
वर्ल्ड बैंक की ताजा ग्लोबल फिनडेक्स 2025 रिपोर्ट बताती है कि दुनिया के निम्न और मध्यम आय वाले देशों में पहले से कहीं अधिक वयस्क अब औपचारिक बैंक या अन्य वित्तीय खातों का उपयोग कर रहे हैं और इसका सबसे बड़ा असर बचत पर पड़ा है। डिजिटल तकनीक में विशेष रूप से मोबाइल फोन इस बदलाव का प्रमुख आधार बनी है।
रिपोर्ट के मुताबिक, विकासशील देशों में हर दस में से एक वयस्क अब मोबाइल मनी खाते के जरिए बचत करता है, जो 2021 की तुलना में पांच प्रतिशत अंक की वृद्धि है।
2024 में विकासशील देशों में 40 फीसदी वयस्कों ने किसी वित्तीय खाते में बचत की, जो 2021 के मुकाबले 16 प्रतिशत अंक की बढ़ोतरी है। यह वृद्धि पिछले एक दशक में सबसे तेज रही है। औपचारिक वित्तीय संस्थानों में बढ़ती व्यक्तिगत बचत से राष्ट्रीय वित्तीय प्रणालियों को मजबूती मिलती है, जिससे निवेश, नवाचार और समग्र आर्थिक वृद्धि के लिए अधिक संसाधन उपलब्ध होते हैं। विशेष रूप से उप-सहारा अफ्रीका में इस दौरान 12 प्रतिशत अंक की वृद्धि दर्ज की गई और अब वहां 35 फीसदी वयस्क औपचारिक बचत कर रहे हैं।
वर्ल्ड बैंक समूह के अध्यक्ष अजय बंगा ने कहा, “वित्तीय समावेशन न केवल लोगों की जिंदगी में सुधार ला सकता है बल्कि पूरे देशों की अर्थव्यवस्थाओं को भी बदल सकता है। डिजिटल फाइनेंस इस संभावना को हकीकत में बदल सकता है, लेकिन इसके लिए कई बुनियादी ढांचे और नीतिगत सुधारों की जरूरत होती है। हम देशों को डिजिटल आईडी तक पहुंच दिलाने, डिजिटल नकद हस्तांतरण आधारित सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम बनाने, भुगतान प्रणालियों के आधुनिकीकरण और नियामक बाधाओं को हटाने में मदद कर रहे हैं।”
ग्लोबल फिनडेक्स को सहयोग देने वाले बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के चेयर बिल गेट्स ने कहा, “आज पहले से कहीं अधिक लोग अपने भविष्य में निवेश करने और आर्थिक स्थिरता बनाने के लिए आवश्यक वित्तीय उपकरणों से लैस हैं, इसमें वे महिलाएं भी शामिल हैं जिन्हें पहले नजरअंदाज किया गया था। यह वास्तविक प्रगति है।”
ग्लोबल फिनडेक्स विश्व स्तर पर वित्तीय सेवाओं तक पहुंच, भुगतान, बचत और उधारी के आंकड़ों का प्रमुख स्रोत है। रिपोर्ट के अनुसार अब विश्वभर में लगभग 80 फीसदी वयस्कों के पास कोई न कोई वित्तीय खाता है, जो 2011 में 50 फीसदी था। हालांकि अब भी 130 करोड़ वयस्क वित्तीय सेवाओं से वंचित हैं। रिपोर्ट बताती है कि इनमें से 90 करोड़ वयस्कों के पास मोबाइल फोन हैं, जिनमें 53 करोड़ के पास स्मार्टफोन है, जो डिजिटल वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने में मददगार हो सकता है।
भारत में यूपीआई और ब्राजील में पिक्स जैसी त्वरित भुगतान प्रणालियों में निवेश, मोबाइल फोन और खातों की सुरक्षा बढ़ाना और उपभोक्ता सुरक्षा को मजबूत करना, ऐसे कई उपाय हैं जो वित्तीय सेवाओं की पहुंच को और विस्तार दे सकते हैं।
रिपोर्ट में डिजिटल सेवाओं के जरिए लिंग आधारित खाई में कमी की ओर भी इशारा किया गया है। वैश्विक स्तर पर जहां 81 फीसदी पुरुषों के पास खाते हैं, वहीं महिलाओं का आंकड़ा अब 77 फीसदी तक पहुंच गया है। खासतौर पर विकासशील देशों में महिलाओं के खाता स्वामित्व में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 2011 में यह 37 फीसदी था, जो 2024 में बढ़कर 73 फीसदी हो गया।
पहली बार, रिपोर्ट में मोबाइल फोन स्वामित्व और इंटरनेट उपयोग पर भी आंकड़े शामिल किए गए हैं। फिनडेक्स डिजिटल कनेक्टिविटी ट्रैकर 2025 के अनुसार, वैश्विक स्तर पर 86 फीसदी वयस्कों के पास मोबाइल फोन है, जिनमें 68 फीसदी स्मार्टफोन उपयोग करते हैं। लेकिन इस बढ़ते डिजिटल उपयोग के साथ खतरे भी हैं। विकासशील देशों में चार अरब मोबाइलधारी वयस्कों में से केवल आधे ही अपने फोन को पासवर्ड से सुरक्षित करते हैं।
रिपोर्ट यह भी दर्शाती है कि अब पहले से अधिक वयस्क दुकानों में या ऑनलाइन डिजिटल भुगतान कर रहे हैं। 2024 में, विकासशील देशों में 42 फीसदी वयस्कों ने डिजिटल मर्चेंट भुगतान किए। 2021 के मुकाबले 7 प्रतिशत अंक की वृद्धि दर्ज हुई। साथ ही, सरकार से भुगतान प्राप्त करने वाले तीन-चौथाई वयस्क और मजदूरी पाने वाले आधे लोग अब सीधे अपने खातों में पैसा प्राप्त करते हैं। इससे न केवल चोरी की संभावना घटती है, बल्कि यह सुनिश्चित होता है कि राशि सही व्यक्ति तक पहुंचे।
ग्लोबल फिनडेक्स 2025 रिपोर्ट के मुताबिक, अलग-अलग क्षेत्रों में डिजिटल और वित्तीय समावेशन की गति भिन्न रही है। पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र स्मार्टफोन उपयोग (86 फीसदी) और खाता स्वामित्व (83 फीसदी) में सबसे आगे है, जबकि यूरोप और मध्य एशिया में इंटरनेट और सोशल मीडिया उपयोग की दरें सबसे ऊंची हैं और 94 फीसदी से अधिक वयस्कों के पास मोबाइल फोन है। लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई देशों में 70 फीसदी वयस्कों के पास खाता है और आधे से अधिक लोग डिजिटल लेनदेन करते हैं। मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में खाता स्वामित्व 2021 के 45% से बढ़कर 2024 में 53 फीसदी हुआ है और औपचारिक बचत करने वालों की संख्या भी बढ़ी है। दक्षिण एशिया में 80 फीसदी वयस्कों के पास खाता है, लेकिन यह आंकड़ा भारत के नेतृत्व में है, जहां 90 फीसदी वयस्कों के पास खाता है और 65 फीसदी के पास मोबाइल फोन। वहीं, उप-सहारा अफ्रीका में मोबाइल मनी के उपयोग ने खाता स्वामित्व को 58 फीसदी तक पहुंचा दिया है। यह विश्व में मोबाइल आधारित वित्तीय सेवाओं के प्रयोग में सबसे आगे है।