टमाटर ने बिगाड़ा जायका, बढ़ती कीमतों से जुलाई में 34 फीसदी महंगी हुई 'थाली'

टमाटर की कीमतों में जून से जुलाई के बीच करीब 233 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है
एक महीने में 233 फीसदी बढ़ी टमाटर की कीमतें; फोटो: आईस्टॉक
एक महीने में 233 फीसदी बढ़ी टमाटर की कीमतें; फोटो: आईस्टॉक
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देश में टमाटर और अन्य सब्जियों की बढ़ती कीमतों का सीधा असर लोगों की 'थाली' पर भी पड़ा है। इस बारे में क्रिसिल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि लगातार तीसरे महीने भी जुलाई में लोगों की थाली महंगी हुई है। इसके लिए मुख्य रूप से टमाटर की बढ़ती कीमतों को जिम्मेवार माना गया है। जो शाकाहारी थाली में हुई 34 फीसदी की वृद्धि में से 25 फीसदी के लिए जिम्मेवार था।

गौरतलब है कि टमाटर की कीमतों में जून से जुलाई के बीच करीब 233 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है, जो जून में 33 रूपए प्रति किलोग्राम से बढ़कर जुलाई में 110 रूपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया। वहीं कई जगहों पर तो इसकी कीमते 200 के पार चली गई थी।

क्रिसिल के मुताबिक जहां इस दौरान प्याज की कीमतों में 16 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई वहीं आलू भी नौ फीसदी महंगा हुआ है। इसी तरह मिर्च और जीरा भी पहले से कहीं ज्यादा महंगे हो गए हैं, इनकी कीमतों में क्रमशः 69 और 16 फीसदी की वृद्धि देखी गई।

हालांकि खाने में मसाले बहुत थोड़ी मात्रा में उपयोग किए जाते हैं इसकी वजह से इनका उतना प्रभाव नहीं पड़ा। लेकिन टमाटर और सब्जियों की बढ़ती कीमतों ने इसपर अच्छा-खासा असर डाला है।

बता दें कि क्रिसिल द्वारा भोजन की 'थाली' को तैयार करने पर आने वाले औसत खर्च की गणना उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम भारत में सामान की कीमतों के आधार पर की गई है। देखा जाए तो थाली के महंगे या सस्ते होने का सीधा असर आम आदमी के बजट पर पड़ता है।

प्याज और आलू की कीमतों में भी हुई वृद्धि

यह भी सामने आया है कि थाली की कीमतों में आने वाले बदलाव के लिए मुख्य तौर पर अनाज, दालें, ब्रॉयलर, सब्जियां, मसाले, खाद्य तेल और रसोई गैस जैसे साधनों की कीमते जिम्मेवार रहती हैं।

ऐसा नहीं है कि टमाटर की बढ़ती कीमतों का असर केवल शाकाहारी थाली पर ही पड़ा है। जुलाई में मांसाहारी थाली को तैयार करने पर होने वाले खर्च में भी 13 फीसदी की वृद्धि देखी गई।

जिसके 50 फीसदी के लिए ब्रॉयलर की बढ़ती कीमते जिम्मेवार थी। हालांकि रिपोर्ट के अनुसार जुलाई में ब्रॉयलर की कीमतों में तीन से पांच फीसदी की कमी के कयास लगाए गए हैं, जिससे थाली पर भी असर पड़ने की सम्भावना है। इसी तरह जुलाई में खाना तैयार करने के तेल में आई दो फीसदी की गिरावट के कारण दोनों ही थालियों की कीमतों में कुछ कमी आने की सम्भावना है।

आंकड़ों पर नजर डालें तो उत्पादन वर्ष 2021-22 में करीब 2.069 करोड़ टन टमाटर पैदा हुआ था जबकि 2022-23 में 2.062 करोड़ टन ही टमाटर होने का अनुमान है। अनुमान है कि टमाटर की कीमतें अगले पंद्रह से बीस दिनों में कम हो सकती हैं।

इस बारे में अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि, "टमाटर की कीमतों में जारी बढ़ोतरी अगस्त के अंत से पहले कम होने की उम्मीद नहीं है, जबकि अन्य सब्जियों की कीमतें भी पिछले कुछ हफ्तों में बढ़ी हैं।"

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