आर्थिक सर्वेक्षण 2020: सार्वजिनक उपक्रमों के निजीकरण की प्रक्रिया जारी रहेगी

आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में देश में चल रही निजीकरण की प्रक्रिया का गुणगान किया गया है
आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट दिखाते मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रह्मणयम। फोटो: पीआईबी
आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट दिखाते मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रह्मणयम। फोटो: पीआईबी
Published on

“मुक्त उद्यम ने मनुष्य की रचनात्मकता और अर्जनशीलता की तीव्र इच्छाओं का इस रूप में अभिव्यक्त करने के लिए सक्षम बना दिया है जो समाज के सभी लोगों को लाभावन्वित करता है। अब मुक्त उद्यम को संघर्ष करने दें, अपने लिए नहीं बल्कि उन सभी के लिए जो स्वातंत्रता में आस्था रखते हैं।” ब्रिटेन की पूर्व प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर के उपरोक्त वाक्य को उद्धृत करते हुए आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि भारत के नवरत्न कंपनियों में से एक भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड के विनिवेश से इसके शेयरधारकों को 33,000 करोड़ का लाभ हुआ है। यह ध्यान देने की बात है कि 1980 के दशक में ब्रिटेन की लौह महिला दर्जा पाई थैचर के नेतृत्व में निजीकरण कार्यक्रम की शुरूआत की गई थी और इसका असर यह देखा गया है कि फर्मों को लाभ हुआ, लेकिन कर्मचारियों को थोड़ा ही लाभ हुआ। पिछले चार-पांच सालों में देश में  निजीकरण पर बहस तेज हुई है। विशेष कर रेलवे, सार्वजनिक उपक्रमों व एयर इंडिया के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू होने के बाद से इसके विरोध में कामगारों के स्वर और तेज हुए हैं। भारत ने अपना अब तक सबसे बड़ा निजीकरण अभियान की शुरूआत नवंबर, 2019 में की।

आर्थिक सर्वे में यह 11 केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्रा के उपक्रमों (सीपीएसई) का विश्लेषण किया गया है। सर्वे में कहा गया है कि यह विश्लेषण दर्शाता है कि निजीकृत सीपीएसई की संपत्ति और परिसंपत्तियों निजीकरण के पश्चात की अवधि में औसतन काफी बढ़ा है। इस अवधि के दौरान इन सीपीएसई ने अपनी समकक्ष कंपनियों से औसतन कहीं बेहतर प्रदर्शन भी किया है। यह दर्शाता है कि निजीकृत सीपीएसई समान संसाधनों से अधिक धन जुटाने में सपफल रहे हैं। कर्मचारियों की उत्पादकता में भी वृद्धि हुई है।

सर्वे में कहा गया कि उपक्रमों निजीकरण से विक्रय वृद्धि में तो बढ़ोतरी दर्ज की गई है लेकिन जहां प्रति कर्मचारी को लाभ हुआ वहीं कर्मचारियों की संख्या में कमी भी हुई। इसका मतलब कि साफ है कि निजीकरण के बाद कुछ कर्मचारियों को तो लाभ हुआ लेकिन जितना लाभ हुआ है उसी परिपेक्ष्य में कर्मचारियों को अपने काम से हाथ भी धोना पड़ा। यानी उनके लाभ को दूसरे कर्मचारियों को दिया गया। हालांकि सर्वे में यह अनुमान लगाया गया है कि उपक्रकों के निजीकरण से उनकी उत्पादकता में वृद्धि हो रही है और इसका अर्थव्यवस्था पर गुणात्मक प्रभाव पड़ता है। सर्वे में यह कहा गया है कि यह प्रक्रिया भविष्य में भी जारी रहेगी।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in