क्या मोदी 2.0 में चुटका परमाणु संयंत्र के आसपास गांवों में विस्थापन का खतरा बढ़ेगा

लोगों का मानना है कि एनडीए की नई सरकार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस संयंत्र के निर्माण को गति दे सकते हैं।
मध्यप्रदेश के मंडला जिले के चुटका गांव के लोग चुटका परमाणु विद्युत संयंत्र  से विस्थापन का खतरा भांपकर आंदोलन की तैयारी में लग गए हैं। Photo: Manish Chander Mishra
मध्यप्रदेश के मंडला जिले के चुटका गांव के लोग चुटका परमाणु विद्युत संयंत्र से विस्थापन का खतरा भांपकर आंदोलन की तैयारी में लग गए हैं। Photo: Manish Chander Mishra
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मध्यप्रदेश के मंडला स्थित चुटका गांव में केंद्र सरकारी की परमाणु संयंत्र लगाने की योजना पर काम चल रहा है। एनडीए के दोबारा सत्ता में आने के बाद इस संयंत्र के विरोध में काम करने वाले ग्रामीण और आंदोलनकर्ताओं को संयंत्र के काम में तेजी की आशंका है। संयंत्र के आसपास के तकरीबन 54 गांव इस संयंत्र से निकलने वाले रेडिएशन के जद में आते हैं, साथ ही तीन गांव के लोग विस्थापित होने का खतरा भी झेल रहे हैं। इस आंदोलन के जुड़े लोगों का मानना है कि एनडीए की नई सरकार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस संयंत्र के निर्माण को गति दे सकते हैं जिसका सीधा नुकसान गांव के लोगों को होगा जिन्हें प्रशासन वहां से विस्थापित करना चाह रहा है। रविवार को मंडला जिले के नारायणगंज तहसील स्थित चुटका गांव में चुटका संघर्ष समिति से जुड़े कार्यकर्ताओं और ग्रामीणों ने एक बैठक का आयोजन किया। इस बैठक में जबलपुर से राजकुमार सिन्हा और भोपाल से विजय कुमार शामिल हुए। बैठक में चुनाव के उपरांत की परिस्थितियों पर विस्तारपूर्वक चर्चा की गई।

चुटका के लोग क्यों डर रहे हैं?

आंदोलन से जुड़े समाजिक कार्यकर्ता राजकुमार सिन्हा बताते हैं कि सरकार पर कई थर्मल पावर प्लांट बंद करने का दवाब है और निश्चय ही अब उनका ध्यान क्लिन एनर्जी के नाम पर चुटका के खतरनाक परमाणु संयंत्र की तरफ जाएगा। इस संयंत्र से तीन गांव के लोग विस्थापित होंगे और तकरीबन 54 गांव के लोगों पर रेडिएशन का सीधा असर होगा। वे मानते हैं कि अमेरिका जैसे देश खतरनाक परमाणु उर्जा पर अपने देश से बाहर निकालकर दूसरे गरीब देशों में लगाना चाहते हैं और इस काम में भारत सरकार उनका सहयोग करेगी। इस सरकार में चुटका के लोगों पर विस्थापन का खतरा तेज हो गया है।

चुटका के ग्रामीण दादूलाल कुदापे बताते हैं  समाजिक कार्यकर्ता रामकुमार सिन्हा के मुताबिक इस गांव के लोग बरगी बांध के बनने के बाद विस्थापित होकर पास के जंगल में बसे थे। वन विभाग के द्वारा उन्हें वहां से खदेड़कर इस गांव में बसने को मजबूर किया गया। दो बार विस्थापन झेलने के बाद अब गांव वाले इस संयंत्र की वजह से अपना घर नहीं छोड़ना चाहते। वे मानते हैं कि जनसंघर्ष के चलते अब तक रुका हुआ चुटका परमाणु परियोजना का काम भी केन्द्र और राज्य सरकार बलपूर्वक तेज़ी से आगे ले जाने का प्रयास करेंगी।

क्या है आगे की तैयारी?

चुटका आंदोलन से जुड़े समाजिक कार्यकर्ताओं और पीड़ित ग्रामीणों ने तय किया है कि वे संघर्ष को और मजबूत करेंगे। उनके मुताबिक चुटका परमाणु विरोधी संघर्ष समिति को पुनर्संगठित करने के लिए अभियान चलाया जाएगा। संघर्ष समिति को नेतृत्व प्रदान करने वाले वरिष्ठ कार्यकर्ता आने वाले समय में संगठन को मजबूत करने के लिए विस्थापित और प्रभावित गावों का दौरा करेंगे। उन गांवों में बैठकों का आयोजन कर गांव स्तरीय कमेटियों का गठन किया जाएगा।

संगठन अपने साथ नए युवाओं को जोड़ने की योजना पर काम कर रहा है। गांव वालों ने निर्णय किया कि वे अगस्त महीने में परियोजना से विस्थापित होने वाले कुंडा गांव के सामुदायिक भवन में दो दिनी कार्यशाला कर युवाओं का परिचय इस मुद्दे से कराएंगे।

मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार से उम्मीद

आंदोलन में भाग लेने वाले कार्यकर्ता मध्यप्रदेश में मौजूद कांग्रेस सरकार तक अपनी मांगे पहुंचाने का काम कर रहे हैं। वे मध्य प्रदेश सरकार के ऊर्जा मंत्री, नर्मदा विकास प्राधिकरण के मंत्री, आदिमजाति कल्याण मंत्री,  प्रदेश के समस्त आदिवासी विधायकों और प्रदेश के मुख्यमंत्री से मिलकर उन्हें चुटका परमाणु परियोजना रद्द करने की मांग करेंगे।

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