैस शामिल हैं। इन ऊर्जाओं को जीवाश्म ईंधन कहा जाता है और ये वायु और जल प्रदूषण, भूमि क्षरण और ग्लोबल वार्मिंग जैसी कई पर्यावरणीय चिंताओं को जन्म देती हैं।
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हर साल 10 जुलाई को वैश्विक ऊर्जा स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। लगभग हर चीज में ऊर्जा का उपयोग होता हैं चाहे वह ऑटोमोबाइल हो, गर्म करने, घरेलू उपकरण और भी सारी चीजें हैं जहां ऊर्जा की जरूरत पड़ती है। बिजली के बिना आधुनिक दुनिया की कल्पना करना लगभग असंभव है।

ऊर्जा के सबसे आम स्रोतों में तेल, कोयला और गैस शामिल हैं। इन ऊर्जाओं को जीवाश्म ईंधन कहा जाता है और ये वायु और जल प्रदूषण, भूमि क्षरण और ग्लोबल वार्मिंग जैसी कई पर्यावरणीय चिंताओं को जन्म देती हैं।

वर्ल्ड एनर्जी रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में 82 फीसदी प्राथमिक ऊर्जा खपत जीवाश्म ईंधनों से होती है। इनका उपयोग बिजली पैदा करने और इंजनों को चलाने के लिए किया जाता है, साथ ही इन्हें सीधे इस्तेमाल के लिए, जैसे कि गर्म करना या खाना बनाना, ऊष्मा उत्पन्न करने के लिए भी जलाया जाता है।

जीवाश्म ईंधन पूरे इतिहास में मानव विकास के लिए महत्वपूर्ण रहे हैं, लेकिन इनमें कई कमियां भी हैं। सबसे पहले, इन्हें बनने में लाखों साल लगते हैं और इसलिए इन्हें अक्षय नहीं माना जाता है। हम जीवाश्म ईंधन के भंडार को खतरनाक दर से खत्म कर रहे हैं और निकट भविष्य में नए जीवाश्म ईंधन का उत्पादन होना कठिन है।

दूसरा, जीवाश्म ईंधन के जलने पर कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) और जहरीली गैसें छोड़ते हैं, जिससे ग्लोबल वार्मिंग और वायु प्रदूषण बढ़ता है। तीसरा, कुछ देश जो जीवाश्म ईंधन के प्रमुख निर्यातक हैं, वे इसका इस्तेमाल भू-राजनीतिक फायदे के लिए करते हैं। यहां तक कि संसाधन अभिशाप नामक एक परिघटना भी है जो कुछ परिस्थितियों में प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता वाले कुछ देशों को प्रभावित करती है।

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जीवाश्म ईंधन के जलने पर कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) और जहरीली गैसें छोड़ते हैं, जिससे ग्लोबल वार्मिंग और वायु प्रदूषण बढ़ता है।

जलवायु परिवर्तन को कम करने और ऊर्जा सुरक्षा एवं स्वतंत्रता हासिल करने की जरूरत को देखते हुए नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने की प्रक्रिया शुरू हुई। इसका अंतिम लक्ष्य तापन, यातायात और अन्य क्षेत्रों में जीवाश्म ईंधनों के स्थान पर स्थायी ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करना है। नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल विद्युत, जैव ऊर्जा और भूतापीय ऊर्जा शामिल हैं।

इनमें से कुछ नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत दशकों से जाने-पहचाने और इस्तेमाल किए जा रहे हैं। पिछले कुछ सालों में स्थिति बदल गई है और नवीकरणीय ऊर्जा जीवाश्म ईंधनों के साथ अधिक से अधिक प्रतिस्पर्धी होती जा रही है। इसलिए यह दिन वैकल्पिक ऊर्जा के रूपों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने प्रोत्साहित करता है।

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वैश्विक ऊर्जा स्वतंत्रता दिवस की बात करें तो इसकी शुरुआत 2006 में अमेरिकी राजनीतिज्ञ, लॉस एंजिल्स काउंटी के तत्कालीन मेयर और लॉस एंजिल्स काउंटी बोर्ड ऑफ सुपरवाइजर्स के सदस्य माइकल डी. एंटोनोविच ने की थी।

उन्होंने 10 जुलाई की तारीख निकोला टेस्ला के जन्मदिन के उपलक्ष्य में चुनी थी, जो एक सर्बियाई-अमेरिकी आविष्कारक और इंजीनियर थे और प्रत्यावर्ती धारा के साथ अपने प्रयोगों के लिए जाने जाते थे, जिसने आधुनिक एसी बिजली आपूर्ति प्रणाली को आकार देने में मदद की।

वैश्विक ऊर्जा स्वतंत्रता दिवस पर, नवीकरणीय ऊर्जा संगठन आम जनता में नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा स्वतंत्रता के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। यह वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों के बारे में अधिक जानने और यह जानने का एक आदर्श अवसर है कि आप व्यक्तिगत रूप से अधिक ऊर्जा कुशल कैसे बन सकते हैं।

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