प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना: तीसरे चरण में केवल सात प्रतिशत युवाओं को ही मिल पाया काम

संसद की स्थायी समिति ने प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तीसरे चरण के दौरान केवल सात फीसदी नियुक्तियों पर चिंता जताई है
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तीसरे चरण की शुरुआत फरवरी 2021 में हुई थी। फोटो: pmkvyofficial.org
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तीसरे चरण की शुरुआत फरवरी 2021 में हुई थी। फोटो: pmkvyofficial.org
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प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना का दूसरा व तीसरा चरण पूरा हो चुका है। केंद्र सरकार ने चौथे चरण की तैयारी शुरू कर दी है, लेकिन इन दोनों चरणों से क्या हासिल हुआ। स्थायी संसदीय समिति की ताजा रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।

श्रम, कपड़ा एवं कौशल विकास स्थायी समिति की यह रिपोर्ट 21 जुलाई 2023 को संसद में रखी गई थी। रिपोर्ट बताती है कि प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के दूसरे चरण में 91,38,665 उम्मीदवारों को प्रशिक्षण के बाद प्रमाण पत्र दिए गए थे, लेकिन इनमें केवल 21,32,715 उम्मीदवारों को नियुक्ति मिल पाई।

समिति की रिपोर्ट के मुताबिक योजना के तीसरे चरण (पीएमकेवीवाई 3.0) में 3,99,860 उम्मीदवारों को प्रमाणित किया गया, लेकिन केवल 30,599 उम्मीदवारों को ही नियुक्ति मिली।

इसका आशय है कि दूसरे चरण में केवल 23 प्रतिशत और तीसरे चरण में केवल सात प्रतिशत उम्मीदवारों को ही काम मिल पाया।

समिति ने इस बात पर भी चिंता जताई है कि वित्त वर्ष 2021-22 में योजना के तीसरे चरण के तहत 1,438 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया था, लेकिन केवल 1,043.21 करोड़ रुपए का वास्तविक उपयोग किया गया।

रिपोर्ट के मुताबिक अगले वित्त वर्ष में 686.02 करोड़ रुपए की राशि जारी की गई, लेकिन 30 जून, 2022 तक केवल 294.98 करोड़ रुपए का वास्तविक उपयोग हो पाया।

समिति ने मंत्रालय से कहा है कि योजना में आ रही बाधाओं को दूर करने की दिशा में गंभीरता से ध्यान दे, ताकि प्रशिक्षित व प्रमाणित उम्मीदवारों के प्लेसमेंट/स्वरोजगार को काफी हद तक बढ़ावा दिया जा सके और साथ ही निर्धारित धनराशि का अधिकतम उपयोग किया जा सके।

केंद्रीय कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) ने देश के 8 लाख युवाओं को कौशल प्रदान करने के उद्देश्य से 15 जनवरी 4ृ43 को प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना 3.0 (पीएमकेवीवाई 3.0) शुरू की थी, लेकिन 3,99,860 को ही प्रशिक्षित किया गया। मंत्रालय की ओर से स्थायी समिति को बताया गया कि कोविड-19 की वजह से प्रशिक्षु जुड़ नहीं पाए।

समिति ने इससे पहले भी अपनी पिछली रिपोर्ट में इस बात पर गंभीर चिंता व्यक्त की थी कि योजना के तीनों चरणों के दौरान कुल नामांकित उम्मीदवारों में से 20 प्रतिशत ने प्रशिक्षण कार्यक्रम छोड़ दिया।

भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए), नई दिल्ली द्वारा की गई मूल्यांकन अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार प्रशिक्षण छोड़ने के अधिकांश कारण बीमारी, पारिवारिक मुद्दे, सामाजिक समस्या, निवास से प्रशिक्षण केंद्रों की दूरी, सामाजिक स्थिति का उन्नयन, और कौशल में कोई सुधार नहीं होने के कारण प्रशिक्षु बीच में प्रशिक्षण छोड़ देते हैं।

संसदीय समिति ने कौशल विकास मंत्रालय से कहा है कि चौथे चरण के दौरान इन सब मुद्दों पर गहनता से विचार करके ही आगे बढ़े।

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