जून के आखिरी सप्ताह में होगा संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन

सम्मेलन में महासागर में बढ़ते अम्लीकरण, प्रदूषण, अवैध तरीके से मछली पकड़ने और पर्यावासों व जैवविविधता को नुकसान पहुंचाने जैसे विषयों पर गंभीरता से विचार विमर्श होगा
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जून के आखिरी सप्ताह में पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन में दूसरा संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। उम्मीद जताई जा रही है कि सम्मेलन में मानव जनित गतिविधियों से समुद्री जीवन को पहुंच रही क्षति को कम करने के उपायों पर देशों के बीच सहमति बन सकती है।

27 जून से शुरू होने वाला यह सम्मेलन एक जुलाई तक चलेगा। इस सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के अलावा गैर सरकारी संगठनों, विश्वविद्यालयों से जुड़े विशेषज्ञ व उद्यमी भी हिस्सा लेंगे।

सम्मेलन में ‘ब्लू इकॉनॉमी’, यानि आर्थिक प्रगति के लिये समुद्री संसाधनों का टिकाऊ इस्तेमाल व विकसित करने के तौर-तरीकों पर चर्चा होगी।

इससे पहले साल 2017 में पहला सम्मेलन आयोजित किया गया था।

सम्मेलन में महासागर में बढ़ते अम्लीकरण, प्रदूषण, अवैध तरीके से मछली पकड़े जाने और पर्यावासों व जैवविविधता को नुकसान पहुंचाने जैसे विषयों पर गंभीरता से विचार विमर्श होगा और इनसे निपटने के उपाय खोजे जाएंगे।

संयुक्त राष्ट्र ने महासागर सम्बन्धी 10 लक्ष्य निर्धारित किये हैं, जिन्हें टिकाऊ विकास के 2030 एजेंडे के तहत इस दशक के अन्त तक प्राप्त करना है।

इनमें प्रदूषण व अम्लीकरण घटाने व रोकथाम करने, पारिस्थितिकी तंत्रों की रक्षा करने, मछली पकड़े जाने को नियमित करने, और वैज्ञानिक ज्ञान को बढ़ाने समेत अन्य लक्ष्य है, जिन पर सम्मेलन के दौरान चर्चा होगी।

महासागर और वैश्विक जलवायु में अटूट सम्बन्ध

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) की जलवायु परिवर्तन पर नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2013 से 2021 के दौरान वैश्विक समुद्री जलस्तर में औसत वृद्धि की दर 4.5 मिलीमीटर प्रति वर्ष थी। क्योंकि जमे हुए पानी की चादरों के पिघलने की दर में तेजी आई है।

उल्लेखनीय है कि महासागर हम सभी को ऑक्सीजन, भोजन व आजीविका प्रदान करते हैं। साथ ही, जैवविविधता को पोषित करते हैं। इसके अलावा महासागर जलवायु को स्थिर करते हैं और ग्रीनहाउस गैसों को सोखते हैं। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, निचले तटीय इलाकों में 68 करोड़ लोग रह रहे हैं, और वर्ष 2050 तक उनकी संख्या बढ़कर एक अरब हो जाने की सम्भावना है।

इसके अतिरिक्त इस दशक के अन्त तक लगभग चार करोड़ लोगों के पास महासागर-आधारित उद्योगों में रोजगार होगा।

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