2019 की तुलना में 2020 में 26 फीसदी से ज्यादा बढ़ा एफडीआई

जहां 2019 के दौरान देश में 3.78 लाख करोड़ रुपए का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हुआ था वो 2020 में 25 फीसदी बढ़कर 4.74 लाख करोड़ पर पहुंच गया है
2019 की तुलना में 2020 में 26 फीसदी से ज्यादा बढ़ा एफडीआई
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विदेशी निवेशकों ने महामारी के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था में एक बार फिर भरोसा दिखाया है। जिसका सबूत है देश के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में 2019 की तुलना में 2020 के दौरान 26 फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है। जहां 2019 में देश में हुआ प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 3.78 लाख करोड़ रुपए (5,100 करोड़ डॉलर) था वो 2020 में बढ़कर 4.74 लाख करोड़ (6,400 करोड़ डॉलर) पर पहुंच गया है। यह जानकारी यूएन कॉन्‍फ्रेंस ऑन ट्रेड एंड डेवलपमेंट (यूएनसीटीएडी) द्वारा जारी वर्ल्ड इन्वेस्टमेंट रिपोर्ट 2021 में सामने आई है।

यदि वैश्विक स्तर पर देखें तो भारत दुनिया का पांचवा ऐसा देश हैं जहां इतनी बड़ी मात्रा में विदेशी निवेश हुआ है। यदि वैश्विक स्तर पर देखें तो भारत दुनिया का पांचवा ऐसा देश हैं जहां इतनी बड़ी मात्रा में विदेशी निवेश हुआ है। हालांकि कोविड-19 का असर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर दर्ज किया गया है। इसके बावजूद देश में निवेश में बढ़ोतरी हुई है, जिसकी सबसे बड़ी वजह मजबूत बुनियाद है, जिसने मध्‍यम अवधि के लिए उम्‍मीद की किरण को बरकरार रखा है।

इसकी सबसे बड़ी वजह सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के क्षेत्र में बढ़ता निवेश है। अकेले अमेरिकी कंपनी अमेज़न ने देश के सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) क्षेत्र में 20,758 करोड़ रुपए (280 करोड़ डॉलर) का निवेश किया था।

हालांकि यदि वैश्विक अर्थव्यवस्था की बात करें तो प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में करीब 35 फीसदी की गिरावट आई है। जो 2019 में 1.5 लाख करोड़ डॉलर से घटकर 2020 में एक लाख करोड़ डॉलर रह गया है। वहीं यदि अमेरिका में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को देखें तो उसमें 2019 की तुलना में 40 फीसदी की गिरावट आई है। जो 26,100 करोड़ डॉलर से घटकर 15,600 करोड़ अमेरिकी डॉलर रह गया है। जबकि इस दौरान चीन में इसमें 5.7 फीसदी की वृद्धि हुई है। यह 2020 में बढ़कर 14,900 करोड़ अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया है।

2020 में भारत से हुआ था 1,200 करोड़ डॉलर का एफडीआई ऑउटफ्लो

यदि दक्षिण एशिया की बात करें तो एफडीआई में 20 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया है, जिसकी सबसे बड़ी वजह भारत में कंपनियों का हुआ विलय और अधिग्रहण है, जिससे निवेश 7,100 करोड़ डॉलर पर पहुंच गया है।

महामारी के चलते दक्षिण एशिया में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी), स्वास्थ्य, इंफ्रास्ट्रक्चर और ऊर्जा क्षेत्र में निवेश बढ़ा है। हमारे अन्य पड़ोसियों की बात करें तो पाकिस्तान के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में 6 फीसदी की गिरावट आई है।  जिस वजह से वो घटकर 210 करोड़ डॉलर रह गया है। इसके बावजूद वहां एनर्जी और टेलीकम्यूनिकेशन के क्षेत्र में निवेश बढ़ा है। बांग्लादेश में 11 फीसदी और श्रीलंका में 43 फीसदी की कमी आई है।

वहीं यदि दूसरे देशों में भारत द्वारा किए निवेश यानी एफडीआई आउटफ्लो को देखें तो इस मामले में भारत, दुनिया की टॉप 20 अर्थव्‍यवस्‍थाओं में 18 वें स्थान पर था। 2020 में भारत से 1,200 करोड़ डॉलर का एफडीआई ऑउटफ्लो हुआ था, जो 2019 में 1,300 करोड़ डॉलर था।

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