फ्री ट्रेड एग्रीमेंट: लहसुन तक चीन से आने लगा तो क्या करे किसान?

दूसरे देशों से आ रही खाने पीने की चीजों का सीधा असर किसानों पर पड़ा है। पिछले कुछ सालों में भारतीय बाजार में लहसुन का पेस्ट छा गया है। ऐसे में किसान लहसुन की खेती तक छोड़ने लगे हैं
मध्य प्रदेश की नीमच लहसुन मंडी, जहां नहीं दिखते ग्राहक। फोटो: मनीष चंद्र मिश्र
मध्य प्रदेश की नीमच लहसुन मंडी, जहां नहीं दिखते ग्राहक। फोटो: मनीष चंद्र मिश्र
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भारत सरकार का दावा है कि वह अब तक हुए सभी मुक्त व्यापार समझौतों (फ्री ट्रेड एग्रीमेंट, एफटीए) की समीक्षा कर रही है। यह तो आने वाले वक्त बताएगा कि समीक्षा में क्या निकलेगा, लेकिन डाउन टू अर्थ ने एफटीए के असर की पड़ताल की और रिपोर्ट्स की एक सीरीज तैयार की। पहली कड़ी में आपने पढ़ा कि फ्री ट्रेड एग्रीमेंट क्या है पढ़ें, दूसरी कड़ी में आपने पढ़ा कि आखिर केंद्र सरकार को आरसीईपी से पीछे क्यों हटना पड़ा। तीसरी कड़ी में अपना पढ़ा कि फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स की वजह से पुश्तैनी काम धंधे बंद होने शुरू हो गए और सस्ती रबड़ की वजह से रबड़ किसानों को खेती प्रभावित हो गई। चौथी कड़ी में अपना पढ़ाफ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स ने चौपट किया कपड़ा उद्योग  पांचवीं कड़ी में अपना पढ़ा, सबसे बड़ा उत्पादक होने के बावजूद दाल क्यों आयात करता है भारत । पढ़ें, अगली कड़ी-   

भारत राठौर अपने खेतों में लहसुन उगाते हैं। मध्यप्रदेश के नीमच इलाके में भारत जैसे हजारों किसान लहसुन उगाते हैं, लेकिन भारत के लिए लहसुन उगाना अब फायदे का सौदा नहीं रहा। भारत कहते हैं, “मैं तीन एकड़ में लहसुन की खेती करता हूं, लेकिन मुझे यह नहीं पता होता कि इस बार लहसुन किस कीमत पर बिकेगा। पिछले साल तो केवल दो रुपए किलो बेचना पड़ा था, जबकि बाजार कीमत 50 से 80 रुपए किलो है। इसलिए अब सोच रहा हूं कि लहुसन की खेती ही बंद कर दूं।”

भारत बताते हैं कि एक एकड़ लहसुन उगाने के लिए 25 से 30 हजार रुपए का खर्च आता है। इसमें खाद पर 5 हजार रुपए, बीज पर 7 से 8 हजार रुपए, कीटनाशक पर 3 हजार रुपए और बाकी का मजदूरी पर खर्च आता है। बावजूद इसके हर बार लहसुन में उन्हें नुकसान सहना पड़ता था। जो किसान अपने घर में लहसुन जमा कर रखते हैं, उन्हें ही थोड़ा सा फायदा मिल पाता है।

भारत के मुताबिक, पिछले कुछ सालों के दौरान विदेशों से लहसुन का आयात बढ़ रहा है। खासकर, यह लहसुन पेस्ट में पैकिंग होकर बहुत आ रहा है। लहसुन पेस्ट से बाजार पट चुके हैं, जो हमारी लहसुन के मुकाबले काफी सस्ता है, इस वजह से देसी लहसुन की मांग कम हो रही है, जिसका असर कीमतों पर पड़ रहा है।

दिलचस्प बात यह है कि देश में चीन से आने वाले लहसुन पर रोक है, लेकिन चीन से आने वाला लहसुन नेपाल के रास्ते गोरखपुर, रक्सोल के जरिए देश के कई हिस्सों में पहुंच रहा है। कई छोटी भारतीय कंपनियां भी इस सस्ते लहसुन का पेस्ट बनाकर पेक करके बाजार में बेच रही हैं। वैसे भी भारत में दूसरे देशों से लहसुन का आयात बढ़ता जा रहा है।

कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 2018 में भारत ने 4.2 करोड़ टन लहसुन आयात हुआ था। विश्व भर के खाद्य एवं कृषि उत्पादों के आयातकों को ऑनलाइन सहायता प्रदान करने वाले पोर्टल ट्राइज के मुताबिक लहसुन उत्पादन में चीन के बाद भारत का नंबर दूसरा है, लेकिन पिछले पांच साल के मुकाबले तीन साल के दौरान लहसुन का उत्पादन घटा है और 2018-19 में तो लहसुन के उत्पादन में 1.8 फीसदी कमी आई है।

जारी ... 

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