केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2024 को संसद में अंतरिम बजट 2024 पेश किया। प्रस्तुत हैं उनके बजट भाषण की मुख्य बातें -
मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य देखभाल : कार्यान्वयन में तालमेल के लिए मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य देखभाल के तहत विभिन्न योजनाओं को एक व्यापक कार्यक्रम के तहत लाया जाएगा
बेहतर पोषण वितरण, प्रारंभिक बचपन देखभाल और विकास के लिए सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 के तहत आंगनवाड़ी केंद्रों के उन्नयन में तेजी लाई जाएगी
टीकाकरण के प्रबंधन और मिशन इंद्रधनुष के गहन प्रयासों के लिए नया डिज़ाइन किया गया यू-विन प्लेटफॉर्म शुरू किया जाएगा
पीएम किसान सम्मान योजना के तहत हर साल सीमांत और छोटे किसानों समेत 11.8 करोड़ किसानों को सीधी वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है
वित्त मंत्री ने कहा कि पीएम स्वनिधि के तहत 78 लाख स्ट्रीट वेंडरों को ऋण सहायता प्रदान की गई, उनमें से 2.3 लाख को तीसरी बार ऋण प्राप्त हुआ है। पीएम जनमन योजना विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों तक पहुंचती है। पीएम विश्वकर्मा योजना कारीगरों और शिल्पकारों को अंत तक सहायता प्रदान करती है। इनके अलावा दिव्यांग और ट्रांसजेंडर लोगों के सशक्तिकरण की योजना भी चल रही है
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपने कार्यकाल का छठा बजट आज प्रस्तुत करेंगी। चूंकि इस साल आम चुनाव होंगे, इसलिए यह बजट अंतरिम बजट होगा। इसे लेखानुदान भी कहा जाता है।
क्या है वर्तमान दशा
हाल ही में आर्थिक मामलों के विभाग द्वारा जारी "द इंडियन इकोनॉमी: ए रिव्यू" में कहा गया है, "मुद्रास्फीति एक चिंता का विषय बनी हुई है"। इस साल कोई आर्थिक सर्वेक्षण जारी नहीं हुआ, क्योंकि सरकार जल्द ही होने वाले आम चुनावों को ध्यान में रखते हुए अंतरिम बजट पेश करेगी।
घरेलू वित्तीय मूल्यांकन
हाल ही में आर्थिक मामलों के विभाग द्वारा जारी "द इंडियन इकोनॉमी: ए रिव्यू" के अनुसार दिसंबर 2019 में घरेलू वित्तीय संपत्ति सकल घरेलू उत्पाद का 86.2 प्रतिशत थी, जबकि देनदारियां सकल घरेलू उत्पाद का 33.4 प्रतिशत थीं। लेकिन मार्च 2023 में ये आंकड़ा क्रमशः 103.1 प्रतिशत और 37.6 प्रतिशत पहुंच गया। इसी तरह शुद्ध वित्तीय घरेलू संपत्ति दिसंबर 2019 में जीडीपी का 52.8 प्रतिशत थी और मार्च 2023 तक यह सुधरकर जीडीपी का 65.5 प्रतिशत हो गई थी।
राजकोषीय घाटे पर लगाम कसेगी?
क्या सरकार अंतरिम बजट में राजकोषीय घाटे पर लगाम कसने पर अड़ेगी? अगर सरकार द्वारा यूपीए 2009-2014 के कार्यकाल के नवीनतम आकलन पर विश्वास किया जाए तो ऐसा ही लगता है। इसके नवीनतम आकलन में कहा गया है, "2009-2014 की अवधि के दौरान सरकार ने उच्च राजकोषीय घाटे और मौद्रिक नीति को लंबे समय तक ढीला रखकर उच्च विकास को बनाए रखने की कोशिश की। उच्च मुद्रास्फीति के कारण ही नॉमिनल जीडीपी वृद्धि अधिक थी। 2009 से 2014 तक पांच वर्षों के लिए मुद्रास्फीति की दर की वजह से भारत में सालाना दस अंकों से अधिक की वृद्धि दर हुई। देश को राजकोषीय घाटा (वित्त वर्ष 2013 में 4.9 प्रतिशत) और चालू खाता घाटा (वित्त वर्ष 2013 में 4.8 प्रतिशत) दोनों से जूझना पड़ा और रुपये का मूल्य अधिक हो गया। यह सब 2013 में चरम पर पहुंच गया और भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले गिर गया। 2009 और 2014 के बीच, भारतीय रुपये में सालाना 5.9 प्रतिशत की गिरावट आई। आर्थिक विकास रुक गया।"