आखिरकार छत्तीसगढ़ सरकार का वह बजट आ ही गया जिसकी पिछले कई दिनों से चर्चा का विषय बना हुआ था। और जिसकी चर्चा हो रही है थी मुख्यमंत्री ने भी अपने बजट में लगभग वही किया है। इस बजट की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि राजस्थान सरकार की तर्ज पर अब छत्तीसगढ़ में भी पुरानी पेशन योजना बहाल होगी।
एक नजर देखें तो इस बजट में मुख्यमंत्री ने बतौर वित्तमंत्री होकर हर समुदाय के लिए कुछ न कुछ बजट में धनराशि का प्रावधान किया है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बुधवार को वित्त मंत्री के रूप में वर्ष 2022-23 का राज्य बजट पेश करते हुए कई “ऐतिहासिक” घोषणाएं कीं। पुरानी पेंशन योजना बहाल करने के अलावा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवाओं को परीक्षा शुल्क से राहत दी गई है तो वहीं राजीव गांधी भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना की राशि में बढ़ोतरी की गई है। इसके अलावा उनकी बजटीय घोषणओं में किसानों को कृषि कार्य के लिए बिजली मुफ्त देने की भी बात कही गई है।
पूरे बजट को देखा जाए तो इसमें ग्रामीण, बेरोजगार, किसान और सेवानृवित्त कर्मचारियों पर मुख्यरूप से ध्यान दिया गया। बघेल द्वारा बजट के माध्यम से की गई उनकी घोषणाओं की चर्चा तो हो ही रही है लेकिन इसमें सबसे अधिक चर्चा उनके द्वारा इस बार बजट पेश करने के लिए गोबर से बना बैग लेकर विधानसभा पहुंचने को लेकर रही है।
अपने बजटीय भाषण में बघेल ने कहा कि यह बजट सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने के महात्मा गांधी के मूल मंत्र को साकार करने का एक प्रयास है।
बघेल ने वर्ष 2022-23 का राज्य के लिए एक लाख करोड़ से अधिक का बजट पेश किया है। जिसमें राज्य के कर्मचारियों को सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा दिलाने पुरानी पेंशन योजना लागू करने की घोषणा की गई है। एक जनवरी, 2004 एवं इसके बाद नियुक्त कर्मचारियों के लिए नई पेंशन योजना (एनपीएस) के स्थान पर पुरानी पेंशन योजना लागू की जाएगी। इससे राज्य के करीब 3 लाख से अधिक कर्मचारियों को लाभ पहुंचेगा।
बजट में ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर आधारित छत्तीसगढ़ मॉडल की झलक देखने को मिली। राजीव गांधी भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना की राशि 6,000 से बढ़ाकर 7,000 कर दी गई है। वहीं बजट में छत्तीसगढ़ के बेरोजगार युवाओं को भी बड़ी राहत प्रदान की गई है।
छत्तीसगढ़ व्यावसायिक मंडल और राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं में अब अभ्यर्थियों से कोई फीस नहीं ली जाएगी। इसके अलावा गौण खनिजों में भ्रष्टाचार और कालाबाजारी की शिकायत पर रोक लगाने अब माइनिंग का पूरा अधिकार पंचायत के पास होगा। पंचायतों की अनुमति के बगैर माइनिंग की अनुमति नहीं दी जाएगी।
गोठानों को महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क के रूप में विकसित किया जाएगा। स्थानीय खाद्य उत्पादों और लघु वनोपज के मूल्यवर्धन के लिए प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना की जाएगी। बांस और लकड़ी के शिल्प, धातु शिल्प और अन्य हस्तशिल्प से संबंधित लघु और कुटीर उद्योगों की स्थापना के लिए स्थानीय युवाओं को सहायता की जाएगी। इसके साथ ही बस्तर संभाग में डिस्ट्रिक्ट स्ट्राइक फोर्स का गठन किया जाएगा।