दो दशक में 46 से 12% हुई हिमाचल की जीडीपी में कृषि-बागवानी की हिस्सेदारी

हिमाचल प्रदेश के आर्थिक सर्वेक्षण में कृषि-बागवानी संबंद्ध क्षेत्रों का राज्य की जीडीपी में केवल 12.73 प्रतिशत योगदान बताया गया है
फोटो: रोहित पराशर
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रोहित पराशर
कृषि लागत में हो रही वृद्धि और जंगली जानवरों की समस्या के चलते हिमाचल का किसान खेती से दूर होता जा रहा है। हिमाचल के वर्ष 2019-20 के आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में राज्य की जीडीपी में कृषि-बागवानी एवं संबंद्ध क्षेत्रों का 12.73 प्रतिशत होने का दावा किया गया है। जो कि पिछले दो दशकों में एक चौथाई घट गया है।
 
वर्ष 2000 में सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण में कृषि-बागवानी एवं संबंद्ध क्षेत्रों का जीडीपी में 46 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी, वर्ष 2014-15 में घटकर 15.35 और इस साल केवल 12.73 प्रतिशत तक सिमट कर रह गई है। कृषि-बागवानी एवं संबंद्ध क्षेत्रों के प्रति सरकार की उदासिनता से जहां एक तरफ जीडीपी में इसका शेयर लगातार कम हो रहा है। वहीं दूसरी ओर राज्य में बेरोजगारी की समस्या बढ़ी है।
 
दो दशकों में कृषि क्षेत्र के लगातार घटती प्रतिशतता के बावजूद भी यह क्षेत्र जीडीपी के प्राथमिक क्षेत्र में आता है। चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 में बागवानी उपज में पिछले साल से 42.82 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। कुल बागवानी उपज सात लाख मीट्रिक टन हुई तो इसमें 6.64 लाख मीट्रिक टन की पैदावार सेब बागवानी की रही। ऐसे में आर्थिक सर्वेक्षण ने सरकार को इस क्षेत्र की ओर विशेष ध्यान देने के की ओर इशारा किया है।
 
कृषि-बागवानी के इस प्राथमिक क्षेत्र ने दूसरे क्षेत्र यानी उद्योग, आधारभूत ढांचा, पर्यटन आदि और तृतीयक, सेवा क्षेत्र को कड़ी टक्कर दी है। दूसरे क्षेत्र की विकास दर महज 3.9 प्रतिशत का योगदान दिया है, जबकि तीसरे क्षेत्र यानी सामुदायिक एवं व्यक्तिगत सेवा क्षेत्र का 7.7 प्रतिशत योगदान दिया है। हालांकि, तीसरे क्षेत्र का हर बार इसके आसपास ही भूमिका रहती है। पिछली बार सेब की उपज कम थी तो प्राथमिक क्षेत्र का भी विकास दर की वृद्धि ने बहुत कम योगदान रहा था।

आर्थिक मंदी के इस दौर में हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था में भी पिछले चार सालों में लगातार कमी देखी गई है। हिमाचल प्रदेश की चालू वित वर्ष के लिए विकास दर 5.6 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है। जो कि पिछले वर्ष के मुकाबले 1.5 फीसदी कम है। वहीं इस वर्ष पेश की गई आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में पिछले चार सालों में विकास दर सबसे कम आंकी गई है। वर्ष 2016-17 में हिमाचल की विकास दर 6.5, वर्ष 2017-18 में 6.8 और वर्ष 2018-19 में 7.1 फीसदी रही थी। हालांकि इस वर्ष विकासदर में कमी आंकी गई है लेकिन राष्ट्रीय विकास दर से थोड़ी बेहतर पाई गई है। राष्ट्रीय स्तर पर विकास दर 5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।
 
किसानों को खेती की ओर आकर्षित करने के प्रदेश में शुरू की गई प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के कार्यकारी निदेशक और औद्यानिकी व वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के प्रोफेसर डाॅ राजेश्वर सिंह चंदेल का कहना है कि बढ़ते शहरीकरण, औद्योगिकीकरण, कृषि लागत में हो रही बेतहाशा बढ़ोतरी किसानों को खेती से दूर कर रही है। किसानों को खेती की ओर लाने के लिए सरकार को युवाओं को कृषि की ओर आकर्षित करने के लिए नई योजनाएं लानी चाहिए, साथ ही किसानों के लिए सिंचाई की व्यवस्था के साथ आधुनिक मशिनरी को उपलब्ध करवाने की दिशा में काम करना चाहिए।

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