आम बजट 2022-2023: केंद्र प्रायोजित योजनाओं की संख्या आधी की गई

महिला और बाल विकास की 19 योजनाओं को सुधार कर तीन योजनाओं में समाहित किया गया
हाल के सालों में केंद्र सरकार का फोकस केंद्र प्रायोजित योजनाओं में छंटनी करने पर रहा है। फोटो: पीआईबी
हाल के सालों में केंद्र सरकार का फोकस केंद्र प्रायोजित योजनाओं में छंटनी करने पर रहा है। फोटो: पीआईबी
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2022-2023 के आम बजट में केंद्र प्रायोजित योजनाओं (सीएसएस) को युक्तिसंगत बनाने का ऐलान कर उनमें कटौती की गई है। पिछले दो साल से ऐसी योजनाओं की संख्या घटकर आधी रह गई है।

इन योजनाओं के लिए पूरा फंड केंद्र सरकार देती है जबकि इन्हें अमल में लाने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है। 2022-2023 के आम बजट में केंद्र सरकार ने इन योजनाओं के लिए 4,42,781.19 करोड़ रुपये आवंटित किए है।

बजट दस्तावेज के मुताबिक, सभी मंत्रालयों में वितरित 130 केंद्र प्रायोजित योजनाओं को 65 योजनाओं में ‘तर्कसंगत या पुनर्निर्मित’ किया गया है। 1 अप्रैल, 2020 के बाद घोषित केंद्र प्रायोजित योजनाओं को इस सूची में शामिल नहीं किया गया है।

महिला और बाल विकास की 19 योजनाओं को युक्तिसंगत कर अब उन्हें केवल तीन योजनाओं में समाहित कर दिया गया है, जिनके नाम हैं -  मिशन शक्ति, मिशन वात्सल्य तथा सक्षम आंगनबाड़ी और पोषण 2.0 ।

मिशन शक्ति में 14 योजनाओं को सम्मिलित किया है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया बड़ा अभियान- बेटी बढ़ाओ, बेटी पढ़ाओ भी शामिल है।

पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत 12 केंद्र प्रायोजित योजनाओं को 2 योजनाओं में बदल दिया गया है जबकि 3 को बंद कर दिया गया है। ये दो नई योजनाएं हैं -बुनियादी ढांचा विकास कोष और विकास कार्यक्रम (पशुपालन)।

इसके तहत बंद की गई तीन योजनाएं हैं - सहकारी समितियों के माध्यम से डेयरी, राष्ट्रीय डेयरी योजना- दो और राष्ट्रीय डेयरी योजना।

केंद्र प्रायोजित योजनाओं को सबसे ज्यादा जिस मंत्रालय में संशोधित किया जा रहा है, उसका नाम है - कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय। इसमें बीस केंद्र प्रायोजित योजनाओं को तीन योजनाओं में युक्तिसंगत बनाया गया है। नई योजनाओं के नाम हैं - कृषिउन्नति योजना, कृषि सहकारिता पर एकीकृत योजना और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना।

कृषि वानिकी पर राष्ट्रीय परियोजना को ‘अन्य केंद्र प्रायोजित योजनाओं’ में शामिल कर लिया गया है।

इसी तरह, जैसा कि 2022-2023 के बजट में दर्शाया गया है - जैविक खेती पर राष्ट्रीय परियोजना को ‘स्थापना व्यय में स्थानांतरित’ कर दिया गया है, हालांकि इसके बारे में ज्यादा विवरण उपलब्ध नहीं किया गया है।

हाल के सालों में केंद्र सरकार का फोकस केंद्र प्रायोजित योजनाओं में छंटनी करने पर रहा है। 15वें वित्त आयोग में भी इन योजनाओं को युक्तिसंगत बनाने की सिफारिश की गई थी।

हाल ही में 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एनके सिंह ने भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) की बैठक में कहा था - ‘ भविष्य में केंद्र प्रायोजित योजनाओं के बेहतर युक्तिकरण के तौर-तरीकों को वित्त मंत्री और प्रधान मंत्री के सामने पेश करने के लिए हमें इस क्षेत्र के विशेषज्ञों के एक सशक्त समूह का गठन करने की जरूरत है।’ उन्होंने बताया था कि फिलहाल ऐसी 211 केंद्र प्रायोजित योजनाएं चल रही हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र प्रायोजित योजनाएं को युक्तिसंगत बनाने के लिए 2015 में मुख्यमंत्रियों के एक उप-समूह का गठन किया था। आज के बजट को देखकर ऐसा लगता है कि इस उप-समूह की सिफारिशों के चलते ही पिछले चार सालों  से सरकार इन योजनाओं को युक्तिसंगत बनाने की राह पर चल रही है।
 

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