58 प्रतिशत राष्ट्रीय आय और 65 प्रतिशत संपत्ति पर है देश के 10 प्रतिशत अमीरों का कब्जा

वर्ल्ड इनइक्वेलिटी लैब द्वारा जारी किए गए वर्किंग पेपर “इनकम एंड वेल्थ इनइक्वेलिटी इन इंडिया, 1922-2023 : द राइज ऑफ द बिलिनेयर राज” में असमानता के राज खुले
50 प्रतिशत निचली आबादी के हिस्से केवल 15 प्रतिशत आय और 6.4 प्रतिशत संपत्ति ही है। फोटो: रिचर्ड महापात्रा
50 प्रतिशत निचली आबादी के हिस्से केवल 15 प्रतिशत आय और 6.4 प्रतिशत संपत्ति ही है। फोटो: रिचर्ड महापात्रा
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भारत में आय की असमानता की खाई तेजी से चौड़ी हो रही है। वर्ल्ड इनइक्वेलिटी लैब द्वारा जारी किए गए वर्किंग पेपर “इनकम एंड वेल्थ इनइक्वेलिटी इन इंडिया, 1922-2023 : द राइज ऑफ द बिलिनेयर राज” के अनुसार, 2014-15 और 2022-23 के बीच असमानता बहुत बढ़ी है, खासकर संपत्ति के एक जगह केंद्रित होने के मामले में।

नितिन भारती, लुकास चांसेल, थॉमेस पिकेटी और अनमोल सोमांची द्वारा संयुक्त रूप से किए गए इस शोधपत्र में कहा गया है कि भारत के एक प्रतिशत धनकुबेरों के पास देश की 22.6 प्रतिशत आय और 40.1 प्रतिशत संपत्ति है। वहीं दूसरी तरफ 50 प्रतिशत निचली आबादी के हिस्से केवल 15 प्रतिशत आय और 6.4 प्रतिशत संपत्ति ही है। बीच की 40 प्रतिशत आबादी के पास 27.3 प्रतिशत आय और 28.6 प्रतिशत संपत्ति है।

अगर शीर्ष अथवा सबसे अमीर 10 प्रतिशत आबादी की बात करें तो उनका 57.7 प्रतिशत आय और 65 प्रतिशत संपत्ति पर कब्जा है। दूसरे शब्दों में कहें तो देश की आधी से अधिक आय और करीब दो तिहाई संपत्ति 10 प्रतिशत अमीरों के पास है।

शोधपत्र में कहा गया है कि भारत के एक प्रतिशत धनकुबेरों के पास दुनिया किसी भी देश को मुकाबले अधिक आय है। दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शुमार अमेरिका और चीन के धनकुबेरों से अधिक राष्ट्रीय आय पर भारतीय अमीरों का कब्जा है।

सबसे अमीर 10 प्रतिशत लोगों की देश की आय में हिस्सेदारी 1951 में 37 प्रतिशत थी जो 1982 में गिरकर 30 प्रतिशत रह गई। लेकिन इसके बाद 10 प्रतिशत अमीरों की आय बेतहाशा बढ़ी। 1990 के बाद तीन दशकों में देश की आय में इन अमीरों की हिस्सेदारी 60 प्रतिशत तक पहुंच गई। वहीं दूसरी तरफ, 2022-23 में निचली 50 प्रतिशत आबादी के हिस्से 15 प्रतिशत आय ही आई।

एक प्रतिशत सबसे अमीरों की औसत आय 53 लाख है जो एक औसत भारतीय की आय (2.3 लाख) से 23 गुणा अधिक है। 50 प्रतिशत निचली आबादी और 40 प्रतिशत बीच की आबादी की औसत आय क्रमश: 71 हजार रुपए और 1 लाख 65 हजार रुपए है।

अध्ययनकर्ताओं के अनुसार, 1980 के दशक की शुरुआत तक एक प्रतिशत सबसे अमीरों की आय कम होने की वजह सरकार का समाजवादी नीतियां था। इस नीति के तहत प्रमुख सेक्टरों जैसे रेल, हवाई जहाजों, बैंकिंग और तेल का राष्ट्रीयकरण किया गया था। लेकिन इसके बाद हुए आर्थिक सुधारों और 1991 में उदारीकरण के चलते इन एक प्रतिशत अमीरों की आय गिरनी बंद हो गई। यही वजह है कि 1982 में जिन एक प्रतिशत धनकुबेरों की आय में हिस्सेदारी 6.1 प्रतिशत थी, वह 2022 तक 22.6 प्रतिशत पर पहुंच गई।

इसी तरह 1961 में सबसे अमीर 10 प्रतिशत लोगों की संपत्ति में हिस्सेदारी 45 प्रतिशत थी जो 2022-23 में 65 प्रतिशत हो गई। वहीं दूसरी तरफ निचली 50 प्रतिशत और बीच की 40 प्रतिशत लोगों की संपत्ति में हिस्सेदारी तेजी से कम हुई।

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