आज से ओलंपिक महाकुंभ: जीडीपी व जनसांख्यिकीय तय करती है पदक तालिका!

विश्व के जानेमाने अकादमिक लिनस वंडरलिच और क्रिस्टोफ श्लेमबैक ने एक ऐसा मॉडल तैयार किया है जिसके आधार पर उन्होंने दावा किया है कि विश्व के कौन से देश कितने पदक जीतेंगे
Photo: olympics.com
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26 जुलाई से दुनिया का सबसे बड़ा खेल मेला यानी ओलंपिक शुरू होने जा रहा है। इसमें भारत के 117 सहित दुनिया भर के 10,500 एथलीट कुल 329 खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेंगे। अगले 15 दिनों तक चलने वाले इन खेलों के महाकुंभ में कुल 206 देशों के प्रतियोगी भाग ले रहे हैं। ऐसे में यह पता लगाना कि इन खेलों में भाग ले रहे देश एक-दूसरे के खिलाफ कैसा  प्रदर्शन करते हैं, थोड़ा मुश्किल ही नहीं बहुत अधिक कठिन भी है।

इस यक्ष सवाल को एक चुनौती के रूप में विश्व के जानेमाने अकादमिक लिनस वंडरलिच और क्रिस्टोफ श्लेमबैक ने लिया है। द इकोनॉमिस्ट में छपी रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने एक ऐसा मॉडल तैयार किया है जिसके आधार पर उनका दावा है कि विश्व के कौन से देश कितने पदक जीत पाएंगे। इसके लिए उन्होंने एक पूर्वानुमान मॉडल तैयार किया है जो यह बताता है कि अमेरिका पेरिस ओलंपिक में 115 पदक जीतने की राह पर अग्रसर है और इस संख्या को यदि पिछले ओलंपिक यानी 2021 के टोक्यो ओलंपिक से तुलना की जाए तो खेलों के इस महासमर में अमेरिका इस बार अपने घर ले गए 113 पदकों से थोड़ा ही अधिक है यानी केवल दो पदकों का ही अंतर है।

हालांकि इस मॉडल के पूर्वानुमान यह नहीं दिखाते कि जीतने वाले पदकों में कांस्य, रजत या स्वर्ण कितने होंगे। अब यदि इसी मॉडल पर विश्वास करते हुए चीन के पदकों की संख्या पर नजर डालें तो पाएंगे कि चीन के 87 पदक जीतने का अनुमान इस मॉडल ने लगाया है। वहीं ग्रेट ब्रिटेन 67 के साथ तीसरे स्थान पर आ सकता है। जबकि मेजबान देश फ्रांस के 46 पदक जीतने का अनुमान है। यह 2021 के ओलंपिक से 33 पदक से कहीं अधिक है।

लेकिन यहां सबसे महत्वूपूर्ण बात यह है कि ये सभी आंकड़े आंशिक रूप से विश्व के सभी देशों के आर्थिक और उनकी जनसांख्यिकीय लाभों का परिणाम है। अब इसे एक उदाहरण के रूप में समझने की कोशिश करते हैं। जैसे कि यह सर्व विदित है कि अमीर देश खेल के बुनियादी ढांचे और कोचिंग में गरीब देशों की तुलना में अधिक पैसा लगाते हैं। ध्यान रहे कि 2021 में द इकोनॉमिस्ट ने एक व्यापक गणना की थी कि 1960 के बाद से दुनिया भर के देशों के बीच ओलंपिक पदकों में आधे से अधिक जीतने वाले देशों के पदकों का अंतर उन देशों के सकल घरेलू उत्पाद ( जीडीपी ) की वजह से है। अन्य चीजों को स्थिर रखते हुए अगर कोई देश वैश्विक जीडीपी में अपने हिस्से को दो प्रतिशत अंकों को बढ़ाता है तो ओलंपिक पदकों में उसका हिस्सा तीन अंकों तक बढ़ जाता है। उदाहरण के लिए 2021 में टोक्यो खेलों में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के एक चौथाई के साथ अमेरिका ने दसवें हिस्से के बराबर पदक जीता।

देशों के बीच खेल की स्थिति को बराबर करने के लिए विश्लेषणकर्ताओं ने उन देशों का विश्लेषण किया जिन्होंने इस सदी में कम से कम 20 पदक जीते हैं और उनके अंतिम टैली को सकल घरेलू उत्पाद के साथ समायोजित किया गया है। उनके अनुसार इस मामले में जमैका का प्रदर्शन शीर्ष पर आता है। प्रत्येक 100 बिलियन डालर मूल्य के जीडीपी (2015 की कीमतों पर) के लिए यह देश 69 पदक जीतता है। यहां यह भी ध्यान देने की बात है कि ऐसे में इसके अधिकांश पदक केवल एक ही खेल प्रतियोगित यानी एथलेटिक्स से आते हैं। यह सभी जानते हैं कि दुनिया का सबसे तेज धावक और इस सदी का एक महान और अब सेवानिवृत्त धावक उसैन बोल्ट ने पिछले तीन ओलंपिक में अकेले दम पर आठ स्वर्ण पदक जीते हैं। इस मामले में चीन और अमेरिका दोनों क्रमशः 40वें और 50वें स्थान पर हैं। और जहां तक भारत कि बात है जिसने 2000 से जीते सभी पदकों का 0.3 प्रतिशत जीता है और अंतिम स्थान पर आता है।

अब देशों के जनसंख्यांकीय पर ध्यान देते हैं। यह बहुत ही महत्वपूर्ण बात है कि विश्व के देशों की जनसंख्या का आकार भी इस मामले में एक महत्वूपूर्ण भूमिका निभाता है। सिद्धांत रूप में देखें तो बड़े देशों में प्रतिभाओं का एक बड़ा समूह होता है। इससे प्रति 1 मिलियन लोगों पर पदकों की रैंकिंग थोड़ी अधिक निष्पक्ष हो जाती है। भारत जो अब दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है, फिर से सबसे निचले पायदान पर आता है। 2000 से इसका पदक प्रति 1 मिलियन लोगों पर 0.0026 पदक (या प्रति 385 मिलियन लोगों पर एक पदक) है। दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश चीन 40वें और अमेरिका 50वें स्थान पर खिसक गया है। वहीं जमैका जिसकी आबादी मात्र 3 मिलियन से भी कम है, प्रति मिलियन 3.5 पदकों के साथ फिर से सबसे ऊपर विराजमान है।

प्रति व्यक्ति पदकों का मानदंड छोटे देशों के पक्ष में जाता है, जिनमें से कई एक खेल में विशेषज्ञ होते हैं। उदाहरण के लिए यदि पेरिस में भारत के एथलीट टोक्यो खेलों में जमैका के पदक-प्रति-व्यक्ति अनुपात से मेल खाते हैं, तो उन्हें 5,500 पदक जीतने होंगे- जो प्रस्तावित संख्या से पांच गुना अधिक है। दो सांख्यिकीविदों रॉबर्ट डंकन और एंड्रयू पेरेस द्वारा लिखे गए एक नए पेपर में बताया गया है कि अपेक्षाकृत बड़ी संख्या में छोटी आबादी वाले देशों और सीमित संख्या में पदकों को समायोजित किया गया है। उनकी गणना के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया, जिसने टोक्यो में 46 पदक जीते, अपनी आबादी के हिसाब से ट्रॉफियों की संख्या के मामले में अग्रणी है, उसके बाद ब्रिटेन है। इस मामले में अमेरिका छठे स्थान पर खिसक जाएगा।

हां अंत में इस मामले सबसे सीधा और आसान तारीका है पदक तालिका। इससे यह आसानी से देखा और समझा जा सकता है कि देशों की पदक पदक तालिका में कौन कितने प्रतिशत पदक जीतता है। ओलंपिक में इस्तेमाल किए जाने वाले इस उपाय के अनुसार अमेरिका हाल के सालों में स्पष्ट रूप से अग्रणी रहा है। इसके एथलीटों ने 2000 और 2021 के बीच ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों के सभी पदकों में से 11 प्रतिशत पदक जीते जबकि चीन और रूस ने क्रमशः 8 प्रतिशत और 7 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर हैं।

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