आर्थिक तौर पर महिलाओं को सशक्त बनाने के मामले में 190 देशों में भारत का स्थान 117वां है। विश्व बैंक की बहुप्रतिक्षित रिपोर्ट 'वूमन बिजनेस एंड लॉ 2020 ( डब्ल्यूबीएल इंडेक्स)' से पता चलता है कि 190 अर्थव्यवस्था या देश में कानून कैसे विभिन्न स्तरों पर कामकाजी महिलाओं की जिंदगी प्रभावित करती है, खासकर व्यापारिक शहरों में इन नियमों को किस तरह से लागू किया जाता है।
डब्ल्यूबीएल सूचकांक के मुताबिक औसत वैश्विक अंक 75.2 पाया गया जो कि पिछले सूचकांक वर्ष 2017 में 73.9 था। भारत ने इस मामले में 74.4 अंक प्राप्त किया है जो कि बेनिन और गेम्बिया जैसे देश के बराबर है। भारत इस मामले में कम से कम विकसित देश जैसे रवांडा और लिसोटो जैसों से भी पीछे है। इस तरह भारत का स्थान 190 देशों में 117वां है।
यह सूचकांक देशों के कानून और नियामकों का महिलाओं पर उनके अर्थव्यवस्था में योगदान पर पड़ने वाले असर को देखते हुए तय किया जाता है। इसमें मातृत्व, पुरुषों के मुकाबले समान वेतन जैसे आठ क्षेत्र शामिल किए गए हैं। सर्वे को जून 2017 से लेकर सितंबर 2019 के बीच किया गया था। विश्व बैंक समूह के अध्यक्ष डेविड मालपास ने इस सूचकांक को जारी करते हुए कहा कि महिलाओं के लिए आर्थिक गतिविधियों में सहभागिता के लिए कानूनी अधिकार देना एक अच्छी बात है। वे कहते हैं, "जब महिलाएं अधिक उन्मुक्त होकर कहीं भी आ-जा सकेंगी, घर के बाहर काम करेंगी और अपनी संपत्तियों की देखभाल करेंगी तो वे कार्यबल में शामिल होकर देश की अर्थव्यवस्था मजबूत करने के साथ आगे बढ़ाने में भी मदद करेगी।"
डब्ल्यूबीएल सूचकांक जारी करते समय एक प्रेस विज्ञप्ति में विश्व बैंक ने माना कि यह सर्वेक्षण दो वर्ष पहले किया गया था, तब के मुकाबले अब हालात काफी बेहतर हैं और विश्व महिलाओं की सहभागिता के मामले में कुछ आगे बढ़ चुका है। पिछले दो वर्षों में 40 अर्थव्यवस्था ने 62 तरह के सुधारों को लागू किया है जो कि महिलाओं की क्षमताओं को पहचानकर उन्हें आर्थिक गतिविधि में योगदान देने के लिए सहुलियत प्रदान करेंगे।
सूचकांक के मुताबिक मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका के देशों और उप-सहारा अफ्रीका के देशों में से 9 देश शीर्ष दस सबसे तेज आगे बढ़ने वाले देशों में शामिल हैं। इन देशों में सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, नेपाल, दक्षिण सूडान, साओ टोमे और प्रिंसिपे, बहरीन, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, जिबूती, जॉर्डन और ट्यूनीशिया शामिल हैं। इसके विपरीत, पूर्वी एशिया, यूरोप और मध्य एशिया या लैटिन अमेरिका और कैरिबियन देशों में ने किसी तरीके का सुधार नहीं किया है।
डब्ल्यूबीएल इंडेक्स के अनुसार, केवल आठ अर्थव्यवस्थाओं ने पूरे 100 अंक प्राप्त किए हैं। इनमें बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, आइसलैंड, लातविया, लक्समबर्ग और स्वीडन हैं। ये वे देश हैं जिन्होंने सभी आठ संकेतकों पर इस्तेमाल किए गए सूचकांक पर पुरुषों और महिलाओं के लिए समान कानूनी स्थिति सुनिश्चित की है।