2050 तक ऊर्जा क्षेत्र की 84 फीसदी नौकरियां रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में होगी। अनुमान है कि आने वाले 29 वर्षों में यदि वैश्विक तापमान में हो रही वृद्धि 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रहती है तो इस परिदृश्य में ऊर्जा क्षेत्र में कुल नौकरियां बढ़कर 2.6 करोड़ हो जाएंगी। गौरतलब है कि वर्तमान में ऊर्जा क्षेत्र ने करीब 1.8 करोड़ लोगों को रोजगार दिया हुआ है। जिसका मतलब है कि ऊर्जा क्षेत्र में आज के मुकाबले 80 लाख नए अवसर पैदा होंगे।
हालांकि ऐसा तभी मुमकिन होगा जब हम पैरिस समझौते के लक्ष्यों को हासिल कर पाएंगें और तापमान में हो रही वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस में रोकने पर कामयाब होंगे। यदि ऐसा नहीं होता और तापमान में हो रही वृद्धि इसी तरह जारी रहती है तो ऊर्जा क्षेत्र के रोजगार में होने वाली वृद्धि 30 लाख नौकरियों पर ही सीमित रह जाएंगी।
यदि इस लिहाज से देखें तो 2050 तक 2 डिग्री सेल्सियस परिदृश्य में ऊर्जा क्षेत्र की कुल नौकरियों में से करीब 84 फीसदी अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में होगी। वहीं 11 फीसदी जीवाश्म ईंधन और 5 फीसदी नौकरियां परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में होंगी। यह जानकारी हाल ही में सेल प्रेस के जर्नल वन अर्थ में छपे एक शोध में सामने आई है।
वर्तमान में जीवाश्म ईंधन के क्षेत्र में कार्यरत हैं 1.26 करोड़ लोग
शोध के मुताबिक वर्तमान में 1.8 करोड़ लोग सीधे तौर पर ऊर्जा क्षेत्र में कार्यरत हैं। जिनमें से करीब 1.26 करोड़ लोग जीवाश्म ईंधन, 46 लाख अक्षय वर्जा और करीब 8 लाख लोग परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में लगे हुए हैं। जीवाश्म ईंधन के क्षेत्र में कार्यरत इन 1.26 करोड़ लोगों में से लगभग 92 लाख लोग जीवाश्म ईंधन के खनन में लगे हुए हैं , जिसमें कोयला, तेल और गैस प्रमुख हैं।
शोधकर्ताओं का मानना है कि जहां एक तरफ जीवाश्म ईंधन के क्षेत्र में नौकरियों में गिरावट आएगी वहीं अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में रोजगार में वृद्धि होगी। यदि वर्तमान में देखें तो करीब 80 फीसदी नौकरियां जीवाश्म ईंधन के क्षेत्र में हैं, लेकिन अनुमान है कि आने वाले 29 वर्षों में यह स्थिति पूरी तरह बदल जाएगी। शोधकर्ताओं का मानना है कि जीवाश्म ईंधन क्षेत्र की नौकरियों में जो गिरावट आएगी उसकी भरपाई सोलर और विंड निर्माण क्षेत्र के रोजगार में होने वाली वृद्धि से होगी। जिसका मतलब है कि 2050 तक यह क्षेत्र 77 लाख लोगों को रोजगार देगा।
इसी तरह हाल ही में कंसल्टेंसी ईवाई-पार्थेनन द्वारा जारी एक नई रिपोर्ट से पता चला है कि भारत से लेकर ब्रिटेन तक 50 देशों में अक्षय ऊर्जा से जुड़ी 13 हजार परियोजनाएं फाइनेंस की कमी के कारण में रुकी हुई है। इन परियोजनाओं से करीब एक करोड़ नए रोजगार पैदा होंगे। जिसका सबसे ज्यादा फायदा चीन और अमेरिका को होगा। जहां चीन में अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में 20 लाख और अमेरिका में 18 लाख रोजगार के नए अवसर पैदा होंगें। यही नहीं भारत, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, ब्रिटेन और कनाडा में भी पवन, सौर और जल विद्युत क्षमता के विस्तार से हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा।
ऊर्जा क्षेत्र में जिस तरह बदलाव आ रहे हैं उससे एक बात तो स्पष्ट है कि कुछ लोगों को इसका फायदा होगा जबकि कुछ लोगों को इससे नुकसान होगा। एक तरफ जो अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में कार्यरत है उन्हें इसका फायदा मिलेगा साथ ही हवा की गुणवत्ता में सुधार आएगा जो स्वास्थ्य के नजरिए से भी फायदेमंद होगा वहीं दूसरी तरफ जो देश, कंपनियां और लोग जीवाश्म ईंधन पर निर्भर हैं उन्हें इससे नुकसान होगा। हालांकि कुल मिलकर यह बदलाव पूरी मानव जाति के लिए एक सकारात्मक बदलाव है, जिसका फायदा हर किसी को किसी न किसी रुप में मिलेगा।