आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि केवल कृषि क्षेत्र में वृद्धि दर्ज की गई है। फोटो: विकास चौधरी
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि केवल कृषि क्षेत्र में वृद्धि दर्ज की गई है। फोटो: विकास चौधरी

आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21: जीडीपी में कृषि की हिस्सेदारी बढ़ी, 17 साल पहले के स्तर पर पहुंचा

आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि देश की जीडीपी में कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी में लगभग दो प्रतिशत की वृद्धि हुई है
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वर्ष 2020-21 के आर्थिक सर्वेक्षण में अनुमान लगाया गया है कि भारत की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में 7.7 फीसदी की गिरावट दर्ज की जा सकती है। हालांकि अगले वित्त वर्ष 2021-22 में वास्तविक जीडीपी में 11 फीसदी की वृद्धि का अनुमान है। 

आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी छमाही (अक्टूबर-मार्च) के दौरान वी शेप रिकवरी के संकेत हैं। यानी कि पहली छमाही में जो गिरावट दर्ज की गई थी, दूसरी छमाही में उसमें सुधार होने लगा है।

कोविड-19 महामारी के दौरान कृषि की विकास दर में 3.4 फीसदी की वृद्धि होने से जीडीपी में कृषि की हिस्सेदारी 17.8 फीसदी से बढ़ कर 19.9 प्रतिशत हो गई है। सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक 2019-20 में जीडीपी में कृषि की हिस्सेदारी 17.8 प्रतिशत थी, जो 2020-21 में 19.9 प्रतिशत हो जाएगी। दिलचस्प बात यह है कि इससे पहले 2003-04 में कुल जीडीपी में कृषि की हिस्सेदारी 20.77 प्रतिशत थी। इसके बाद लगातार कृषि की हिस्सेदारी कम हो रही है। 

यहां यह भी खास बात है कि 2000-01 से अगले दो साल तक जबरदस्त सूखा पड़ने के कारण् कृषि क्षेत्र में नकारात्मक वृद्धि हुई थी। इसके बाद 2003-04 में 9.05 प्रतिशत की जबरदस्त वृद्धि हुई थी। 

आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि कोविड-19 की वजह से देश भर में लागू लॉकडाउन का रबी की कटाई और खरीफ की बुवाई पर कोई असर नहीं पड़ा।

वी शेप रिकवरी शुरू

रिपोर्ट बताती है कि वित्त वर्ष 2020-21 की पहली छमाही में जीडीपी में 14.9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई, जबकि दूसरी छमाही में 0.3 फीसदी की मामूली वृद्धि का अनुमान है। लेकिन इन दोनों ही छमाही में कृषि की विकास दर 3.4 प्रतिशत रही। पहली छमाही में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 20.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। जबकि पहली छमाही में सेवा क्षेत्र में दो तिहाई हिस्से वाले होटल, व्यापार, परिवहन एवं सूचना क्षेत्र में 31.5 प्रतिशत की कमी रही, हालांकि अगली छमाही में गिरावट में कमी आई और इन क्षेत्रों में कुल 12 फीसदी की कमी दर्ज की गई।

आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि वैश्विक महामारी की वजह से दूसरे देशों की तरह भारत को संकट का सामना करना पड़ा। 2020-21 से पांच साल पहले तक भारत की औसत वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत थी। 2021-22 में वास्तविक जीडीपी में तेज रिकवरी होने की संभावना है। जो 10 से 12 फीसदी तक रह सकती है, इसके बाद 2022-23 में 6.5 प्रतिशत, 2023-24 में 7 फीसदी वृद्धि का अनुमान है।

आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि जीडीपी में नॉमिनल ग्रोथ 15.4 फीसदी होगी, जो आजादी के बाद से लेकर अब तक सबसे अधिक रिकॉर्ड होगी। रिपोर्ट के मुताबिक, अगले वित्त वर्ष के दौरान 1991 के बाद अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर सबसे ज्यादा रह सकती है, जबकि नॉमिनल ग्रोथ 1947 के बाद सबसे ज्यादा होगी।

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