भारत में अक्षय ऊर्जा क्षेत्र की नौकरियों में लगभग 13 फीसदी की कमी आई

2020 में करीब 7.26 लाख लोग अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में कार्यरत थे, वहीं 2019 में यह आंकड़ा 832,700 था
भारत में अक्षय ऊर्जा क्षेत्र की नौकरियों में लगभग 13 फीसदी की कमी आई
Published on

एक तरफ जहां वैश्विक स्तर पर रिन्यूएबल एनर्जी से जुड़ी नौकरियों में इजाफा हुआ हैं वहीं भारत में इसमें करीब 12.8 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। यह जानकारी हाल ही में इंटरनेशनल रिन्यूएबल एनर्जी एजेंसी (आईआरईएनए) द्वारा अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के सहयोग से जारी नई रिपोर्ट में सामने आई है। रिपोर्ट में जारी आंकड़ों के अनुसार 2020 में करीब 7.26 लाख लोग अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में कार्यरत थे, वहीं 2019 में यह आंकड़ा 832,700 था। 

रिपोर्ट के अनुसार 2020 के दौरान देश में सबसे ज्यादा लोग हाइड्रोपावर के क्षेत्र में कार्यरत थे, जिनकी कुल संख्या करीब 319,000 थी, हालांकि 2019 में यह आंकड़ा 367,200 था। इस तरह इस क्षेत्र से जुड़ी नौकरियों में करीब 13.1 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।

इसके बाद सोलर पीवी के क्षेत्र में 1.63 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ था। इस क्षेत्र से जुड़ी नौकरियों में भी 2019 के बाद करीब 20.1 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। गौरतलब है कि 2019 में इस क्षेत्र में काम करने वालों का आंकड़ा 204,000 था।

यदि बायोगैस से जुड़े आंकड़ों को देखें तो 2019 में इस क्षेत्र में करीब 85,000 लोगों को रोजगार मिला हुआ था, 2020 में भी यह आंकड़ा उतना ही दर्ज किया गया था। पवन ऊर्जा से जुड़े आंकड़ों को देखें तो इस क्षेत्र में नौकरियों में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई है, जहां 2019 के दौरान इस क्षेत्र में 62,800 लोग कार्यरत थे वो आंकड़ा 2020 में 29.9 फीसदी घटकर 44,000 पर पहुंच गया था। 

इसी तरह यदि लिक्विड बायोफ्यूल के क्षेत्र में रोजगार को देखें तो उसमें करीब 0.28 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। सिर्फ सोलर हीटिंग/ कूलिंग के क्षेत्र से जुड़े रोजगार में इजाफा हुआ है, जिसमें 2019 की तुलना में 2020 के दौरान 1.45 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया है। जहां 2019 के दौरान इस क्षेत्र में 20,700 लोग कार्यरत थे वहीं 2020 में यह आंकड़ा बढ़कर 21,000 पर पहुंच गया था, जबकि सॉलिड बायोमास के क्षेत्र में स्थिति जस की तस बनी हुई है। इस क्षेत्र में करीब 58 हजार लोग कार्यरत हैं। 

वैश्विक स्तर पर नौकरियों में दर्ज किया गया है 5 लाख का इजाफा

रिपोर्ट के अनुसार जहां एक तरफ भारत में अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र से जुड़ी नौकरियों में गिरावट दर्ज की गई है, वहीं वैश्विक स्तर पर कोरोना महामारी के बावजूद नौकरियों में इजाफा दर्ज किया गया है। वैश्विक स्तर पर 2019 के दौरान जहां अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में 1.15 करोड़ लोग कार्यरत थे वो आंकड़ा 2020 में बढ़कर 1.2 करोड़ पर पहुंच गया है। जिसका मतलब है कि इस अवधि के दौरान इसमें करीब 5 लाख नौकरियों का इजाफा हुआ है।   

अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में नौकरियों का यह आंकड़ा 2021 में 73 लाख था वो 64.4 फीसदी की वृद्धि के साथ 2020 में बढ़कर 1. 2 करोड़ पर पहुंच चुका है। इसमें कोई शक नहीं है कि 2020 के दौरान जिस तरह से दुनिया भर में कोरोना का संकट आया था उसने हर क्षेत्र को प्रभावित किया है। इसके बावजूद वैश्विक स्तर पर अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र से जुड़ी नौकरियों में हुआ यह इजाफा दिखाता है कि यह क्षेत्र धीरे-धीरे कहीं ज्यादा स्थिर होता जा रहा है। यह उद्योग जीवाश्म ईंधन की तुलना में कहीं बेहतर तरीके से फल-फूल रहा है। 

वैश्विक स्तर पर अक्षय ऊर्जा में सबसे ज्यादा नौकरियां सोलर पीवी के क्षेत्र में है जिससे करीब 39.8 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है। इसके बाद बायोएनर्जी में 35.2 लाख, हाइड्रोपावर में 21.8 लाख, पवन ऊर्जा के क्षेत्र में 12.5 लाख, सोलर हीटिंग/ कूलिंग में 8.2 लाख और अन्य में 2.7 लाख नौकरियां हैं। 

यदि क्षेत्रीय स्तर पर देखें तो अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में अकेले 39 फीसदी या करीब 47.32 लाख नौकरियां चीन में हैं, जबकि यूरोपियन यूनियन में यह आंकड़ा 13 लाख, ब्राजील में 12 लाख, अमेरिका में 8.4 लाख और भारत में करीब 7.3 लाख है। 

32 फीसदी हैं महिला कामगार हैं कार्यरत

इस क्षेत्र में यदि कार्यरत महिला-पुरुष के औसत को देखें तो जहां 32 फीसदी संख्या महिलाओं की हैं वहीं पुरुषों की संख्या 68 फीसदी है जो स्पष्ट तौर पर दिखाता है कि अभी इस क्षेत्र में पुरुषों का वर्चस्व है, जिस पर ध्यान देने की जरुरत है। 

यदि जलवायु के दृष्टिकोण से देखें तो वैश्विक स्तर पर हुई प्रगति उत्साहित करने वाली है, क्योंकि बिना कुशल श्रम शक्ति के जीवाश्म ईंधन से अक्षय ऊर्जा में बदलाव संभव नहीं है। रिपोर्ट का अनुमान है कि पेरिस लक्ष्यों (1.5 डिग्री सेल्सियस) को हासिल करने के लिए जरुरी है कि 2030 तक इस क्षेत्र में 3.8 करोड़ नौकरियां हों, जबकि 2050 में यह आंकड़ा करीब 4.3 करोड़ होना चाहिए। 

स्वास्थ्य और जलवायु के दृष्टिकोण से अक्षय ऊर्जा बहुत मायने रखती है। इस बारे में आईआरईएनए के महानिदेशक फ्रेंसेस्को ला कैमेरा का कहना है इसमें कोई शक नहीं कि अक्षय ऊर्जा में नई नौकरियों के सृजन और जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने की सम्भावना मौजूद है। हाल ही में कोप-26 सम्मलेन होना है तो ऐसे में यह जरुरी है कि सरकारों को नेट जीरो के लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रयास तेज करने चाहिए।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in