
सभी नागरिकों के लिए निष्पक्षता और समानता को बढ़ावा देने के लिए हर साल 20 फरवरी को विश्व सामाजिक न्याय दिवस मनाया जाता है। यह दिन सामाजिक अन्याय के बारे में जागरूकता बढ़ाने और लिंग, जातिवाद, असमानता, धार्मिक भेदभाव आदि पर आधारित बेड़ियों को तोड़ने के लिए समर्पित है। यह दुनिया भर में सामाजिक अन्याय पर भी जोर देता है और समाधान और सुधार को आगे बढ़ाने की बात करता है।
सामाजिक विकास के लिए 1995 में डेनमार्क के कोपेनहेगन में विश्व शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया था, कोपेनहेगन घोषणा और कार्य योजना तैयार की गई। शिखर सम्मेलन के दौरान, 100 से अधिक राजनीतिक नेताओं ने गरीबी और पूर्ण रोजगार के साथ-साथ स्थिर, सुरक्षित और न्यायपूर्ण समाजों को अपने प्रमुख उद्देश्यों में शामिल करने का संकल्प लिया। वे विकास योजनाओं के केंद्र में लोगों को रखने की जरूरत पर भी सहमत हुए।
बाद में, फरवरी में न्यूयॉर्क में सामाजिक विकास आयोग के सत्र में एकत्रित होने पर संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों ने कोपेनहेगन घोषणा और कार्य योजना की समीक्षा की। इसके बाद, नवंबर 2007 में अपने 62वें सत्र में, संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने 20 फरवरी को विश्व सामाजिक न्याय दिवस के रूप में घोषित किया। यह दिन पहली बार 2009 में मनाया गया।
इस दिन के आयोजन से गरीबी उन्मूलन, पूर्ण रोजगार व सही काम को बढ़ावा देने, लैंगिक समानता और सभी के लिए सामाजिक कल्याण और न्याय तक पहुंच सुनिश्चित करने में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के प्रयासों को और मजबूत करने में मदद मिलेगी।
संयुक्त राष्ट्र में किर्गिज गणराज्य के स्थायी मिशन और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) द्वारा संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग (यूएन डीईएसए) के सहयोग से आयोजित 2025 का विश्व सामाजिक न्याय दिवस “एक स्थायी भविष्य के लिए न्यायोचित परिवर्तन को मजबूत करने” पर आधारित है।
इस साल का आयोजन विशेष महत्व रखता है क्योंकि दुनिया सामाजिक विकास के लिए दूसरे विश्व शिखर सम्मेलन की तैयारी कर रही है।
कई लोग गरीबी और अनुचित व्यवहार जैसी चुनौतियों का सामना करते हैं, जो उन्हें शिक्षा, रोजगार और बेहतर जीवन पाने से रोकते हैं। यह थीम लोगों को इन मुद्दों को हल करने और समाज को अधिक निष्पक्ष बनाने के लिए मिलकर काम करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक एवं सामाजिक मामलों के विभाग ने कहा कि क्योंकि वैश्विक समुदाय जलवायु परिवर्तन, आर्थिक बदलावों और सामाजिक असमानताओं से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों का सामना कर रहा है।
इसलिए इस कार्यक्रम में यह पता लगाया जाएगा कि समावेशी नीतियां किस प्रकार यह सुनिश्चित कर सकती हैं कि जलवायु कार्रवाई से अधिक और बेहतर नौकरियां पैदा हों, असमानताएं कम हों और सतत विकास को बढ़ावा मिले।