हिमाचल प्रदेश के बजट की क्यों हो रही है चर्चा?

प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रहे हिमाचल प्रदेश ने हरित विकास छात्रवृति योजना शुरू करने की घोषणा की है
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बजट 2024-25 सदन में पेश किया। फोटो: @CMOFFICEHP
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बजट 2024-25 सदन में पेश किया। फोटो: @CMOFFICEHP
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पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील हिमाचल प्रदेश के वार्षिक बजट में इस बार किसान कल्याण और जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने पर विशेष ध्यान दिया गया है। शनिवार 17 फरवरी 2024 को प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की ओर से वर्ष 2024-24 के लिए वार्षिक बजट में जलवायु परिवर्तन के खतरों को जांचने और उससे निपटने के लिए जिला स्तर और फिर पंचायत स्तर पर जलवायु परिवर्तन से संबंधित कार्य योजनाएं तैयार कर उनपर काम करने की घोषणा की गई है।

इसके अलावा बजट में पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन के खतरों को कम करने के लिए मुख्यमंत्री हरित विकास छात्रवृति योजना नाम की एक नई योजना की शुरुआत की गई है। इस योजना के तहत प्रत्येक विधानसभा के दो गांवों में जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संरक्षण पर अनुसंधान के लिए दो साल के लिए साइंस के पोस्ट ग्रेजुएट और इंजीनियरिंग के ग्रेजुएट्स को दो साल के शोध के लिए छात्रवृत्ति दी जाएगी।

इसके अलावा मुख्यमंत्री ने बजट भाषण के दौरान जलवायु परिवर्तन के खतरों के प्रति संवेदनशिलता दिखाते हुए वर्ष 2024-25 में भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और जीआईजेड के सहयोग से कृषि और बागवानी क्षेत्र पर बदलती जलवायु के विपरीत प्रभावों को कम करने के उद्देश्य से इन क्षेत्रों में एक नीड बेस्ड असेस्मेंट स्डडी करवाने की भी घोषण बजट में की है।

गौरतलब है कि पिछले वर्ष ही हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश और बाढ़ के कारण 10 हजार करोड से अधिक का नुकसान हुआ था। विशेषज्ञों ने बारिश के कारण आई भारी तबाही के पीछे अवैध खनन और निर्माण को भी एक प्रमुख कारण माना था। इसलिए सरकार ने इस बार के बजट में अवैध निर्माण और अवैध खनन से हो रहे पर्यावरण के नुकसान को रोकने और उसकी रियल टाइम मॉनिटरिंग के लिए जीआईएस मॉनिटरिंग प्रणाली को प्रयोग करने का फैसला लिया है।

प्राकृतिक खेती

इसके अलावा इस बार के बजट किसानों के लिए 582 करोड़ रूपये के बजट का प्रावधान किया है। मुख्यमंत्री ने पर्यावरण हितैषी प्राकृतिक खेती के लिए इस बार के बजट में बड़ी घोषणाएं की हैं। मुख्यमंत्री ने प्रदेश में 50 करोड़ रूपये की राजीव गांधी प्राकृतिक खेती स्टार्टअप योजना की घोषणा की है। इसके अन्तर्गत प्रत्येक पंचायत से 10 किसानों को ‘जहर मुक्त खेती’ के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

इस प्रकार लगभग 36,000 किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ा जाएगा। जो किसान पहले से ही खेती कर रहे हो उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी। जो भी किसान इस योजना से जुड़ते रहेंगे तथा गेहूं व मक्का में रसायनों को त्यागकर रसायन रहित अन्न उगाएंगे, उनका अधिकतम 20 क्विंटल प्रति परिवार अनाज न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा जाएगा।

गेहूं मक्के की एमएसपी

बेरोज़गार युवाओं को प्राकृतिक खेती के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से प्राकृतिक रूप से उगाए गए गेहूं को 40 रुपये प्रति किलोग्राम तथा मक्की को 30 रुपये प्रति किलोग्राम के एमएसपी पर खरीदा जाएगा। यह एमएसपी पूरे देश में सबसे अधिक है। गौर रहे कि हिमाचल प्रदेश में वर्तमान में पौने दो लाख किसान 30 हजार हैक्टेयर भूमि से अधिक पर खेती कर रहे हैं। सरकार के बजट में हुई इन घोषणाओं से इन किसानों को प्रोत्साहन मिलेगा और प्रदेश में प्राकृतिक खेती का दायरा और अधिक बढ़ेगा। 

दूध का न्यूनतम समर्थन मूल्य

इसके अलावा बजट में दूध उत्पादन को प्राकृतिक खेती से जोड़कर किसानों की आय में वृद्धि सुनिश्चित करने के भी प्रयास किए जाएंगे। किसानों को दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से 1 अप्रैल, 2024 से गाय तथा भैंस के दूध के न्यूनतम समर्थन मूल्य को वर्तमान 38 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 45 रुपये प्रति लीटर और, 47 रुपये प्रति लीटर से 55 रुपये प्रति लीटर किया गया है। यदि किसान को खुले बाज़ार में दूध की अधिक कीमत मिलती है तो वह इसे खुले बाज़ार में बेचने के लिए स्वतन्त्र होगा। बढ़े हुए पषुधन से अधिक गोबर उपलब्ध होगा जो प्राकृतिक खेती के काम आएगा। प्राकृतिक तकनीक से उगाई गई गेहूँ को सरकार द्वारा प्रमाणीकृत किया जाएगा और उसे सरकार द्वारा ही खरीद लिया जाएगा। 

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