

अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस 18 दिसंबर को मनाया जाता है, जो प्रवासियों के अधिकार, सम्मान और मानवीय गरिमा को उजागर करता है।
यह दिवस प्रवासन के पीछे छिपी मानवीय कहानियों, संघर्षों और बेहतर जीवन की तलाश को समझने का अवसर देता है।
संयुक्त राष्ट्र ने 2000 में इस दिवस की घोषणा की, जो 1990 की प्रवासी अधिकार संधि से जुड़ा है।
2025 की थीम “मेरी महान कहानी: संस्कृतियां और विकास” प्रवासियों के सकारात्मक सामाजिक योगदान को रेखांकित करती है।
प्रवासी आर्थिक विकास, स्वास्थ्य सेवाओं, सांस्कृतिक विविधता और समाज की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
हर साल 18 दिसंबर को दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस मनाया जाता है। यह दिन उन लाखों लोगों को समर्पित है जो सुरक्षा, बेहतर जीवन, शिक्षा, रोजगार और सम्मान की तलाश में अपने देश या घर को छोड़कर दूसरे देशों में जाते हैं। प्रवासन केवल स्थान बदलने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि इसके पीछे मानव संघर्ष, आशा, साहस और नए सपनों की कहानियां जुड़ी होती हैं।
आज के समय में वैश्विक परिवर्तन, आर्थिक असमानता, युद्ध, जलवायु परिवर्तन और राजनीतिक अस्थिरता के कारण प्रवासन लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में यह दिवस हमें यह याद दिलाता है कि प्रवासी भी इंसान हैं और उनके अधिकारों, गरिमा और सुरक्षा की रक्षा करना पूरी दुनिया की जिम्मेदारी है।
अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस का इतिहास
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने चार दिसंबर 2000 को आधिकारिक रूप से 18 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस घोषित किया। यह तिथि इसलिए चुनी गई क्योंकि 18 दिसंबर 1990 को संयुक्त राष्ट्र ने प्रवासी श्रमिकों और उनके परिवारों के अधिकारों की रक्षा से संबंधित अंतरराष्ट्रीय संधि को अपनाया था। इसका उद्देश्य प्रवासियों के मानवाधिकारों को सुरक्षित करना और उनके साथ होने वाले भेदभाव को रोकना था।
इसके बाद नौ सितंबर 2016 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रवासियों और शरणार्थियों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए कई अहम प्रतिबद्धताएं अपनाईं। इनका लक्ष्य विस्थापित लोगों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और कल्याण को बेहतर बनाना था।
इस दिवस का उद्देश्य
अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस का मुख्य उद्देश्य प्रवासियों के अधिकारों की रक्षा को बढ़ावा देना, उनके योगदान को पहचानना और उनके सामने आने वाली चुनौतियों पर वैश्विक ध्यान आकर्षित करना है। दुनिया भर में इस दिन विभिन्न कल्याणकारी संगठन, सामाजिक समूह और संस्थाएं जागरूकता अभियान चलाती हैं और सरकारों से प्रवासियों के लिए न्यायपूर्ण और मानवीय नीतियां अपनाने की अपील करती हैं।
अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस 2025 की थीम
साल 2025 के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस की थीम “मेरी महान कहानी: संस्कृतियां और विकास” है। यह थीम प्रवासियों की सकारात्मक भूमिका को सामने लाती है। प्रवासी केवल आर्थिक विकास में योगदान नहीं देते, बल्कि वे समाज को सांस्कृतिक रूप से भी समृद्ध बनाते हैं। उनकी परंपराएं, भाषाएं, अनुभव और विचार नए समाजों को जोड़ने, समझने और आगे बढ़ने में मदद करते हैं। मानव गतिशीलता विकास का एक महत्वपूर्ण आधार है, जो समाजों को अधिक विविध, सहनशील और मजबूत बनाती है।
प्रवास और स्वास्थ्य की चुनौतियां
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 2024 में अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों की संख्या लगभग 30.4 करोड़ पहुंच गई, जो 2020 की 27.5 करोड़ से अधिक है। इस वृद्धि के बावजूद, विश्व की कुल आबादी में प्रवासियों का अनुपात लगभग 3.7 फीसदी ही बना हुआ है। यह आंकड़ा 1990 के मुकाबले केवल 0.8 फीसदी अधिक है, जब संयुक्त राष्ट्र का आर्थिक और सामाजिक मामलों का विभाग पहली बार प्रवासियों के आंकड़े इकट्ठा करना शुरू किया था। दुनिया में हर 27 में से एक व्यक्ति अंतरराष्ट्रीय प्रवासी है।
प्रवासियों का योगदान
प्रवासी जिस देश में रहते हैं, वहां की अर्थव्यवस्था और संस्कृति में अमूल्य योगदान देते हैं। कई प्रवासी डॉक्टर, नर्स, स्वास्थ्यकर्मी, शिक्षक, इंजीनियर और अन्य पेशेवर होते हैं, जो सेवाओं, नवाचार और कार्यबल को मजबूत बनाते हैं।
उनके कौशल, ज्ञान और जीवन के अनुभव यह दिखाते हैं कि यदि समावेशी नीतियां अपनाई जाएं, तो प्रवासन जन स्वास्थ्य और विकास -दोनों को आगे बढ़ा सकता है।
अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस हमें यह सोचने का अवसर देता है कि एक अधिक मानवीय, न्यायपूर्ण और समावेशी दुनिया कैसे बनाई जाए। प्रवासी समस्या नहीं, बल्कि समाधान का हिस्सा हैं। उनकी कहानियां साहस, मेहनत और उम्मीद की कहानियां हैं।
इस दिवस पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम प्रवासियों के अधिकारों की रक्षा करेंगे, उनके योगदान को सम्मान देंगे और एक ऐसा समाज बनाएंगे जहां हर व्यक्ति - चाहे वह कहीं से भी आया हो, सम्मान और सुरक्षा के साथ जीवन जी सके।