कोविड-19: जीडीपी में आ सकती है 25% गिरावट, लेकिन कृषि में 3% वृद्धि: रिपोर्ट

नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लॉयड इकोनॉमिक रिसर्च की रिपोर्ट में सभी क्षेत्रों में गिरावट के बावजूद कृषि क्षेत्र में वृद्धि की संभावना जताई गई है
Photo: Agnimirh Basu
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भारत की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में पहली तिमाही में 25 फीसदी की बड़ी गिरावट आ सकती है। नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लॉयड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईडी)  द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल-जून (पहली तिमाही) के दौरान कृषि क्षेत्र को छोड़कर सभी क्षेत्रों में भारी गिरावट आएगी। यही नहीं बिगड़ी अर्थव्यवस्था में सुधार की संभावना भी जल्द नहीं दिखती है। रिपोर्ट के अनुसार यह स्थिति अगले वित्त वर्ष में भी बनी रहने की आशंका है। एनसीएईडी ने यह रिपोर्ट 8 जून 2020 के अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन से जुड़े द इंडियन सोसायटी ऑफ लेबर इकोनॉमिक्स एंड द इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन डेवलपमेंट द्वारा आयोजित वीडियो कांफ्रेंस में जारी की है। 

रोजगार बड़ा संकट

इसी तरह सेंटर फॉर मॉनिटरिंग ऑफ इंडियन इकोनॉमी द्वारा अप्रैल-मई के दौरान बेरोजगारी दर का भी आंकड़ा जारी किया है, इसके अनुसार देश में 24 फीसदी दर पर उच्चतम स्तर पर बेरोजगारी दर पहुंच गई है। दोनो संस्थाओं द्वारा अर्थव्यवस्था के आंकड़ों से साफ है कि कोविड-19 की वजह से हुए देशव्यापी लॉकडाउन के कारण आर्थिक स्थिति बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं। इस कारण एनसीईडी का आंकलन है कि अप्रैल-जून की तिमाही में औद्योगिक उत्पादन 54.3 फीसदी तक गिर जाएगा। 

वहीं सर्विस सेक्टर में 16 फीसदी गिरावट की आशंका है। रिपोर्ट के अनुसार पहली तिमाही में सबसे ज्यादा होटल और ट्रांसपोर्टेशन सेक्टर प्रभावित होगा। इस अवधि में इसमें 62 फीसदी गिरावट की आशंका है। सभी सेक्टरों में गिरावट के बीच कृषि क्षेत्र से सकारात्मक संकेत हैं। 

पहली तिमाही में कृषि क्षेत्र में 3 फीसदी बढ़ोतरी की उम्मीद है। रिपोर्ट यह भी कहती है कि विशेषज्ञों का मानना है कि कुछ सेक्टर में वित्त वर्ष के आखिरी तिमाही में थोड़ी सुधार दिखेगी। एनसीएईडी के फेलो सुदिप्तो मुंडले के अनुसार सुधार का यह मतलब कतई नही है ग्रोथ रेट रफ्तार पकड़ेगी। कुल मिलकार चालू वित्त वर्ष में ग्रोथ की संभावना नहीं है।

जीरो ग्रोथ रेट

मुंडले के अनुसार उदाहरण के तौर पर औद्योगिक उत्पादन और सर्विस सेक्टर में चालू वित्त वर्ष के अंत में रिकवरी की संभावना है। लेकिन इस सुधार से कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला है और ग्रोथ रेट जीरो फीसदी पर रहने की आशंका है। रिपोर्ट में विभिन्न स्थितियों के आधार पर एक आंकलन तैयार किया है। जिसमें राहत पैकेज, सरकारी खर्च और आपूर्ति की स्थिति को शामिल किया गया है। 

पहली स्थिति

भारत की ग्रोथ रेट जीरो फीसदी रहेगी और महंगाई दर 5.5 फीसदी रहने का अनुमान

दूसरी स्थिति

अगर मांग के अनुसार आपूर्ति नहीं होती है तो जीडीपी ग्रोथ में 2.0 फीसदी की गिरावट आएगी। उस स्थिति में 6.4 फीसदी महंगाई दर रहेगी।

तीसरी स्थिति

ग्रोथ रेट में 5.0 फीसदी की गिरावट और महंगाई दर 6.7 फीसदी रहने का अनुमान

चौथी स्थिति

यह सबसे खराब स्थिति होगी, इस दौरान ग्रोथ रेट में 10 फीसदी की गिरावट और महंगाई दर 7.8 फीसदी रहने का अनुमान है।

तुरंत नकदी सपोर्ट और श्रम सुधार की जरुरत

मुंडले के अनुसार इन आंकलनों के आधार पर जीडीपी में औसतन 5 से 2 फीसदी की गिरावट आएगी। सबसे बेहतर परिस्थिति में हम यह आशा कर सकते हैं कि जीरो फीसदी ग्रोथ रहेगी। ऐसे में आज के समय में तुरंत लोगों के हाथ में पैसे देने की जरुरत है। 

द इंडियन सोसायटी ऑफ लेबर इकोनॉमिक्स एंड द इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन डेवलपमेंट के रवि श्रीवास्तव का कहना है कि अगर प्रवासी श्रमिक वापस औद्योगिक शहरों की ओर लौटते हैं तो उससे मांग और आपूर्ति के अंतर को कम किया जा सकता है। अगर ऐसा होता है तो उद्योग धीरे-धीरे रिवाइव करने लगेंगे। करीब 60 फीसदी श्रमिक अपने गृह राज्य चले गए हैं। इसमें से केवल 10 फीसदी ऐसे हैं जिन्होंने अधिकृत ट्रांसपोर्ट सिस्टम का इस्तेमाल किया है।

श्रीवास्तव कहते हैं कि इन परिस्थितियों में सबसे पहले रोजगार और खाद्य सुरक्षा बढ़ाने के लिए कदम उठाए जाए, इसी के साथ हमें क्षेत्रीय स्तर संतुलित ग्रोथ के मॉडल पर फोकस करना चाहिए। इसी तरह हमें श्रम बाजार में बड़े सुधार की जरूरत है। हमें तुरंत श्रमिकों के पंजीकरण, नौकरी की सुरक्षा और बेहतर काम करने की परिस्थितियों पर फोकस करना होगा। अगर ऐसा किया जाता है तो अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना आसान होगा।

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