अमेरिका में 2023 में सात परिवारों में से एक को खाद्य-असुरक्षा का सामना करना पड़ा
अमेरिका में 2023 में सात परिवारों में से एक को खाद्य-असुरक्षा का सामना करना पड़ाफोटो: आईस्टॉक

अमेरिका में क्यों बनी हुई है भुखमरी?

लगातार कायम रहने वाली आर्थिक असमानता और वंचित समूहों को कल्याणकारी कार्यक्रमों का लाभ न मिलना, इसकी मुख्य वजह है
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अपनी आबादी का पेट भरने के लिए दुनिया में पर्याप्त अनाज पैदा होता है लेकिन उसके बावजूूद भूख एक खास तबके को अपना निशाना बना रही है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, ‘2023 में दुनिया में हर 11 में से एक आदमी को हर रात भूखे पेट सोने को मजबूर होना पड़ा।’ उसका मानना है कि ‘2024 के आंकड़ों में यह संख्या बढ़ने की पूरी आशंका है। वैश्विक स्तर पर 2023 में करीब 2.33 अरब लोगों ने औसत या गंभीर खाद्य-असुरक्षा का सामना किया। यह वह संख्या है, जो 2020 में कोविड महामारी के दौरान तेजी से बढ़ी थी, लेकिन उतनी तेजी से कम नहीं हुई, जितनी की उम्मीद थी।’

भूख से प्रभावित दुनिया की इस आबादी का बहुसंख्यक हिस्सा एशिया और अफ्रीका में रहता है। लगातार बढ़ने वाली भूख के लिए आंतरिक और वाह्य संघर्ष, जलवायु परिवर्तन और दीर्घकालिक असमानता को जिम्मेदार ठहराया जाता है।

अमेरिका का मामला, दुनिया में भूख और गरीबी के सामान्य परिदृश्य से अलग है। यहां जब भूख और खाद्य-असुरक्षा की बात होगी तो यह उस ओर इशारा करेगी कि इन्हें दूर करने के लिए बनाई गई उसकी नीतियों और कार्यक्रमों में क्या खामियां हैं।

आमतौर पर कोई भी अमेरिका को उसकी स्थिर, यहां तक कि व्यापक तौर पर फैली खाद्य-असुरक्षा और भूख की वजह से नहीं जानता। अमेरिका पिछले 134 सालों से दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था (जीडीपी के मामले में) रहा है।

वह गरीबी और भूख उन्मूलन पर केंद्रित कल्याणकारी कार्यक्रमों के व्यापक नेटवर्क वाला सबसे पुराना लोकतंत्र है। इसकी विकास नीतियां, समानता और न्याय के सिद्धांतों पर आधारित हैं और, बाकी दुनिया ‘अमेरिकी सपनों’ का पीछा करती है, बावजूद इसके कि वे लगातार बुरे सपने लेकर आते हों।

अमेरिका के कृषि विभाग (यूएसडीए) की ‘2023 में संयुक्त राज्य अमेरिका में घरेलू खाद्य-सुरक्षा’ रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023 में देश के सात परिवारों में से एक को खाद्य-असुरक्षा का सामना करना पड़ा। अगर इसे आबादी के सटीक आंकड़ों के हिसाब से देखें तो 4.74 करोड़ अमेरिकी नागरिक इसके दायरे में आएंगे, जिनमें 1.38 करोड़ बच्चे शामिल हैं।

यानी कि अगर 2011 की जनगणना के हिसाब से देखें तो भूख से प्रभावित अमेरिकियों की यह संख्या भारत के सबसे गरीब राज्यों में से एक ओडिशा की आबादी से भी ज्यादा होगी।

अमेरिकी कृषि विभाग खाद्य-सुरक्षा को इस तरह से परिभाषित करता है - ‘एक सक्रिय और स्वस्थ जीवन के लिए सभी लोगों के लिए हर समय पर्याप्त मात्रा में भोजन तक पहुंच। ’

इसका मतलब है कि खाद्य-असुरक्षा से प्रभावित आबादी की या तो भोजन तक पहुंच नहीं है या उनक पास पर्याप्त भोजन खरीदने की क्षमता ही नहीं है।

यूएसडीए की रिपोर्ट के मुताबिक 5.1 फीसदी अमेरिकी परिवारों (20 में से 1) ने बहुत कम खाद्य-सुरक्षा का अनुभव किया, जो खाद्य-असुरक्षा का एक और अधिक गंभीर रूप है, जहां परिवार नियमित रूप से भोजन छोड़ने या कम खाने की बात स्वीकारते हैं, क्योंकि वे ज्यादा भोजन खरीद नहीं सकते।

यूएसडीए के सर्वेक्षण में जवाब देने वाले 98 फीसदी लोगों ने माना कि ‘उन्हें इस बात की चिंता रहती है कि उनके पास खाना खरीदने का पैसा आने से पहले ही खाने का उनका भंडार खत्म न हो जाये।’

अमेरिका का गरीबी स्तर भी स्थिर दिखता है। 2023 में यहां 3.68 करोड़ लोग यानी 11.1 फीसदी लोग गरीबी रेखा से नीचे थे, लगभग उतने, जितने कि 2022 में थे।

सभी के लिए बहुतायत में अनाज उत्पादन करने के बावजूद अमेरिका में इस तरह की खाद्य-असुरक्षा कैसे है। स्थिर तौर पर कायम इस चुनौती के लिए सामान्य संघर्ष और जलवायु परिवर्तन से ज्यादा लगातार बनी रहने वाली असामनता इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार है।

अश्वेत परिवारों में खाद्य-असुरक्षा की दर सबसे अधिक यानी 23.3 फीसदी है, इसके बाद लैतिन अमेरिकी आबादी (21.9 फीसदी ) है।

श्वेत परिवारों की तुलना में ये दरें दोगुनी हैं, क्योंकि 9.9 फीसदी श्वेत परिवार खाद्यान्न के मामले में असुरक्षित हैं। भौगोलिक रूप से दक्षिणी हिस्से में, पूरे देश की तुलना में खाद्य असुरक्षा कहीं ज्यादा है। अमेरिका में भूख और पोषण की कमी को मौत और विकलांगता का मुख्य कारण माना जाता है।

2022 में भूख, पोषण और स्वास्थ्य पर व्हाइट हाउस की राष्ट्रीय रणनीति में ‘अमेरिका में 2030 तक भूख को समाप्त करने, स्वस्थ भोजन और शारीरिक गतिविधि को बढ़ाने का आह्वान किया गया, जिससे कम से कम अमेरिकी लोगों को आहार से संबंधित बीमारी का अनुभव हो।’ यह पुरानी गरीबी को पहचानने का ताजा आह्वान भी है।

कम वेतन वाली नौकरियां, अल्प-बेरोजगारी और सरकार की कल्याणकारी योजनाओं तक पहुंच न होना, वे प्रमुख कारण हैं जो अंततः कठिनाईयां पैदा करते हैं। अधिकतर परिवार किराये, शिक्षा और स्वास्थ्य का बजट बनाते समय अपने खाने को लेकर समझौता करते हैं।

ऐसा कहा जाता है कि 40 फीसदी अमेरिकी ‘ गरीबी से सिर्फ एक वेतन दूर हैं, यानी अगर एक महीने का वेतन न मिले, तो वे गरीबों की श्रेणी में शामिल हो जाएंगे। यह स्थिति उनके लिए, अपने परिवारों को भोजन उपलब्ध कराने और दूसरी जरूरतों के बीच कोई मुश्किल फैसला लेने को नामुमकिन बनाती है।’

खाद्य-असुरक्षा और गरीबी, अश्वेत और सामाजिक तौर पर वंचित समूहों के बीच ज्यादा स्पष्ट दिखाई देती है। यही वह बिंदु है, जहां संगठनात्मक बाधाएं और नस्लवाद इसमें अपनी भूमिका निभाते है। इन वचिंत समूहों को अभी तक उनके लिए तैयार किए गए कार्यक्रमों को फायदा नहीं मिला है। यह स्थिति गरीबी के जाल को आगे भी स्थिर बनाए रखती है।

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