तेजी से बदल रहा है खरीददारी का तरीका, 25.6 ट्रिलियन डॉलर पर पहुंचा ऑनलाइन बाजार

आंकड़े दिखाते हैं कि 2018 में 145 करोड़ से भी ज्यादा लोगों ने ऑनलाइन खरीददारी की थी, जोकि भारत की कुल आबादी से भी ज्यादा है
तेजी से बदल रहा है खरीददारी का तरीका, 25.6 ट्रिलियन डॉलर पर पहुंचा ऑनलाइन बाजार
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दुनिया भर में ऑनलाइन व्यवसाय तेजी से विकसित हो रहा है। यूएनसीटीएडी द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018 में यह करीब 25.6 ट्रिलियन डॉलर आंका गया है, जोकि करीब 19,62,80,320 करोड़ रुपए के बराबर है। यह 2017 से करीब 8 फीसदी ज्यादा है|

इसके अंतर्गत एक व्यापारी से दूसरे व्यापारी के बीच करीब 16,10,11,200 करोड़ रुपए का व्यापार किया गया। जोकि कुल ऑनलाइन व्यवसाय का करीब 83 फीसदी था। जबकि व्यवसायी और ग्राहकों के बीच का व्यापार करीब 3,37,35,680 करोड़ रुपए का था। सबसे चौंका देने वाली बात यह रही कि यह 2017 के मुकाबले करीब 17 फीसदी ज्यादा है। जिसका सीधा मतलब है कि ग्राहक अब सीधे ऑनलाइन जाकर खुद खरीदारी करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं।

ऑनलाइन बाजार पर कायम है चीन और अमेरिका का दबदबा

आंकड़ें दिखाते हैं कि 2018 में 145 करोड़ से भी ज्यादा लोगों नें ऑनलाइन खरीददारी की थी| जोकि भारत की कुल आबादी से भी ज्यादा है| गौरतलब है कि खरीदारों की संख्या में 2017 की तुलना में करीब 9 फीसदी का इजाफा हुआ है| हालांकि ऐसे में फायदा अमेरिका, चीन और यूके जैसे देशों के विक्रेताओं को ज्यादा है जो पूरी दुनिया में हावी रहे हैं| अलीबाबा जोकि एक चायनीज़ ऑनलाइन कंपनी है जिसका 2018 में किया गया कुल व्यापार 66,36,989 करोड़ रुपए आंका गया है| दूसरे नंबर पर अमेरिकन कंपनी अमेज़न रही जिसका कुल व्यापार 21,23,814 करोड़ रुपए आंका गया है। यदि जापान की कंपनी 'राकूटन' और कैनेडियन कंपनी 'शॉपीफाई' को छोड़ दें तो दुनिया की 10 सबसे बड़ी कंपनियां अमेरिका और चीन की हैं| जिनका 2018 में किया गया कुल व्यापार 1,38,84,279 करोड़ रुपए से भी ज्यादा का है|  

यदि दुनिया के 20 सबसे शक्तिशाली अर्थव्यवस्थाओं को देखें तो इस व्यापार की करीब आधी बिक्री इन्ही देशों में होती है| जिसमें जीडीपी के लिहाज से हांगकांग, चीन, और यूके प्रमुख हैं| जबकि भारत, ब्राजील और रूस में सबसे कम है। रिपोर्ट के अनुसार यूनाइटेड किंगडम में करीब 87 फीसदी इंटरनेट उपयोग करने वाले लोग ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं, जबकि थाईलैंड में केवल 14 फीसदी और भारत में केवल 11 फीसदी ही ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं।

ऑनलाइन खरीदारी करने वालों की सबसे ज्यादा संख्या चीन में है जोकि करीब 61 करोड़ है। उनमें से भी करीब 33 करोड़ लोग देश के बाहर से खरीदारी करते हैं| वैश्वीकरण का असर ऑनलाइन शॉपिंग पर भी पड़ रहा है। जहां 2016 में ऑनलाइन शॉपिंग करने वाले करीब 17 फीसदी लोग देश के बाहर की वस्तुएं खरीदते थे वो 2018 में बढ़कर 23 फीसदी पर पहुंच गई है।

भारत में भी तेजी से बदल रहे हैं बाजार

भारत में भी बाजारों का रूप-रंग तेजी से बदल रहा है। जहां लोग पहले खुद दुकानों पर जाकर खरीददारी करते थे। वहीं अब लोग ऑनलाइन खरीददारी करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। यही वजह है कि अमेज़न, फ्लिपकार्ट, बिगबास्केट, ग्रोफर्स जैसे ब्रांड तेजी से अपने पैर पसार रहे हैं| हालांकि भारत में ज्यादातर ऑनलाइन खरीदारी शहरों तक ही सीमित है। गांवों का अभी भी उनसे जुड़ना बाकी है।

रिपोर्ट के अनुसार भारत में इंटरनेट उपयोग करने वाले करीब 11 फीसदी लोग ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं। जोकि करीब 2.7 करोड़ है। हालांकि भारतीय आबादी को देखते हुए यह बहुत छोटा हिस्सा है पर यह आंकड़ा धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। भारत में यदि ऑनलाइन व्यवसाय की बात करें तो रिपोर्ट के अनुसार व्यवसायी और ग्राहकों के बीच का व्यापार करीब 1,30,342.4 करोड़ रुपए का है।

हालांकि इन सबके बीच सबसे महत्वपूर्ण यह देखना है कि व्यापार जगत के इन बड़े-बड़े दिग्गजों का सामना भारत के छोटे दुकानदार कैसे करते हैं| क्या वैश्वीकरण के इस दौर में वो अपना अस्तित्व बचा पाने में सफल रहेंगे या फिर उन्हें भी इन बड़े नामों के नीचे रहकर अपनी दुकान चलानी पड़ेगी| क्या यह उनके और भारतीय खरीददारों के लिए फायदे का सौदा है।

साथ ही ऐसे वक्त में सरकार की क्या नीतियां रहेंगी उन पर भी गौर करना जरुरी है, लेकिन एक बात तो स्पष्ट है कोरोनावायरस के चलते जिस तरह से देश में तालाबंदी हुई है। उसने काफी हद तक ऑनलाइन बिज़नेस के लिए एक नई दिशा दिखा दी है। जिससे आने वाले वक्त की तस्वीर कुछ-कुछ साफ़ हो जाती है।

(1 डॉलर = 76.67 रुपए)

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