नत्थू निषाद अपनी मां, पत्नी और चार बच्चों के साथ इसी गांव में रहते हैं। वो बताते हैं कि जी भी छोटी मोटी बचत की थी वो दस दिन पहले ही खत्म हो चुकी है और मजबूरी में उन्हें अपनी पत्नी की पायल बेचनी पड़ी। "क्या करें हमलोग? कोई सुनने वाला है? कुछ नहीं बचा था हमारे पास तो बीवी की पायल बेचनी पड़ी है। पास के गांव में बेची है और जो मिला, ले लिया। बच्चों को भूखा थोड़ी मारेंगे," नत्थू कहते हैं।