लॉकडाउन से बिजली की मांग 22 फीसदी गिरी, तमिलनाडु-गुजरात में सबसे ज्यादा असर

इंडिया रेटिंग एंड रिसर्च द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार मांग की कमी की वजह से बिजली का उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ। सबसे ज्यादा असर कोयले से चलने वाले पावर प्लांट्स पर पड़ा
Photo: Kanchan Kumar Gupta
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प्रिया श्रीवास्तव

लॉकडाउन की वजह से देश में बिजली की मांग में लगातार कमी बनी हुई है। अप्रैल के महीने में जब लॉकडाउन की सख्ती का असर देश भर में बिजली की मांग में 22.3 फीसदी गिरावट के रूप में दिखा है। इस दौरान पूरे देश में केवल 85.6 अरब यूनिट बिजली की मांग आई है। मांग की तरह बिजली की आपूर्ति में भी 22.5 फीसदी गिरावट हुई है। गिरावट की सबसे बड़ी वजह औद्योगिक गतिविधियां का पूरी तरह से ठप रहना है। इंडिया रेटिंग एंड रिसर्च द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार इस अवधि सबसे ज्यादा मांग की कमी औद्योगिक राज्यों में आई है। 

तमिलनाडु और गुजरात में सबसे ज्यादा असर

रिपोर्ट के अनुसार बिजली की मांग में सबसे ज्यादा असर तमिलनाडु और गुजरात में दिखा है। अप्रैल के महीने में तमिलनाडु में 28.6 फीसदी, गुजरात में 26.1 फीसदी और महाराष्ट्र में 17.9 फीसदी बिजली की मांग घटी है। जाहिर है मांग में इतनी बड़ी गिरावट की वजह औद्योगिक इकाइयों का ठप रहना रहा है।

उत्पादन भी 25 फीसदी घटा

मांग में कमी का असर बिजली उत्पादन करने वाले सभी स्रोतों पर पड़ा है। अप्रैल के महीने में बिजली उत्पादन 25.4 फीसदी घट गया है। इस दौरान थर्मल पॉवर उत्पादन में 28.5 फीसदी की कमी आई है। हालांकि मांग में आई कमी की वजह से बिजली सस्ती भी हुई है। इंडियन एनर्जी एक्सचेंज पर अप्रैल के महीने में प्रति किलोवॉट बिजली की कीमत गिरकर 2.41 रुपये पर आ गई है। जबकि अप्रैल 2019 में यह 3.22 रुपये पर थी।

गंभीर संकट का संकेत

बिजली की मांग में कमी की सीधा असर है, देश में औद्योगिक गतिविधियां अपनी क्षमता के अनुसार काम नहीं कर रही है। ऑल इंडिया मैन्युफैक्चर्स ऑर्गनाइजेशन के ताजा सर्वे के अनुसार लॉकडाउन की वजह से हर तीसरे छोटी और मझोली इकाइयों के बंद होने का खतरा है। ऐसे में अगर यह इकाइयां बंद होती हैं, तो जाहिर है कि बिजली की मांग भी घटेगी, खास तौर से तमिलनाडु, गुजरात, महाराष्ट्र जैसे राज्य जहां छोटी और मझोली इकाइयां काफी बड़ी तादाद में हैं। इसका सीधा असर रोजगार पर भी दिखेगा।

मई-जून में सुधार की उम्मीद

रिपोर्ट के अनुसार मई में थोड़ी और जून में बड़े पैमाने पर लॉकडाउन में छूट मिलने से मांग बढ़ने की पूरी उम्मीद है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस अवधि में आर्थिक गतिविधियां धीरे-धीरे फिर से शुरू हो गई हैं। साथ ही गर्मी भी बढ़ी है। इस कारण घरेलू और कॉमर्शियल मांग बढ़ने की पूरी उम्मीद है। जो अर्थव्यवस्था के पटरी पर आने का भी संकेत है।

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