जीवाश्म ईंधन पर प्रतिबंध सही या गलत, शोध ने कहा दोनों सही

जर्मनी की नई सरकार, 1991 से पहले लगाए गए पुराने गैस हीटिंग सिस्टम को भी चलने की इजाजत दे रही है
ग्रीनहाउस गैसों में तेजी से होती वृद्धि के लिए हम मनुष्य ही जिम्मेवार हैं। जीवाश्म ईंधन का बढ़ता उपयोग इसकी सबसे बड़ी वजह है; फोटो: आईस्टॉक
ग्रीनहाउस गैसों में तेजी से होती वृद्धि के लिए हम मनुष्य ही जिम्मेवार हैं। जीवाश्म ईंधन का बढ़ता उपयोग इसकी सबसे बड़ी वजह है; फोटो: आईस्टॉक
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जर्मनी और अन्य औद्योगिक देशों में जीवाश्म ईंधन आधारित हीटिंग सिस्टम पर प्रस्तावित प्रतिबंधों को लेकर राजनीतिक घमासान मचा हुआ है। इस बीच नेचर जर्नल में प्रकाशित एक शोध में कहा गया है कि प्रतिबंध न तो पूर्ण समाधान हैं और न ही पूरी तरह गलत है।

पॉट्सडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च (पीआईके) द्वारा सह-लेखित और ‘नेचर क्लाइमेट चेंज’ में प्रकाशित इस शोध में इस बात पर जोर दिया गया है कि तेल और गैस से चलने वाले हीटिंग सिस्टम को हटाकर जलवायु-अनुकूल तकनीकों की ओर बढ़ने के लिए कठोर प्रतिबंधों की जगह मध्यम और लक्षित नीतिगत उपाय अपनाए जाएं, ताकि राजनीतिक और सामाजिक टकराव से बचा जा सके।

टार्गेटेड पॉलिसीज टू ब्रेक द डेडलॉक ऑन हीटिंग बैन्स नाम के इस शोध के मुताबिक जर्मनी की पिछली 'ट्रैफिक लाइट' गठबंधन सरकार (एक राजनीतिक गठबंधन को दर्शाने वाला उपनाम है, जो जर्मनी में 2021 में बना था) ने एक सख्त योजना पेश की थी, जिसके तहत 2028 के मध्य से नए तेल और गैस आधारित हीटिंग सिस्टमों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने और पुराने सिस्टमों को चरणबद्ध तरीके से बंद करने का प्रस्ताव था। लेकिन इस योजना को काफी आलोचना का सामना करना पड़ा और इसे "हीटिंग हैमर" जैसे शब्दों से नकारात्मक रूप में पेश किया गया। अब जर्मनी की नई सरकार, जो सीडीयू पार्टी और चांसलर फ्रेडरिष मर्ज के नेतृत्व में है, इस पुराने कानून को खत्म करने की बात कर रही है। नई सरकार का कहना है कि वह इस मुद्दे पर ज्यादा "लचीला" रवैया अपनाएगी। यहां तक कि 1991 से पहले लगाए गए पुराने गैस हीटिंग सिस्टम भी अब चलते रह सकेंगे।

अन्य औद्योगिक देशों में भी ऐसी ही नीति से पीछे हटने की प्रवृत्ति देखी जा रही है। शोधकर्ताओं की टीम ने इस वैश्विक नीति बदलाव को एक आधार बनाकर इस पूरे मुद्दे की जड़ तक जाने की कोशिश की है।

दो विरोधी दृष्टिकोण, दोनों सही

पीआईके के निदेशक और इस लेख के सह-लेखक ओटमार एडेन्होफर कहते हैं, "हीटिंग पर प्रतिबंधों के मुद्दे पर पहली नजर में दो परस्पर विरोधी दृष्टिकोण टकराते हैं। एक ओर कुछ लोगों का मानना है कि सरकार लोगों को गलत फैसले से बचा रही है, क्योंकि वे लगातार बढ़ती कार्बन कीमतों के परिप्रेक्ष्य में हीट पंप के दीर्घकालिक लाभ को कम आंकते हैं। दूसरी ओर, कुछ लोग इसे अपनी पसंद से फैसले लेने के अधिकार का अतिक्रमण मानते हैं। विडंबना यह है कि विशेष परिस्थितियों में दोनों दृष्टिकोण सही हैं। हमारा विश्लेषण इसी बिंदु से शुरू होता है।"

चार संकेतक जो दिशा दिखा सकते हैं

हाल की आर्थिक शोधों से यह स्पष्ट होता है कि यह टकराव टाला जा सकता है, बशर्ते नीति-निर्माता यह समझें कि आखिर किन कारणों से कुछ घरों में लोग हीट पंप या गैस बॉयलर चुनते हैं क्या यह उनके निजी खर्च की स्थिति है, या फिर जानकारी की कमी या गलतफहमियां? यदि खर्च का मुद्दा प्रमुख हो, तो प्रतिबंध उन्हें आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचा सकते हैं और विरोध भड़का सकते हैं। लेकिन यदि जानकारी की कमी ही वजह हो, तो प्रतिबंध लोगों को लंबे समय की लागत से बचा सकते हैं।

शोध में चार प्रमुख संकेतक बताए गए हैं, जिनके आधार पर नीतियों को अधिक सटीकता से लक्षित किया जा सकता है। शोध के मुताबिक पुराने मकानों में, जिन्हें इन्सुलेट करना कठिन होता है, जीवाश्म मुक्त हीटिंग सिस्टम की ओर जाना कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण होता है, जबकि नए भवनों के लिए यह सरल होता है। दूसरा, प्रशिक्षित श्रमिकों और सामग्रियों की उपलब्धता को ध्यान में रखना जरूरी है। यदि इनकी कमी होती है तो कीमतें अस्थायी रूप से बढ़ सकती हैं और प्रतिबंध अधिक कष्टप्रद बन सकते हैं। तीसरा, यदि निर्णय के समय घरों को पर्याप्त जानकारी और विशेषज्ञ सलाह मिलती है, तो सख्त नियमों की जरूरत कम हो जाती है और चौथा, किराये के मकानों में, जहां निवेश कोई और करता है और फायदा कोई और उठाता है, वहां अधिक नियमों की आवश्यकता हो सकती है।

प्रायोगिक परियोजनाओं की वकालत

शोध में सख्त सार्वभौमिक प्रतिबंधों या पूरी छूट की नीति की बजाय, इन चार बातों के आधार पर मध्यम और लक्षित विनियमन की सिफारिश की गई है। पीआईके की क्लाइमेट एंड एनर्जी पॉलिसी वर्किंग ग्रुप के प्रमुख माइकल पाह्ले बताते हैं, "यह विभिन्न प्रकार के घरेलू समूहों के साथ उनके हालात के अनुसार व्यवहार करने की बात है – जहां प्रतिबंध मदद कर सकते हैं, वहां उन्हें लागू किया जाए, और जहां नुकसानदेह हो सकते हैं, वहां नहीं।"

पाह्ले के अनुसार, लक्षित प्रतिबंध कार्बन मूल्य निर्धारण जैसे मुख्य नीति उपाय के पूरक के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। यूरोपीय संघ में भवन क्षेत्र के लिए 2027 से कार्बन प्राइसिंग अनिवार्य होने जा रही है। ऐसे में संक्रमण के लिए बुनियादी ढांचा, जानकारी उपलब्ध कराने वाली नीति, और कठिनाई झेल रहे मामलों के लिए समर्थन उपाय भी जरूरी हैं।

शोधकर्ताओं का सुझाव है कि नीति-निर्माताओं को घरेलू निर्णय प्रक्रिया को बेहतर समझने के लिए मौजूदा डेटा स्रोतों को समेकित कर उनका बेहतर उपयोग करना चाहिए। मिसाल के तौर पर, ऊर्जा सलाह के दौरान और हीटिंग सब्सिडी के लिए आवेदन करते समय अधिक आंकड़े जुटाए जा सकते हैं।

मैन्ज विश्वविद्यालय और आरडब्ल्यूआई – लीबनिज इंस्टिट्यूट फॉर इकोनॉमिक रिसर्च से जुड़े सह-लेखक आंद्रेयास गेरस्टर कहते हैं, "एक क्षेत्रीय सीमित प्रायोगिक परियोजनाओं का कार्यक्रम तुरंत शुरू किया जाना चाहिए ताकि तेजी से राजनीतिक सीखने की प्रक्रिया शुरू हो सके। हीटिंग संक्रमण पहले ही काफी देर से चल रहा है, इसीलिए हमें एक महत्वाकांक्षी और सामाजिक रूप से स्वीकार्य परिवर्तन के लिए एक तेज़ रणनीति की आवश्यकता है। यह लेख यह स्पष्ट करता है कि किस हद तक प्रतिबंधों का इस दिशा में उपयोग किया जा सकता है।"

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