उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव: डाउन टू अर्थ के सवाल, भाजपा-सपा-कांग्रेस के जवाब

गरीबी, सतत विकास लक्ष्य और राज्य की अर्थव्यवस्था को लेकर डाउन टू अर्थ ने अखिलेश यादव, दिनेश शर्मा और अजय कुमार लल्लू से सवाल किए-
अखिलेश यादव। दिनेश शर्मा। अजय कुमार लल्लू
अखिलेश यादव। दिनेश शर्मा। अजय कुमार लल्लू
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आज उत्तर प्रदेश में अंतिम चरण का मतदान संपन्न होने जा रहा है। राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक दृष्टकोण से देश के सबसे बड़े राज्य के चुनाव परिणाम पर हर किसी की नजर है। ऐसे में डाउन टू अर्थ ने राज्य की सभी चार प्रमुख पार्टियों के प्रमुखों से कुछ जमीनी सवाल किए। समाजवादी पार्टी के प्रमुख, कांग्रेस के प्रदेश प्रमुख और राज्य में सत्तासीन भाजपा के उप मुख्यमंत्री ने सवालों का जवाब दिए। हालांकि बसपा के दूसरे नंबर के नेता सतीश चंद्र मिश्रा तबियत नासाज होने के कारण हमारे सवालों का जवाब नहीं दे पाए। यहां प्रस्तुत है सपा प्रमुख अखिलेश यादव, कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अजय सिंह लल्लू और प्रदेश के उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा से हुई बातचीत के प्रमुख अंश:

डाउन टू अर्थ का सवाल - हाल ही में नीति आयोग की मल्टी डाइमेंशनल रिपोर्ट बताती है कि यूपी में हालात बहुत ज्यादा खराब हैं। गरीबी में बिहार के बाद यूपी का नंबर आता है। आप इसके लिए किसे दोषी मानते हैं और इसे बेहतर करने के लिए आपके पास क्या योजना है?

अखिलेश यादव- सबसे पहले तो आपको यह सवाल दो इंजन वाली सरकार से पूछना चाहिए। लेकिन फिर भी हम आपको यह अवश्य बताएंगे कि जब राज्य के किसान अपनी खेती के नुकसान को नहीं झेलने के कारण मजदूर बन गए हैं तो ऐसे में कैसे नहीं देश में दूसरे नंबर के गरीब राज्य की श्रेणी में आएंगे। हमारी सरकार के सत्ता में आने के बाद सबसे पहले हम किसानों की प्रमुख समस्याओं का निदान करेंगे। यह हमारी सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल किया जाएगा।

अजय कुमार लल्लू- देखिए, उत्तर प्रदेश के गरीब होने का सबसे बड़ा कारण है कि यहां का उद्योग और लघु उद्योग पिछले 32 सालों से पूरी तरह से जमींदोज हो चुका है। मुरादाबाद का ब्रास कारोबार देखिए। यह बीस हजार करोड़ का होता था और आज यह तीन हजार करोड़ पर सिमट गया है। फिरोजाबाद का चूड़ी उद्योग जिस पर राज्य सरकारों ने कोई ठोस नीति नहीं बनाई। इसके अलावा लखनऊ का चिकन, बरेली का जार और इसके अलावा बुनकर बड़े पैमाने पर बेरोजगार हुए।

सहारनपुर का लकड़ी उद्योग, कानपुर-आगरा का चमड़ा उद्योग पूरी तरह से खत्म हो गया है। यही नहीं, राज्य के भदोही का कारपेट उद्योग देखेंगे तो वह भी वर्तमान में खस्ताहाल में है। बनारस में सिल्क की साड़ी उद्योग भी समाप्ति की कगार पर है। अकेले नोएडा-गाजियाबाद में 75 हजार से अधिक से छोटी कंपनियां बंद हो गईं। पिछले तीन दशक से राज्य सरकारों का खर्च केवल विज्ञापनों, पोस्टरों व होर्डिंग पर बेतहाशा बढ़ा है। राज्य सरकारों के पास उद्योगों को बढ़ाने और रोजगार प्रदान की न तो कोई नीति है और न ही नियति है। कांग्रेस की सरकार सत्ता में आती है तो राज्य के सभी लघु उद्योगों का पुनर्जिवित किया जाएगा और इसे पूरी तरह से राज्य का संरक्षण दिया जाएगा और इससे जुड़े हुए लोगों से बातचीत कर आयोग का गठन किया जाएगा।

दिनेश शर्मा- यह आपके लिए खराब होगी न। उत्तर प्रदेश की 11 लाख करोड़ की अर्थव्यवस्था थी, आज यह बढ़कर 22 लाख करोड़ की अर्थव्यवस्था बन गई है। प्रदेश का बजट दो लाख करोड़ का था, वह बढ़कर अब 6 लाख करोड़ से ऊपर का हो गया है। इससे प्रदेश अब देश में दूसरे नंबर की अर्थव्यवस्था बन गया है। 2017 में प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय 48,250 रुपए थी और यह आज बढ़कर 94,850 रुपए हो गई है। 2017 में बेरोजगारी का प्रतिशत 17.4 प्रतिशत थी, वह अब कम हो कर 4.9 प्रतिशत के आसपास है। किसानों की आमदनी और जनसामान्य की भी बढ़ी है (लेकिन यहां आंकड़े नहीं बताए गए)।

डाउन टू अर्थ का सवाल - सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने के मामले में उत्तर प्रदेश 26वें स्थान पर है। इसकी क्या वजह मानते हैं और अगर आपकी सरकार बनती है तो इसमें सुधार लाने के लिए क्या करेंगे? 

अखिलेश यादव- सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए हम अनुकूल माहौल तैयार करेंगे। राज्य में रोजगार के अवसर को बढ़ाएंगे, ताकि प्रदेश में बड़े पैमाने पर हो रहे पलायन को रोक सकें। इसके अलावा हम नदियों में प्रदूषण कम करने के लिए गोमती रिवर फ्रंट की तर्ज पर राज्य की अन्य नदियों पर भी रिवर फ्रंट का निर्माण किया जाएगा।

अजय कुमार लल्लू- मानव विकास सूचकांक में देखेंगे तो हम इससे भी नीचे के पायदान पर हैं। जैसे बाढ़ से पूरा पूर्वांचल और अवध का कुछ इलाके बुरी तरह से प्रभावित होते हैं। राज्य सरकारें अब तक बाढ़ प्रबंधन ठीक तरीके से नहीं कर पर रही हैं। कृषि नीति का आभाव है। बुंदेलखंड इतना पिछड़ा हुआ उस पर कोई ठोस नीति नहीं है। नदी, नाले और बालू पर जो कि निषाद समुदाय का नियंत्रण था अब इस पर बड़ी कंपनियों का नियंत्रण हो गया है। बुनियादी ढांचा पूरी तरह से चरमरा गया।

दिनेश शर्मा- कोई जवाब नहीं।

डाउन टू अर्थ का सवाल - कोविड काल ने अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुंचाया है। खासकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था बेहद प्रभावित हुई है। उसे कैसे बेहतर किया जा सकता है?

अजय कुमार लल्लू- कारोनावायरस पर हमने कहा है कि यदि हमारी सरकार बनी तो प्रति परिवार 25 हजार रुपए की मदद की जाएगी, लेकिन जब हमने विधान सभा में सवाल पूछा कि ऑक्सीजन की कमी के कारण कितने लोग मरे तो सरकार ने कहा एक भी नहीं। यह कितना बड़ा झूठ है। इस सरकार ने गंगा में बहती लाशों को नजरअंदाज कर दिया। 

दिनेश शर्मा- तीन लाख करोड़ रुपए की पूंजी का निवेश कोरोना संक्रमण काल में ही हुआ। एशिया का सबसे बड़ा डाटा सेंटर 250 मेगावाट का लग गया है। आज यदि पूरे भारत में सौ मोबाइल बनते हैं तो उसमें से 70 मोबाइल राज्य में बन रहे हैं। एशिया का सबसे बड़ा एयरपोर्ट जेवर हमारे प्रदेश में बन रहा है और यह दो साल में पूरा हो जाएगा। इसके बाद हमारी आधी अर्थव्यवस्था को स्वयं संचालित करेगा। आज सात एक्सप्रेस-वे बन रहे है और इसके साथ ही उसके आसपास विकास कार्यों को भी अंतिम रूप दिया जा रहा है। जिससे आमजन की आमदनी बढ़ेगी और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। पहले प्रदेश में तीन हवाइ्र अड्डे थे अब 14 संचालित हो रहे हैं और दो साल के अंदर यह 22 हो जाएंगे।

अखिलश यादव- जवाब नहीं।

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