क्या अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में निर्णायक साबित होंगे “जलवायु मतदाता”

प्यू रिसर्च सेंटर के अनुसार 54 प्रतिशत अमेरिकियों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन देश के लिए एक बड़ा खतरा है
Photo: X@POTUS
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क्लाइमेट वोटर्स यानी जलवायु मतदाता कहने के लिए यह एक नया शब्द है लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में यह शब्द सबसे अधिक बोला जाने वाला शब्द बनते जा रहा है। कारण कि अमेरिकी चुनाव के इतिहास में संभवत: ऐसा पहली बार हो रहा है कि जलवायु परिवर्तन हो सकता है पहली तीन महत्वपूर्ण मुद्दों में शामिल हो। जिस प्रकार से अमेरिकी राष्ट्पति चुनाव में जलवायु के मुद्दे पर पिछले दो से तीन हफ्तों से लगातार राजनीतिक पार्टियां अपनी-अपनी बात कह रही हैं, ऐसे में प्रतीत होता है कि कहीं यह चुनाव का मुख्य मुद्दा न बन जाए।

सबसे बड़ा सवाल है कि क्या डेमोक्रेट पार्टी के लोग जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर मतदाताओं को अपनी बात कह चुके हैं या कुछ कहना बाकी है। इस चुनाव में जब यह देखा जा रहा है कि इस बार अमेरिका में रिकॉर्ड तोड़ तापमान ने मतदाताओं को भी यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या डेमोक्रेट्स के सामने जलवायु परिवर्तन अब सबसे बड़ा मुद्दा नहीं होना चाहिए।

अमेरिका में अगस्त का तीसरा हफ्ता भी एक भीषण गर्मी के रूप में बीता है। और इस हफ्ते में देखा जाए तो कैलिफोर्निया के जंगलों में आग, कनेक्टिकट में अचानक आई बाढ़ और टेनेसी में आया भयावह तूफान ने यह साबित कर दिया है कि इस समय जलवायु परिवर्तन ही देश की राजनीतिक बहस में सबसे बड़ा विषय बना हुआ है। अब सभी यह जान रहे हैं कि जलवायु परिवर्तन अधिक से अधिक अमेरिकियों को परेशान कर रहा है।

जलवायु परिवर्तन पर येल में हुए एक कार्यक्रम के अनुसार सड़कों में सुधार और बजट घाटे जैसे मुद्दों के बाद ग्लोबल वार्मिंग मतदाताओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा बन कर उभरा है। ऐसे में कई डेमोक्रेट्स राष्ट्रपति चुनाव में इस मुद्दे को केंद्रीय मुद्दा बनाने की कोशिश में जुट गए हैं।

पिछले सप्ताह कई जलवायु समूहों ने उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की राष्ट्रपति पद की दावेदारी का समर्थन करने के लिए 55 मिलियन डॉलर का विज्ञापन अभियान शुरू किया है। यही नहीं पिछले सप्ताह पूर्व अमेरिकी उपराष्ट्रपति जॉन केरी, जेन फोंडा, बिल नी और मैसाचुसेट्स के सीनेटर एड मार्की ने कमला हैरिस के लिए जलवायु मतदाता यानी क्लाइमेट वोटर्स नामक एक मीटिंग का आयोजन किया।

राष्ट्रपति बाइडेन ने मुद्रास्फीति न्यूनीकरण अधिनियम की सफलता का बखान किया, जिसने स्वच्छ ऊर्जा निवेश में अरबों डॉलर का निवेश किया है। उन्होंने यहां तक कहा कि आपके समर्थन से हमने मानव जाति के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण जलवायु कानून पारित किया है।

न्यूयार्क टाइम्स में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार हैरिस ने अभी तक अपने राष्ट्रपति अभियान के हिस्से के रूप में एक विस्तृत जलवायु नीति तैयार नहीं की है। फिर भी जलवायु के प्रति जागरूक मतदाता उनका लगातार समर्थन करने के लिए उमड़ पड़े हैं। यह सही है कि उपराष्ट्रपति के रूप में उन्होंने मुद्रास्फीति न्यूनीकरण अधिनियम को पारित करने के लिए निर्णायक वोट दिया था। एक सीनेटर के रूप में वह ग्रीन न्यू डील को सफल बनने में प्रमुख योगदान दिया था। कैलिफोर्निया की अटॉर्नी जनरल के रूप में उन्होंने बड़ी तेल कंपनियों का सामना किया। यह उनके समर्थकों को यह विश्वास दिलाने के लिए पर्याप्त है कि यदि वे निर्वाचित होती हैं तो वह उत्सर्जन को कम करने और देश को जीवाश्म ईंधन से दूर करने की महत्वाकांक्षी योजना को आगे बढ़ाएंगी। इसके विपरीत पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड जे. ट्रंप ने जलवायु परिवर्तन को एक धोखा बताया है और उन्होंने मतदाताओं से कहा कि वह तेल और गैस उत्पादन को पहले से ही रिकॉर्ड ऊंचाई से बढ़ाएंगे। इसके अलावा हाल ही में उन्होंने परमाणु ऊर्जा व परमाणु हथियारों के मामले में भी एक भ्रमित करने वाले बयान दिया है। यही नहीं पिछले दिनों उन्होंने प्रदूषण नियमों को वापस लेने तक का आह्वान कर दिया। यदि वह निर्वाचित होते हैं तो ट्रंप ने मुद्रास्फीति न्यूनीकरण अधिनियम के कुछ हिस्सों को पूर्ववत करने तक की कसम खाई है।

वैज्ञानिक स्वेता चक्रवर्ती ने कहा कि दीवार पर लिखा है कि डोनाल्ड ट्रंप हमें पीछे धकेल देंगे। उन्होंने हाल ही में वीडियो कॉल के जरिए जलवायु मतदाताओं का एक कार्यक्रम का आयोजन किया। इस प्रकार के समर्थन मिलने के बाद भी हैरिस के समर्थक मानते हैं कि जब जलवायु मुद्दों पर संवाद करने की बात आती है, तो उन्हें एक कठिन लड़ाई का सामना करना पड़ेगा।

येल के आंकड़ों के अनुसार अधिकांश मतदाताओं का कहना है कि उन्होंने मुद्रास्फीति न्यूनीकरण अधिनियम के बारे में बहुत कुछ नहीं सुना है लेकिन आधे से भी कम लोगों का मानना है कि यह देश की मदद करेगा। चक्रवर्ती ने कहा कि वह अन्य मशहूर हस्तियों को इस मुद्दे पर समर्थन जुटाने के लिए काम कर रही हैं ताकि यह मामला और लोगों तक पहुंचाया जा सके कि हैरिस प्रशासन जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए साहसिक कदम उठाएगा। चक्रवर्ती ने कहा कि हमें बाइडेन द्वारा जलवायु विरासत को समझाने में वास्तव में चतुर होना चाहिए, जिसने वास्तव में नौकरियां पैदा की हैं और वास्तव में एक ऐसा वातावरण बनाया है, जहां हम स्वच्छ सांस ले सकें।

प्यू रिसर्च सेंटर के अनुसार कुल मिलाकर 54 प्रतिशत अमेरिकियों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन देश के लिए एक बड़ा खतरा है और जबकि यह आंकड़ा डेमोक्रेट्स मतदातों के बीच 78 प्रतिशत है, वहीं रिपब्लिकन के बीच केवल 23 प्रतिशत है। यहां तक कि हैरिस के पक्ष में विज्ञापन चलाने वाले जलवायु समूह भी यह समझते हैं कि जब रोजमर्रा के मतदाताओं तक पहुंचने की बात आती है तो जलवायु जरूरी नहीं कि जीतने वाला मुद्दा हो। चक्रवर्ती ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि हैरिस आने वाले हफ्तों में अधिक विस्तृत जलवायु एजेंडा पेश करेंगी। इसमें मुद्रास्फीति न्यूनीकरण अधिनियम और जलवायु कोर के निर्माण के साथ राष्ट्रपति बाइडेन के काम का विस्तार करना शामिल हो सकता है। वह कहती हैं कि उत्सर्जन को कम करने के नए तरीकों की पहचान करना भी हो सकता है, हालांकि विवरण अभी देखा जाना बाकी है।

अमेरिका में बिजली उत्पादन बढ़ रहा है, इसकी वजह एआई और डेटा सेंटर की बढ़ती बिजली की जरूरतें हैं। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट है कि बिजली आपूर्तिकर्ताओं ने साल की पहली छमाही में दो दशकों में सबसे बड़ी मात्रा में उत्पादन को बढ़ाया है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के शोधकर्ताओं ने बताया कि क्रिप्टो मुद्राओं और डेटा सेंटर के लिए खनन पहले से ही 2022 में वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का एक प्रतिशत है। शोधकर्ताओं ने गणना की कि अगले तीन वर्षों में यह हिस्सा लगभग दोगुना होने की संभावना है।

मौसम विशेषज्ञों ने कहा कि अमेरिका में आ रहे तूफान द्वारा उत्पन्न लहरें, विशेष रूप से उच्च ज्वार के साथ मिलकर भयानक बन जाती हैं। यहां यह महत्वपूर्ण है कि जलवायु परिवर्तन ऐसे तूफानों को और अधिक तीव्र बना रहा है। इससे समुद्र का स्तर तेजी से बढ़ रहा है, जिससे समुद्र तट के सामने का कटाव तेज हो रहा है। एक नए अध्ययन में पाया गया कि न्यूयॉर्क शहर के ओक के पेड़ों को थोड़ी मदद की आवश्यकता हो सकती है। ध्यान रहे कि ओक के पेड़ फुटपाथों पर छाया देते हैं और पृथ्वी को गर्म करने वाले कार्बन को सोखकर न्यूयॉर्क शहर में अत्यधिक गर्मी के प्रभावों को कम करते हैं। लेकिन वे आइसोप्रीन नामक एक रसायन भी छोड़ते हैं, जो जीवाश्म ईंधन को जलाने से उत्सर्जित नाइट्रोजन ऑक्साइड के साथ मिलकर जमीनी स्तर पर ओजोन बनाता है। यह एक हानिकारक प्रदूषक है जो श्वसन संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है।

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