मिसाल के तौर पर रिपोर्ट तैयार करने वाले निवित कुमार यादव ने कहा कि भारत में बिजली कंपनियों के जरिए सप्लाई की जाने वाली 90 फीसदी बिजली आपूर्ति पावर प्लांट के साथ एक दीर्घ अवधि वाले करार के तहत दी जाती हैं। इस तरह की व्यवस्था में चाहे पावर प्लांट काम करे या न करे, उसे करार के तहत एक तय लागत अदा करनी पड़ती है। वहीं, सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के तहत लगाया जाने वाला जुर्माना इस तय लागत का बहुत ही छोटा हिस्सा होता है, जो इतना अपर्याप्त है कि शायद ही पावर प्लांट को नियम और मानकों के अनुपालन के लिए प्रेरित करे।