अगले दो दशक में भारत में जनसंख्या वृद्धि दर में तेजी से गिरावट आएगी। गुरुवार को सदन में रखे गए आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 में यह दावा किया गया है। आर्थिक सर्वेक्षण में विश्लेषण किया गया है कि आने वाले दिनों में देश को जनसांख्यिकीय लाभांश (एक ऐसी स्थिति जनसंख्या वृद्धि कम होने लगती है और कामकाजी आबादी की संख्या बढ़ने लगती है) मिलेगा।
सरकार ने चालू वित्त वर्ष के बजट से एक दिन पहले आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 पेश किया। अपने परिचय में सर्वेक्षण में अर्थव्यवस्था की स्थिति पर ज्यादा ध्यान केंद्रित नहीं किया है, क्योंकि ऐसा परंपरागत रूप से किया जाता रहा है। बल्कि, इसमें उन प्रमुख वैश्विक चुनौतियों के बारे में बताया गया है, जिससे भारत को निपटना है।
सर्वेक्षण में 2025 तक भारत को 5 ट्रिलियन यूएस डॉलर वाली अर्थव्यवस्था बनाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के मद्देनजर विश्लेषण के साथ-साथ सुझाव भी दिए गए हैं।
सर्वेक्षण में विभिन्न अध्ययनों के विश्लेषण के आधार पर कहा गया है कि देश में शून्य से 19 आयु वर्ग की आबादी अपने चरम पर पहुंच चुकी है और अब इसमें स्थिरता देखी जाएगी। इसकी वजह देश भर में कुल प्रजनन दर (टीएफआर) में तेजी से गिरावट को माना गया है।
नौ राज्यों, जिनमें दक्षिणी राज्यों, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में प्रजनन दर प्रतिस्थापन दर से काफी नीचे है। इसके अलावा बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे घनी आबादी वाले राज्यों में प्रजनन दर प्रतिस्थापन दर से ऊपर है, लेकिन पहले की तुलना में यह तेजी से घट रही है। प्रतिस्थापन दर का मतलब उस दर से है, जब किसी देश की आबादी में कोई वृद्धि नहीं होती है। इसका आशय है कि जितने लोगों की मृत्यु होती है, लगभग उतने ही लोगों का जन्म होता है। ऐसी स्थिति को प्रतिस्थापन दर शून्य माना जाता है।
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत में राष्ट्रीय स्तर पर 2021 या उससे अगले 2 सालों में कुल प्रजनन दर, प्रतिस्थापन दर से नीचे हो जाएगी। सर्वेक्षण के मुताबिक, 2021 से 41 के बीच राष्ट्रीय स्तर पर टीएफआर में तेजी से गिरावट जारी रहने का अनुमान है, जिसकी वजह से प्रजनन दर, प्रतिस्थापन दर से 1.8 से कम हो जाएगी।
वैसे ही देश इस समय उच्च बेरोजगारी दर की चुनौती से जूझ रहा है, ऐसे में बदलती जनसांख्यिकी की वजह से युवा भारतीयों को रोजगार के लिए और बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा। सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत में 2021-31 के दौरान कामकाजी लोगों की आबादी में प्रति वर्ष लगभग 97.9 लाख का इजाफा होगा, जबकि 2031-41 में यह आंकड़ा 42 लाख सालाना हो जाएगा।
जनसंख्या पर सर्वेक्षण के अध्याय में एक और दिलचस्प निष्कर्ष यह निकाला गया है कि भारत में 5 से 14 आयु वर्ग की स्कूल जाने वाली आबादी में गिरावट आएगी। वर्तमान समय में, देश भर में राज्य सरकारें छात्रों की कमी के कारण हजारों सरकारी स्कूल बंद कर रही है। सर्वेक्षण में कहा गया है, "लोकप्रिय धारणा के विपरीत, कई राज्यों को नए स्कूलों के भवन बनाने की बजाय स्कूलों का आपस में विलय करने की आवश्यकता है।
भारत की जनसंख्या 1970 से 1980 के दशक की तुलना में कम दर से बढ़ रही है। 1971-81 के दौरान यह 2.5 फीसदी थी, जो 2011-16 में घटकर 1.3 फीसदी हो गई।
बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा ऐसे राज्य हैं, जो बढ़ती आबादी की वजह से जाने जाते थे में भी आबादी में गिरावट देखी जा रही है। आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है, "अब दक्षिणी राज्यों के साथ-साथ पश्चिम बंगाल, पंजाब, महाराष्ट्र, ओडिशा, असम और हिमाचल में जनसंख्या में 1 प्रतिशत से भी कम दर वृद्धि हो रही है।