कोविड-19 केवल लोगों की जान ही नहीं ले रहा है बल्कि इसकी वजह से आने वाले दिनों में दक्षिण एशिया में असमानता भी बढ़ सकती है और इसका भुक्तभोगी गरीब तबका होगा।
विश्व बैंक ने 'साउथ एशिया इकोनामिक फोकस, स्प्रिंग 2020: द कर्स्ड ब्लेशिंग आफ पब्लिक बैंक्स' शीर्षक से प्रकाशित रिपोर्ट में कहा है कि मुख्य रूप से कोविड-19 महामारी के चलते दक्षिण एशिया में पिछले 40 सालों में सबसे खराब आर्थिक प्रदर्शन हो सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोनावायरस के कारण मौजूदा असमानता की खाई और भी गहरी होगी तथा इसका सबसे ज्यादा प्रभाव गरीबों व हास्पिटैलिटी, खुदरा और ट्रांसपोर्ट सेक्टर जैसे असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाले वर्करों पर पड़ेगा।
रिपोर्ट के मुताबिक, टूरिज्म सेक्टर ठप है, सप्लाई चेन ध्वस्त हो गया है। ऐसे में लाकडाउन बढ़ने से क्षेत्र की खाद्य सुरक्षा के हालात खराब हो जाएंगे। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि साल 2020 में दक्षिण एशिया का आर्थिक विकास दर घटकर 1.8 से 2.8 प्रतिशत पर आ जाएगा। उल्लेखनीय हो कि 6 महीने पहले ही विकास दर 6.3 प्रति रहने का अनुमान लगाया गया था। रिपोर्ट के अनुसार, ये असर दक्षिण एशिया के सभी देशों में नजर आएगा और अगर मौजूदा लाकडाउन बरकरार रहा, तो 2020 में विकास दर नेगेटिव की तरफ भी जा सकता है।
विश्व बैंक के दक्षिण एशिया के वाइस प्रेसिडेंट हार्टविंग स्केफर ने कहा है कि दक्षिण एशियाई देशों की सरकारें वायरस पर नियंत्रण करें और लोगों तक खासकर गरीब तबके तक इसे फैलने से रोकें क्योंकि यही वर्ग स्वास्थ्य और आर्थिक क्षेत्रों में आनेवाली गिरावट से सबसे ज्यादा प्रभावित होता है।
उन्होंने कहा, "कोरोनावायरस संकट खत्म हो जाता है, तो दक्षिण एशिया की अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाने के लिए कार्रवाई करनी होगी और नई नीतियां लागू करनी होंगी। अगर ऐसा नहीं किया गया, तो विकास की रफ्तार में गतिरोध पैदा होगा और ग़रीबी दूर करने की दिशा में जो कठिन सफर तय किया गया है, उसमें पीछे हो जाएंगे।
वहीं, एशियन डेवलपमेंट बैंक ने 6 मार्च को एक रिपोर्ट में कहा कि अर्थव्यवस्था पर कितना असर पड़ेगा, ये इस बात पर निर्भर करता है कि कोरोनावायरस महामारी का रुख क्या रहता है। हालांकि तात्कालिक प्रभाव के तौर पर घरेलू उपभोग और संभावित निवेश में गिरावट दर्ज होगी। साथ ही टूरिज्म और व्यापारिक यात्राओं में भी कमी आएगी।
शरिपोर्ट के मुताबिक, लाकडाउन में ढील मिलने पर दक्षिण एशियाई सरकारों को नई वित्तीय नीतियां अपनानी होंगी और मौद्रिक प्रोत्साहन देना होगा, ताकि बाजार में लेन-देन बरकरार रहे। वहीं नीतियां ऐसी बनानी होंगी जो लाकडाउन से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले तबके के हित में हो।
विश्व बैंक के साउथ एशिया क्षेत्र के मुख्यमंत्री अर्थशास्त्री हंस टिम्मर ने कहा, "कोविड-19 के तात्कालिक खतरे से निबटने के बाद दक्षिण एशिया देशों को लोन में रियायत और राजकोषीय विवेक के जरिए सरकारी ऋणों को कायम रखना होगा। मौजूदा संकट के इतर देखें, तो दक्षिण एशिया के सुदूर इलाकों को खोलने के लिए भुगतान और पत्राचार शिक्षा में डिजिटल टेक्नोलॉजी के विस्तार का अवसर भी है।"