बाहर धूप खिली है। तापमान शायद चालीस डिग्री है। दर्शक दीर्घा खाली हो गई है और टेंट वाले मैदान में अपना टेंट लपेट रहे हैं। आखिरी खबर मिलने तक युद्ध समाप्त हो चुका है। डीटेल में खबर जानने के लिए वॉर रूम का रुख करते हैं।
ओवर टु वॉर रूम। वॉर रूम में सन्नाटा पसरा हुआ था।
“इतना सन्नाटा क्यों है भाई?” धृतराष्ट्र ने पूछा।
“हम जंग हार चुके हैं” संजय बोले।
“तुमने हमको पहले यह सब क्यों नहीं बताया?” धृतराष्ट्र ने पूछा।
सवाल को अनसुना करते हुए संजय ने बुदबुदाते हुए कहा, “हमारे पास सबसे आधुनिक मिसाइल थी फिर भी हम हार गए!”
धृतराष्ट्र बोले, “तुमने हमको यह सब पहले क्यों नहीं बताया?”
संजय बोले, “हमारे पास ड्रोन-विशेषज्ञ द्रोणाचार्य थे, भीष्म थे, फिर भी हम हार गए!”
धृतराष्ट्र बोले “तुमने हमको यह सब पहले क्यों नहीं बताया?”
संजय बोले, “क्या नहीं था हमारे पास? शकुनि से लेकर दुर्योधन और अश्वत्थामा से लेकर कर्ण जैसे प्रोफेशनल मरसिनरी फिर भी हम हार गए!”
धृतराष्ट्र बोले, “तुमने हमको यह सब पहले क्यों नहीं बताया?”
“पहले क्यों नहीं बताया” “पहले क्यों नहीं बताया” क्या एक ही रट लगाए रख्या है ताऊ!” अचानक संजय भड़ककर बोले, “कोई ऑप्शन छोड़ा था आपने?”
इस अचानक हमले से धृतराष्ट्र हकबका कर बोले, “मैं तो बस तनिक डीटेल में समझना चाह रहा था।” संजय बोले, “इसमें कौन सी बात है जो आप नहीं समझ रहे हैं? मेरा कितना मन था कि जंग को लाइव कवर करूं पर आपने मुझे अपना मीडिया एडवाइजर बनाकर जंग की रनिंग कमेंट्री करने के लिए महल में रख लिया। उधर महल के हर दरवाजे-खिड़की पर चापलूस एंकर-एंकराओं की भजन मंडली को बैठा दिया जो किसी भी खबर को आप तक पहुंचने नहीं देते थे।”
धृतराष्ट्र बोले, “तुमने हमको यह सब पहले क्यों नहीं बताया?”
संजय भुनभुना कर बोले, “आपको पता है बेचारे सैनिक कितनी बुरी हालात में थे? उनको समय पर पगार नहीं मिल रही थी। ऊपर से युद्ध के मैदान में पानी खरीद कर पीना पड़ रहा था। खाना ऑनलाइन मंगवाना पड़ रहा था। सबसे बड़ी परेशानी कि पूरे कुरुक्षेत्र में एक भी चार्जिंग प्वाइंट नहीं था। सैनिकों के स्मार्टफोन पहले ही दिन डिस्चार्ज हो गए। न कोई सेल्फी ले पा रहा था, न ही वाट्सऐप-इंस्टा-एक्स पर स्टेटस अपडेट कर पा रहा था। पूरी-पूरी रात बेचारे सैनिक खाली आसमान को देखकर गुजारते थे। ओटीटी पर इस बीच कितनी वेब सीरीज आईं और चली गईं पर बेचारे सैनिक कुछ भी न देख सके। यह इज्जत दी आपने अपने परिवार के सर फुटव्वल के लिए मर-मिटने वाले सैनिकों को?”
धृतराष्ट्र बोले, “तुमने हमको यह सब पहले क्यों नहीं बताया?”
संजय बोले, “मैंने आपको यह सब बताने की कोशिश की थी पर पीछे अचानक एक दिन अलसुबह मेरे घर कुछ लोग आ गए और घर की सभी चीजें जब्त कर अपने साथ ले गए। मैं ठहरा बाल-बच्चे वाला आदमी। मुझे अपने परिवार की फिक्र है इसलिए चुप हो गया।”
फिर अपना मुंह धृतराष्ट्र के कान के पास ले जाकर फुसफुसा कर बोले, “वैसे आप चाहें तो मैं आपको सारी खबरें दिखा सकता हूं।”
इतना कहते हुए संजय ने चुपके से अपनी जेब से एक पेन ड्राइव निकाला पर इससे पहले वह पेन ड्राइव को कम्प्यूटर से जोड़ते अचानक कई लोग धड़धड़ाते हुए कमरे में आ गए और देखते-देखते उन लोगों ने संजय को गिरफ्तार कर लिया और साथ ही सारे कम्प्यूटर-एलसीडी मॉनिटर, हार्ड-डिस्क ही नहीं बल्कि वॉर रूम के सारे बल्ब, पंखे, सुराही, गिलास और जमीन पर पड़ी दरी-चादर को भी अपने कब्जे में लेकर चले गए।