हरियाणा विधानसभा चुनाव: नागरिकों के हरित घोषणापत्र में क्या है खास?

देश के सबसे प्रदूषित 50 शहरों में से सात हरियाणा के हैं, ज्यादातर जिलों में भूजल स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है, यही वजह है कि लोगों ने राजनीतिक दलों से पूछने के लिए कई सवाल तैयार किए हैं
Haryana election green manifesto
हरियाणा हरित घोषणा पत्र की जानकी देते वक्ता।
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हरियाणा में विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई हैं। राज्य में पांच अक्टूबर को मतदान होगा। राज्य में इस बार का चुनाव थोड़ा अलग हो सकता है, क्योंकि इस बारे में प्रत्याशियों और राजनीतिक दलों को पर्यावरण व विकास से संबंधित कुछ तीखे सवालों का सामना करना पड़ सकता है। 

दरअसल ये सवाल राज्य में रह रहे कुछ पर्यावरणविदों के प्रयासों से तैयार किए गए एक हरित घोषणापत्र में पूछे गए हैं। इनमें ज्यादातर वे लोग हैं जो भारत की प्राचीन पर्वतमालाओं में से एक अरावली के अस्तित्व को बचाने का प्रयास कर रहे हैं। 

इन लोगों ने हरियाणा हरित घोषणपत्र 2024 (हरियाणा ग्रीन मेनिफेस्टो) तैयार करने से पहले राज्य के 22 में से 17 जिलों में अलग-अलग लोगों से बातचीत की।  

4 सितंबर 2024 को आयोजित एक संवाददात सम्मेलन में ‘पीपुल फॉर अरावली’ समूह की संस्थापक सदस्य नीलम अहलूवालिया ने कहा, “हरियाणा में राष्ट्रीय औसत 21 प्रतिशत के मुकाबले मात्र 3.6 प्रतिशत है, बावजूद इसके यहां पेड़ों की कटाई बड़े पैमाने पर होती है। दुनिया के 50 सबसे प्रदूषित स्थानों में से 8 हरियाणा में हैं। जगह-जगह जहरीले लैंडफिल बन रहे हैं। खनन, रियल एस्टेट डेवलपमेंट और कचरे की अपशिष्ट डंपिंग की वजह से अरावली नष्ट हो रही है। ऐसे में हम उम्मीद कर सकते हैं कि राजनीतिक दल हमारे ग्रीन मेनिफेस्टो को गंभीरता से लेंगे।”

भूजल में गिरावट

महेंद्रगढ़ जिले के गांव राजावास निवासी चिराग ने कहा कि दक्षिण हरियाणा के कई गांवों में भूजल स्तर 1500-2000 फीट तक गिर गया है, जहां बड़े पैमाने पर खनन हो रहा है, जिससे कृषि और जल सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। पहाड़ों में विस्फोट और स्टोन क्रशर से निकलने वाली धूल से होने वाले प्रदूषण के कारण ग्रामीण आबादी घातक सिलिकोसिस बीमारी सहित फेफड़ों की विभिन्न बीमारियों से पीड़ित है। हमारे गांव में नए सिरे से खनन के पट्टे दिए जा रहे हैं। 

जबकि नूंह जिले के खोरी खुर्द गांव निवासी समीम ने कहा कि भिवाड़ी से आने वाला औद्योगिक कचरा हमारे गांव में 12 साल से अधिक समय से अवैध रूप से जलाया जा रहा है। हमारे गांव के मवेशी और अरावली में रहने वाले नीलगाय और मोर रासायनिक कचरे से निकलने वाले प्रदूषित जल पीकर मर रहे हैं और ग्रामीण त्वचा रोग और श्वास रोग से पीड़ित हैं। 

भूड क्षेत्र 

हरित घोषणापत्र 2024 में मांग की गई है कि 'भूड' क्षेत्रों सहित अरावली और शिवालिक को कानूनी रूप से 'क्रिटिकल पारिस्थितिक क्षेत्र' घोषित किया जाए।

नूंह जिले के जल बिरादरी के अध्यक्ष इब्राहिम खान ने कहा कि जिस नीति के आधार पर हरियाणा अरावली में खनन की अनुमति दी जा रही है और लाइसेंस दिए गए हैं, उसकी स्वतंत्र पारिस्थितिक विशेषज्ञों की मदद से समीक्षा की जानी चाहिए। साथ ही, पुराने सोहना-अलवर रोड पर आईटीआई कॉलोनी के पास, बंधवारी, पाली में सभी लैंडफिल को हटाया जाना चाहिए। 

नूंह जिले में भिवाड़ी के उद्योगों से निकलने वाले रासायनिक कचरे की अवैध डंपिंग और जलाना तुरंत बंद किया जाए। जिन ग्रामीणों की कृषि भूमि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, उन्हें मुआवजा दिया जाना चाहिए और उसी या आसपास के गांव में अच्छी गुणवत्ता वाली कृषि भूमि आवंटित की जानी चाहिए।”

हरित घोषणापत्र 2024 सख्त दिल्ली वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1994 की तर्ज पर हरियाणा के लिए एक 'वृक्ष अधिनियम' बनाने की मांग की गई है, फतेहाबाद जिले में काले हिरण के निवास स्थान जैसे हरियाणा के सभी खुले प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्रों को कानूनी सुरक्षा प्रदान करें और 4 वर्षों में 10 प्रतिशत देशी वन और वृक्ष आवरण के लक्ष्य तक पहुंचने की कार्य योजना बनाएं।

वृक्ष पेंशन दी जाए

फरीदाबाद के पारिस्थितिकी विज्ञानी समर्थ खन्ना ने कहा, “स्थानीय समुदायों की भागीदारी के साथ हर गांव में बनियों को पुनर्जीवित करना और उन्हें कानूनी रूप से 'सामुदायिक रिजर्व' के रूप में नामित किया जाना चाहिए। किसानों को अपने खेतों में देशी पेड़ उगाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए 'वृक्ष पेंशन' के रूप में मौद्रिक प्रोत्साहन प्रदान करना, हरियाणा के पारंपरिक पेड़ जैसे लेसोडा, खेजड़ी और अरावली प्रजाति के इंद्रोक और जाल जैसे लुप्त हो रहे पेड़ों को वापस लाने जैसे प्रयास किए जाने चाहिए।” 

संवाददाता सम्मेलन में हरियाणा सर्व खाप के संयोजक एवं ढाकला, झज्जर में धनखड़ खाप के प्रमुख ओम प्रकाश धनखड़,  

किसान नेता जफरमेव यदुवंशी, फरीदाबाद के जल विशेषज्ञ निर्मल महेंदले, गुरुग्राम में रहने वाली पर्यावरण शहरी डिजाइनर निधि बत्रा, नूंह जिले के सामाजिक कार्यकर्ता मोहम्मद रफीक आदि ने अपने विचार रखे।

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