
आर्थिक विकास के लिए पर्यटन के महत्व को सामने लाने और देश की प्राकृतिक सुंदरता को बढ़ावा देने के लिए हर साल 25 जनवरी को राष्ट्रीय पर्यटन दिवस मनाया जाता है।
पर्यटन भारत में समृद्ध सांस्कृतिक और पौराणिक विरासत है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक, देश में घूमने के लिए कई सुंदर जगहें और खाने के लिए लजीज व्यंजन हैं। हर पर्यटक स्थल अपने आप में ऐतिहासिक या पौराणिक कथाओं की कहानियां समेटे हुए है, जो उन्हें और भी खास बनाती हैं।
पर्यटन मंत्रालय के मुताबिक, यह दिन इस बात पर प्रकाश डालता है कि कैसे पर्यटन न केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है, रोजगार पैदा करता है और बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा देता है, बल्कि भारत को एक संपन्न वैश्विक पर्यटन स्थल के रूप में भी स्थापित करता है। यह अपनी अनोखी सुंदरता और संस्कृति से दुनिया को आकर्षित करता है।
इस दिवस का मुख्य लक्ष्य सभी नागरिकों के लिए जिम्मेदार, टिकाऊ और सुलभ पर्यटन को बढ़ावा देना है।
इस साल राष्ट्रीय पर्यटन दिवस की थीम ‘समावेशी विकास के लिए पर्यटन’ है। यह थीम आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में पर्यटन की भूमिका पर प्रकाश डालती है, साथ ही यह सुनिश्चित करती है कि यह रोजगार सृजन और टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देकर समाज के सभी वर्गों को लाभ पहुंचाए।
राष्ट्रीय पर्यटन दिवस के इतिहास की बात करें तो भारत सरकार ने 1948 में देश की ओर आने वाले पर्यटक यातायात के महत्व को महसूस किया। तब से, उन्होंने राष्ट्रीय विरासत को संरक्षित करने और पर्यटन स्थलों की देखभाल करने के उद्देश्य से एक अलग पर्यटन विभाग बनाया, ताकि उनकी सुंदरता बरकरार रहे और उन्हें पर्यटकों के अनुकूल बनाया जा सके।
संस्कृति को जीवित रखने और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए, भारत में 25 जनवरी को राष्ट्रीय पर्यटन दिवस मनाया जाता है।
पिछले कुछ सालों में, यह दिन एक राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में विकसित हुआ है, जो पर्यटन क्षेत्र को सामूहिक रूप से बढ़ावा देने के लिए पर्यटन पेशेवरों, सरकारी निकायों और निजी संगठनों को एक साथ लाता है।
पर्यटन मंत्रालय के अनुसार, मंत्रालय के द्वारा स्वदेश दर्शन योजना के अंतर्गत 5287.90 करोड़ रुपये की लागत से कुल 76 परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जिनमें से 75 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं।
पर्यटन उद्योग लाखों लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान करता है। इस दिन को मनाने से जिम्मेदार पर्यटन को बढ़ावा देने, स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं का समर्थन करने और एक दूसरे की सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देने के महत्व पर प्रकाश डाला जाता है। इस दिन पर्यटन उद्योग में टिकाऊ प्रथाओं को प्रोत्साहित करने के लिए कार्यशालाओं, सांस्कृतिक प्रदर्शनियों और सम्मेलनों सहित विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।