
भारत को इलेक्ट्रिक वाहनों के स्थानीय निर्माण को बढ़ावा देना चाहिए और चार्जिंग बुनियादी ढांचे को विकसित करना चाहिए।
राजस्थान के निमली में आयोजित अनिल अग्रवाल डायलॉग 2025 के अंतिम दिन विशेषज्ञों द्वारा किया यह राय जाहिर की गई।
विशेषज्ञों ने ई-मोबिलिटी के भविष्य और 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा प्राप्त करने के भारत के लक्ष्य पर एक विशेष सत्र में यह बातें कहीं।
2021 में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि सरकार का लक्ष्य 2030 तक निजी कारों के लिए 30 फीसदी, वाणिज्यिक वाहनों के लिए 70 फीसदी और दो व तीन-पहिया वाहनों के लिए 80 फीसदी ईवी बिक्री सुनिश्चित करना है।
लेकिन क्या यह संभव है?
इस विषय पर सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉयचौधरी और इंटेंट संस्था की संस्थापक महुआ आचार्य ने 28 फरवरी 2025 को इस सम्मेलन में चर्चा की।
रॉयचौधरी ने बताया कि नीतियों द्वारा व्यक्तिगत ईवी को बढ़ावा नहीं दिया जा रहा, फिर भी उद्योग की प्रतिबद्धता और उपभोक्ता मांग एक-दूसरे को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने कहा कि अगली बड़ी चुनौती चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार करना है।
उन्होंने कहा "अगर हम स्थानीय विनिर्माण का समर्थन नहीं करेंगे, तो ईवी को बढ़ावा देने के हमारे प्रयास सफल नहीं होंगे।"
आचार्य ने नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकी के संदर्भ में इलेक्ट्रिक बस बाजार पर चर्चा की। उन्होंने कहा "जब तक बाजार विकसित नहीं होता और मांग नहीं बढ़ती, हम पुराने बसों को इलेक्ट्रिक में बदलकर उनकी उम्र कुछ और वर्षों तक बढ़ा सकते हैं।"
इलेक्ट्रिक बसें भारत की कम-कार्बन नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। यूरोपीय देशों की तुलना में, जो मुख्य रूप से कार-केंद्रित विद्युतीकरण पर ध्यान देते हैं, भारत सार्वजनिक परिवहन सेवाओं, विशेष रूप से बसों और ऑटो-टैक्सी जैसे इंटरमीडिएट पैरा ट्रांजिट को इलेक्ट्रिक बनाने पर जोर दे रहा है। लाखों भारतीय रोजाना इन सेवाओं का उपयोग करते हैं।
नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य और कोयले पर निर्भरता
सीएसई के नवीकरणीय ऊर्जा कार्यक्रम प्रबंधक बिनीत दास और राजस्थान नवीकरणीय ऊर्जा संघ के अध्यक्ष अजय यादव ने भी भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों पर चर्चा की।
दास ने कहा "हालांकि नवीकरणीय ऊर्जा की स्थापित क्षमता बढ़ी है, लेकिन कोयले पर निर्भरता बनी हुई है। नई नवीकरणीय ऊर्जा (पवन, सौर) कुल उत्पादन का केवल 13 फीसदी हिस्सा बनाती है, जबकि 2030 तक इसे 32 फीसदी तक पहुंचाने की जरूरत है।"
यादव ने बताया कि भारत में 637 गीगावाट का आवासीय रूफटॉप सौर ऊर्जा क्षमता है। उन्होंने आगे कहा "विकेन्द्रीकृत उत्पादन ही आगे का रास्ता है।"