अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस 2024: कैसे हुई इस दिन की उत्पत्ति?

अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस, जिसे मजदूर दिवस के रूप में भी जाना जाता है, हर साल एक मई को मनाया जाता है
भारत में, पहला मई दिवस 1923 में चेन्नई में लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान द्वारा मनाया गया था। महाराष्ट्र दिवस और गुजरात दिवस दोनों ही एक मई को मनाए जाते हैं। फोटो साभार: आईस्टॉक
भारत में, पहला मई दिवस 1923 में चेन्नई में लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान द्वारा मनाया गया था। महाराष्ट्र दिवस और गुजरात दिवस दोनों ही एक मई को मनाए जाते हैं। फोटो साभार: आईस्टॉक
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हर साल एक मई को दुनिया भर के लोग अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस मनाने के लिए एक साथ जुड़ते हैं, जिसे अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में भी जाना जाता है। यह दिन हर उद्योग और क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के योगदान का सम्मान करने के लिए समर्पित है। यह न केवल उनकी कड़ी मेहनत का जश्न मनाने के बारे में है, बल्कि उन्हें अपने अधिकारों के बारे में जागरूक करने और सशक्त बनाने के बारे में भी है।

श्रमिक चीजों की जड़ों तक पहुंचते हैं और देश और दुनिया में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए बुनियादी स्तर पर काम शुरू करते हैं। श्रमिक और श्रमिक वर्ग अत्यंत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे समाज की रीढ़ हैं। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम नियमित रूप से उनकी भलाई का ख्याल रखें और उनकी समस्याओं को सुनें।

कई देशों में, मजदूर दिवस को राष्ट्रीय अवकाश होता है। इससे संगठनों को अपने कर्मचारियों के जीवन को बेहतर बनाने पर केंद्रित विशेष अभियान शुरू करने का मौका मिलता है, जो कार्यबल पर रखे गए अहमियत का सच्चा प्रमाण है।

हर जगह मजदूरों की कड़ी मेहनत और समर्पण के बारे में जागरूकता फैलाकर और उन्हें सम्मानित करके मजदूर दिवस की भावना को बनाए रखना बहुत जरूरी है।

कैसे हुई अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस की उत्पत्ति?

अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस की उत्पत्ति का पता अमेरिका में 19वीं सदी के उत्तरार्ध के श्रमिक आंदोलन से लगाया जा सकता है। एक मई 1886 में आठ घंटे के कार्यदिवस के लिए राष्ट्रव्यापी हड़ताल की याद में चुना गया था। हालांकि, यह महत्वपूर्ण घटना शिकागो में हेमार्केट मामले में हुई, एक अफसोसजनक घटना जिसमें श्रमिक विरोध हिंसा में बदल गया। एक बम विस्फोट के कारण सात पुलिस के अधिकारियों और कम से कम चार नागरिकों की जान चली गई थी।

साल 1889 में, समाजवादी और श्रमिक दलों के एक समूह जिसे सेकंड इंटरनेशनल के रूप में जाना गया था, इसने पेरिस में एक बैठक की, जब फ्रांसीसी ट्रेड यूनियनिस्ट रेमंड लैविग्ने ने शिकागो प्रदर्शनों की 1890 की सालगिरह पर दुनिया भर में विरोध प्रदर्शन का आह्वान करते हुए एक प्रस्ताव रखा था।

साल 1890 में, अमेरिका और यूरोप में मई दिवस के विरोध प्रदर्शन हुए। 1891 में सेकंड इंटरनेशनल की एक अन्य बैठक में मई दिवस को एक औपचारिक वार्षिक आयोजन का दर्जा दिया गया।

हालांकि अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस की उत्पत्ति शिकागो में हेमार्केट मामले की याद में हुई है, कनाडा और अमेरिका में मजदूर दिवस एक मई को नहीं बल्कि सितंबर के पहले सोमवार को मनाया जाता है। मई दिवस 80 से अधिक देशों में मनाया जाता है।

भारत में, पहला मई दिवस 1923 में चेन्नई में लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान द्वारा मनाया गया था। महाराष्ट्र दिवस और गुजरात दिवस दोनों ही एक मई को मनाए जाते हैं।

कनाडा ने अमेरिका से 10 साल पहले यानी 1872 में मजदूर दिवस मनाया था।

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