स्रोत: नीति आयोग द्वारा जारी “मल्टीडायमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स : ए प्रोग्रेस रिव्यू 2023” रिपोर्ट
स्रोत: नीति आयोग द्वारा जारी “मल्टीडायमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स : ए प्रोग्रेस रिव्यू 2023” रिपोर्ट

मानचित्र से समझिए, किस राज्य में कितने लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले

देश की बहुआयामी गरीबी में 14.96 प्रतिशत की गिरावट आई है यानी 13.5 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले हैं
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देश में बहुआयामी गरीबी में तेज गिरावट दर्ज की गई है। नीति आयोग की हाल ही में जारी रिपोर्ट “मल्टीडायमेंशनल पावर्टी इंडेक्स : ए प्रोग्रेस रिव्यू 2023” के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों की बहुआयामी गरीबी में 13.31 प्रतिशत व शहरी क्षेत्रों में 3.38 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। राज्यवार देखें तो उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा और राजस्थान में सबसे अधिक लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले हैं।

बहुआयामी गरीबी से बाहर निकलने का अर्थ है कि पोषण, शिक्षा और जीवन स्तर में सुधार हो रहा है क्योंकि यह सूचकांक इन तीनों विषयों से संबंधित 12 पहलुओं को ध्यान में रखकर निर्धारित किया जाता है। इनमें पोषण, शिशु व वयस्क मृत्युदर, मातृत्व स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में हाजिरी, खाना पकाने के ईंधन, स्वच्छता, पेयजल, आवास, बिजली, संपत्ति और बैंक खाते शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार, इन सभी पहलुओं में सुधार हुआ है। बिजली की उपलब्धता और बैंक खातों में सबसे अधिक सुधार देखा गया है।

इस प्रगति को देखते हुए कहा जा सकता है कि भारत सतत विकास लक्ष्य 1.2 (बहुआयामी गरीबी को 2030 से पहले कम से कम आधा करना) को हासिल करने के लिए सही दिशा में है। बीमारू राज्य माने वाले बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश बहुआयामी गरीबी को सबसे कम करने वाले राज्यों में शामिल हैं। बिहार ने सर्वाधिक 18.13 प्रतिशत, मध्य प्रदेश ने 15.94 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश ने 14.75 प्रतिशत और राजस्थान ने 13.56 प्रतिशत बहुआयामी गरीबी कम करने में सफलता हासिल की है। केरल, पुदुचेरी और गोवा ऐसे राज्य व केंद्र शासित प्रदेश हैं, जहां वर्तमान में बहुआयामी गरीबों की आबादी एक प्रतिशत से भी कम है।

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