अंतर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस हर साल 17 अक्टूबर को मनाया जाता है ताकि दुनिया भर में गरीबी से जूझ रहे और उसमें जी रहे लोगों के बारे में जागरुकता बढ़ाई जा सके। यह दुनिया भर में गरीबी उन्मूलन के लिए विभिन्न स्तरों पर चल रहे सभी प्रयासों को आगे बढ़ाने का भी दिन है।
इस दिन के इतिहास की बात करें तो यह 1987 से जुड़ा है, जब गरीबी, भूख, हिंसा और भय के शिकार लोगों की याद में पेरिस के ट्रोकाडेरो में एक लाख से अधिक लोग इकट्ठा हुए थे। इस कार्यक्रम का समापन अंतर्राष्ट्रीय आंदोलन एटीडी फोर्थ वर्ल्ड के संस्थापक जोसेफ रेसिंस्की ने एक स्मारक का अनावरण करके किया, जिस पर उन्होंने कहा कि गरीबी मानवाधिकारों का उल्लंघन है।
साल 1992 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने संकल्प 47/196 द्वारा 17 अक्टूबर को गरीबी उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में नामित किया। इसने सभी देशों को गरीबी और अभाव के उन्मूलन के संबंध में ठोस गतिविधियों को प्रस्तुत करने और बढ़ावा देने के लिए, राष्ट्रीय संदर्भ में उपयुक्त होने पर, इस दिन को समर्पित करने के लिए आमंत्रित किया।
इस साल के अंतर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस की थीम "सामाजिक और संस्थागत दुर्व्यवहार को समाप्त करना, न्यायपूर्ण, शांतिपूर्ण और समावेशी समाज के लिए मिलकर कार्य करना" है।
दुनिया भर में बढ़ती गरीबी को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस का महत्व बहुत बढ़ जाता है। इस दिन का उद्देश्य समाज के गरीब वर्गों का सम्मान करना और उनके संघर्षों को पहचानना है। यह उनकी चिंताओं को सुनने और उन्हें गरीबी से बाहर निकलने में मदद करने का भी अवसर है।
इस दिन का मुख्य उद्देश्य गरीबी और उसके कारणों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। यह दिन गरीबी से जूझ रहे लोगों या परिवारों द्वारा सामना की जाने वाली समस्याओं पर प्रकाश डालता है और दुनिया भर में सभी तरह की गरीबी को खत्म करने की दिशा में काम करता है।
गरीबी को लेकर क्या कहते हैं आंकड़े?
विश्व बैंक के अनुसार, लगभग 71.2 करोड़ से अधिक लोग या दुनिया भर की आबादी का लगभग नौ फीसदी अत्यधिक गरीबी में रहते हैं, जिन्हें हर दिन 2.15 डॉलर से कम में जीवन यापन करना पड़ता है।
बोर्गन प्रोजेक्ट की रिपोर्ट की मानें तो गरीबी के कारण हर दिन लगभग 22,000 बच्चे मरते हैं और दुनिया भर में एक अरब बच्चे निर्धनता की चरम परिस्थितियों में रहते हैं।
पांच देश - बांग्लादेश, चीन, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, भारत और नाइजीरिया दुनिया के अत्यधिक गरीबों का तीन से पांचवां हिस्सा दर्शाते हैं। कोविड-19 की महामारी ने सालों की प्रगति को पहले जैसा कर दिया है।
2019 की तुलना में 2.3 करोड़ लोग अधिक गरीब हैं। दुनिया की केवल 12 फीसदी आबादी पृथ्वी के 85 फीसदी पानी का उपयोग करती है, जिससे संसाधनों तक पहुंच रखने वाली आबादी और उन लोगों के बीच एक भयंकर असमानता का पता चलता है जिनके पास संसाधनों तक पहुंच नहीं है।
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, जीवन-यापन करने में आने वाली धन संबंधी संकट के जवाब में, 105 देशों और क्षेत्रों ने फरवरी 2022 से फरवरी 2023 के बीच लगभग 350 सामाजिक सुरक्षा उपायों की घोषणा की।